
भिलाई। निगम के परिसीमन और आरक्षण की लड़ाई लडऩे वाले कांग्रेस कार्यकर्ता अली हुसैन सिद्दीकी ने आरक्षण प्रक्रिया पर सवाल उठाया है। उन्होंने इस पर आपत्ति दर्ज करवाई है कि जब निगम के वार्डो का परिसीमन नये सिरे से होता है तो वार्डो के पार्षदों के पद का भी नये सिरे से आरक्षण होता है। लेकिन अब जब सभी निगमो का नये सिरे से परिसीमन हुआ है तो फिर महापौर और अध्यक्षों का परिसीमन चक्रानुक्रम में क्यों हो रहा है। जब 2011 में जाति जनगणना हुआ ही नही है जाती जनगणना 1981 तक ही हुआ था। तो शासन (एस.सी.) अनुसूचित जाति और (एस.टी.) अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनसंख्या कैसे 2011 की जनगणना को आधार मानकर निर्धारित किया। 2012-13 में सामाजिक व आर्थिक जनगणना किया गया है। उसको आज तक मान्यता क्यों नही दिया गया। 13 नगर निगम के महापौर 43 नगर पालिका परिषद व 109 नगर पंचायत के अध्यक्ष का आरक्षण 18 सितम्बर को शहीद स्मारक भवन रायपुर में हुआ। छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 का धारा 11 क और नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 29 ख के अंतर्गत छत्तीसगढ़ नगर पालिका (महापौर तथा अध्यक्ष के पद का आरक्षण)नियम 1999 के तहत सभी का आरक्षण किया जाना है। जिसमे रोस्टर पद्धति चक्रानुक्रम में आरक्षण करना है सबसे पहले (एस.सी.)अनुसूचित जाति वर्ग के लिए निगम,पालिका व पंचायत में जनसंख्या के प्रतिशत के हिसाब से आरक्षण कर उसमें से 33′ महिला के लिए आरक्षण करना है फिर (एस.टी.) अनुसूचित जनजाति वर्ग के जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण करना है उसमें से 33′ महिला के लिए आरक्षण करना है उसके बाद 25′ अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कर उसमें से 33′ महिला के लिए आरक्षित कर, शेष को अनारक्षित वर्ग समझ कर उसमें से 33′ महिला के लिए आरक्षित किया जाएगा, यह प्रक्रिया पहले से चले आ रहे चक्रानुक्रम में होगा लेकिन जो निगम,परिषद या पंचायत पहले महिला या अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित थी वो इस बार बदल जायेगा।