भगवान कृष्ण और देवी काली ने नरकासुर का वध करके उसके बुरे कर्मों का अंत किया था। यह त्योहार उनकी जीत की याद दिलाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने राक्षस को मारने के बाद ब्रह्म मुहूर्त के समय तेल स्नान किया था। इसलिए सूर्योदय से पहले पूरे विधि-विधान से तेल स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी के पर्व का बहुत खास महत्व होता है। इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा नरका पूजा के नामों से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है। रूप चौदस के दिन संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं और चारों ओर रोशनी की जाती है। नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है। हर साल यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। यानी यह पर्व दिवाली के एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद आता है। लेकिन इस बार नरक चतुर्दशी की सही तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में चलिए जानते हैं नरक चतुर्दशी की सही तिथि और यम दीपक जलाने का सही समय…
नरक चतुर्दशी 2023 कब है?
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि के दिन दीपावली से एक दिन पहले मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है। दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी के दिन संध्या के बाद दीपक प्रज्जवलित किए जाते हैं। इस दिन यमराज का पूजन कर अकाल मृत्यु से बच सकते हैं। नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली और काली चौदस भी कहते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर होगा। छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी के लिए प्रदोष काल 11 नवंबर को प्राप्त हो रहा है, इसलिए छोटी दिवाली 11 नवंबर को मनाई जाएगी। ऐसे में जो लोग मां काली, हनुमान जी और यम देवता की पूजा करते हैं वे 11 नवंबर को नरक चतुर्थी यानी छोटी दिवाली का पर्व मनाएंगे। वहीं नरक चतुर्दशी या रूप चौदस के दिन रूप निखारा जाता है, जिसके लिए प्रात: काल यानी सूर्योदय से पूर्व स्नान की परंपरा है। इसलिए उदया तिथि को देखते हुए कुछ लोग नरक चतुर्दशी 12 नवंबर को मानाएंगे। इसी दिन बड़ी दिवाली भी है।
नरक चतुर्दशी का महत्व
धर्मानुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक माह में कृष्ण चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध करके देवताओं व ऋषियोंको उसके आतंक से मुक्ति दिलवाई थी। इसके साथ ही कृष्ण भगवान ने सोलह हज़ार कन्याओं को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त करवाया। इसी उपलक्ष्य में नगरवासियों ने नगर को दीपों से प्रकाशित किया और उत्सव मनाया। तभी से नरक चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाने लगा। भगवान कृष्ण और देवी काली ने नरकासुर का वध करके उसके बुरे कर्मों का अंत किया। यह त्योहार उनकी जीत की याद दिलाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने राक्षस को मारने के बाद ब्रह्म मुहूर्त के समय तेल स्नान किया था। इसलिए सूर्योदय से पहले पूरे विधि-विधान से तेल स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
लंबी आयु के लिए जलाएं दीपक
नरक चतुर्दशी वाले दिन मुख्य दीपक लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए जलता है. इसको यमदेवता के लिए दीपदान कहते हैं. घर के मुख्य द्वार के बाएं ओर अनाज की ढ़ेरी रखें. इस पर सरसों के तेल का एक मुखी दीपक जलाएं. दीपक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए. अब वहां पुष्प और जल चढ़ाकर लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।।
मां कालिका की पूजा
छोटी दिवाली को काली चौदस भी कहा जाता है और कई जगहों पर काली माता की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन कालिका माता की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मां कालिका भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं।
नरक चतुर्दशी पर क्या करें :
* इस दिन यमराज के लिए तेल का दीया घर के मुख्य द्वार से बाहर की ओर लगाएं।
* इस दिन शाम के समय सभी देवताओं की पूजन के बाद तेल के दीपक जलाकर घर की चौखट के दोनों ओर और घर के बाहर रख दें। ऐसा करने से लक्ष्मीजी का घर में निवास हो जाता है।
* इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
* इस दिन निशीथ काल (अर्धरात्रि का समय) में घर से बेकार के सामान फेंक देना चाहिए। इससे दरिद्रता का नाश हो जाता है।
नरक चतुर्दशी 2023 शुभ मुहूर्त
दिन का चौघड़िया : सूर्योदय प्रातः 06:44 बजे
रात्रि का चौघड़िया : सूर्यास्त 06:01 PM
अभ्यंग स्नान मुहूर्त: प्रातः 05:28 बजे से प्रातः 06:41 बजे तक
अवधि – 01 घंटा 09 मिनट
अभ्यंग स्नान पर चंद्रोदय – प्रातः 05:35 बजे
नरक चतुर्दशी सांय पूजन मुहूर्त – शाम 5:39 PM से रात 8:16 PM तक
नरक चतुर्दशी 2023 पर यम दीपक जलाने का समय
नरक चतुर्दशी पर प्रदोष काल में यम दीपक जलाई जाती है, इसलिए 11 नवंबर को यम दीपक जलाई जाएगी। इस दिन शाम को 05 बजकर 32 मिनट से सूर्यास्त होगा, उसके साथ ही प्रदोष काल शुरू हो जाएगा। ऐसे में आप शाम 05 बजकर 32 मिनट से यम का दीपक जला सकते हैं।
अभ्यंग स्नान का समय
अभ्यंग स्नान के लिए उदया तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है नरक चतुर्दशी की उदया तिथि 12 नवंबर को प्राप्त हो रही है। इस दिन अभ्यंग स्नान का समय सुबह 05 बजकर 28 मिनट से 06 बजकर 41 मिनट तक है। नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय के पूर्व शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करने की प्रक्रिया को अभ्यंग स्नान कहा जाता है।
काली चौदस 2023 की पूजा का मुहूर्त
नरक चतुर्दशी पर मां काली की पूजा रात में करते हैं। काली चौदस की पूजा का समय 11 नवंबर को है। इस दिन पूजा का मुहूर्त रात 11 बजकर 45 मिनट से देर रात 12 बजकर 39 मिनट तक है।
हनुमान पूजा 2023 मुहूर्त
नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी की भी पूजा करने की परंपरा है। इस साल नरक चतुर्दशी पर हनुमान पूजा 11 नवंबर को रात में होगी। हनुमान पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 45 मिनट से देर रात 12 बजकर 39 मिनट तक है।
नरक चतुर्दशी पूजा विधि
इस दिन सबसे पहले लकड़ी की चौकी लें और पूजा के स्थान पर लाल कपड़ा रखें। उस पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी का चित्र लगाएं। एक प्लेट लें और उसके ऊपर पहले एक लाल कपड़ा रखें और फिर उस पर कुछ चांदी के सिक्के रखें। अब एक बड़ी प्लेट लें, बीच में स्वास्तिक बनाएं, 11 दीये चारों ओर रखें और प्लेट के बीच में 4 चेहरों वाला एक दीया रखें।
अब 11 दीयों में चीनी डालें या आप मखाना, खील या मुरमुरा भी डाल सकते हैं।
अब रोली लें और लाल रंग और चावल से देवी लक्ष्मी और सरस्वती और भगवान गणेश पर तिलक करें। सभी दीयों में रोली और चावल का मिश्रण डालें और फिर गणेश लक्ष्मी पंचोपचार पूजा करें।
इसके बाद एक और दीया जलाकर इसे देवी लक्ष्मी की तस्वीर के सामने रखना है। अगरबत्ती और धूप जलाएं और देवी लक्ष्मी के चित्र के सामने फूल और मिठाई रखें। ७ दीये और एक मुख्य ४ मुखी दीयों को छोड़कर बाकी के दीयों को लेकर घर के मुख्य द्वार पर रख दें। 108 बार लक्ष्मी मंत्र “श्रीं स्वाहा” का पाठ करें ।
ऐसा माना जाता हैं कि जो व्यक्ति नरक चतुर्दशी के दिन सूर्य के उदय होने के बाद नहाता हैं। उसके द्वारा पूरे वर्ष भर में किये गये शुभ कार्यों के फल की प्राप्ति नहीं होती। सूर्य उदय से पहले स्नान करने के बाद दक्षिण मुख करके हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें। ऐसा करने से व्यक्ति के द्वारा किये गये वर्ष भर के पापों का नाश हो
इस दिन विशेष पूजा की जाती है । इसके लिए एक थाल को सजाकर उसमें एक चौमुख दिया जलाते हैं तथा सोलह छोटे दीप और जलाएं ,फिर रोली खीर, गुड़, अबीर, गुलाल, तथा फूल इत्यादि से ईष्ट देव की पूजा करें। इसके बाद अपने कार्य स्थान की पूजा करें. पूजा के बाद सभी दीयों को घर के अलग अलग स्थानों पर रख दें तथा गणेश एवं लक्ष्मी के आगे धूप दीप जलाएं। इसके पश्चात संध्या समय दीपदान करते हैं जो यम देवता, यमराज के लिए किया जाता है। विधि-विधान से पूजा करने पर व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो प्रभु को पाता है।
नरक चतुर्दशी स्नान विधि :
* इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने का महत्व है। कहते हैं इससे रूप में निखार आ जाता है। स्नान के लिए कार्तिक अहोई अष्टमी के दिन एक तांबे के लौटे में जल भरकर रखा जाता है और उसे स्नान के जल में मिलाकर स्नान किया जाता है। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है।
* स्नान के दौरान तिल के तेल से शरीर की मालिश करें और उसके बाद औधषीय पौधा अपामार्ग अर्थात चिरचिरा को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाने का प्रचलन है।
* स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें। ऐसा करने से संपूर्ण वर्ष के पापों का नाश हो जाता है।
यम दीया जलाने का महत्व
नरक चतुर्दशी पर यम के नाम का दीपक प्रज्वलित करने के संबंध में एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार यमदेव ने अपनी दूतों को अकाल मृत्यु से बचने का उपाय बताते हुए कहा था कि जो व्यक्ति कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन दीप प्रज्वलित करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। इसलिए नरक चतुर्दशी पर शाम के समय यम के निमित्त दीपदान करने की परंपरा है।
यम के निमित्त दीपदान करने की विधि-
* धर्म शास्त्रों के अनुसार दक्षिण दिशा को यम देव की दिशा माना गया है, इसलिए चतुर्दशी तिथि पर यम के नाम का दीपक दक्षिण दिशा में प्रज्वलित किया जाता है।
* यह दीपक घर के किसी बड़े बुजुर्ग सदस्य के द्वारा प्रज्लित करते हैं।
* यम के नाम का दीपक प्रज्वलित करने के लिए पिछली साल के रखे हुए पुुराने दीपक को ही प्रयोग में लाया जाता है।
* यदि आपके पास पुराना दीपक न हो तो नया दीपक भी प्रज्लित किया जा सकता है।
* नरक चतुर्दशी पर सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित किया जाता है।
* इस दीपक को गेहूं साफ करने वाले सूप में रखकर प्रज्वलित करना चाहिए। यदि सूप न हो तो थाली में भी दीपक रखकर जलाया जा सकता है।
* थोड़े से खील (धान का लावा) के दाने भी दीपक में डालने चाहिए और थोड़े से खील सूप या थाली में रखने चाहिए।
* इस दीपक को अपने घर की परंपरा के अनुसार, द्वार, चौराहे या फिर घर से बाहर अकेले स्थान पर रखा जाता है।
इन 6 देवों का होता है पूजन
1. यम पूजा- नरक चतुर्दशी के दिन यम पूजा की जाती है. इस दिन रात में यम पूजा के लिए दीपक जलाए जाते हैं. इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल और पांच अन्न के दाने डालकर इसे घर के कोने में जलाकर रखा जाता है. इसे यम दीपक भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है.
2. काली पूजा- नरक चतुर्दशी के दिन काली पूजा भी की जाती है. इसके लिए सुबह तेल से स्नान करने के बाद काली की पूजा करने का विधान है. ये पूजा नरक चतुर्दशी के दिन आधी रात में की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है.
3. श्रीकृष्ण पूजा- मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध कर उसके कारागार से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था. इसीलिए इस दिन श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है.
4. शिव पूजा– नरक चतुर्दशी के दिन के दिन शिव चतुर्दशी (Shiva Chaturdashi) भी मनाई जाती है. इस दिन शंकर भगवान को पंचामृत अर्पित करने के साथ माता पार्वती की भी विशेष पूजा की जाती है.
5. हनुमान पूजा- मान्यताओं के अनुसार इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान पूजा करने से सभी तरह का संकट टल जाते हैं.
6. वामन पूजा– दक्षिण भारत में नरक चतुर्दशी के दिन वामन पूजा (Vamana Puja) का भी प्रचलन है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन राजा बलि को भगवान विष्णु ने वामन अवतार में हर साल उनके यहां पहुंचने का आशीर्वाद दिया था.
नरक चतुर्दशी कथा
प्राचीन समय में एक रन्तिदेव नामक राजा था। वह हमेशा धर्म – कर्म के काम में लगा रहता था। जब उनका अंतिम समय आया तब उन्हें लेने के लिए यमराज के दूत आये और उन्होंने कहा कि राजन अब आपका नरक में जाने का समय आ गया हैं। नरक में जाने की बात सुनकर राजा हैरान रह गये और उन्होंने यमदूतों से पूछा की मैंने तो कभी कोई अधर्म या पाप नहीं किया। मैंने हमेशा अपना जीवन अच्छे कार्यों को करने में व्यतीत किया। तो आप मुझे नरक में क्यों ले जा रहे हो। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि एक बार राजन तुम्हारे महल के द्वारा एक ब्राहमण आया था जो भूखा ही तुम्हारे द्वारा से लौट गया। इस कारण ही तुन्हें नरक में जाना पड रहा हैं।
राजा ने यमराज से अपनी गलती को सुधारने के लिए एक वर्ष का अतिरिक्त समय देने की प्रार्थना की। यमराज ने राजा के द्वारा किये गये नम्र निवेदन को स्वीकार कर लिया और उन्हें एक वर्ष का समय दे दिया। यमदूतों से मुक्ति पाने के बाद राजा ऋषियों के पास गए और उन्हें पूर्ण वृतांत विस्तार से सुनाया। यह सब सुनकर ऋषियों ने राजा को एक उपाय बताया। जिसके अनुसार ही उसने कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन व्रत रखा और ब्राहमणों को भोजन कराया जिसके बाद उसे नरक जाने से मुक्ति मिल गई। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है।
नरक चतुर्दशी के इन टोटकों से होगा लाभ
* नरक चतुर्दशी के दिन लाल चंदन, गुलाब के फूल व रोली के पैकेट की पूजा करें बाद में उन्हें एक लाल कपड़ें में बांधकर तिजोरी में रख दे। इस उपाय को करने से धन की प्राप्ति होती है और धन घर में रुकता भी है।
* इस दिन स्नान से पहले तिल के तेल से मालिश करें। कार्तिक के महीने में जो लोग तेल का इस्तेमाल नहीं करते है वह भी इस दिन तेल लगा सकते हैं। ऐसी मान्यता है की इस दिन तेल में लक्ष्मी जी का और जल में गंगा जी का वास होता हैं।
* नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए। स्नान के बाद यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करना चाहिए।
* नरक चतुर्दशी के दिन स्नान करने के पश्चात पति-पत्नी दोनों को विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में दर्शन करने चाहिए। इससे व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते है और रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है। सनत कुमार संहिता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित दीप दान करने से पितरों को भी स्वर्ग का मार्ग दीखता है और उनको नरक से मुक्ति मिलती है।
* नरक चतुर्दशी के दिन भगवान वामन ओर राजा बलि का स्मरण करना चाहिए ऐसा करने से लक्ष्मी जी स्थायी रूप से आपके घर में निवास करती हैं। वामन पुराण की कथा के अनुसार जब राजा बलि के यज्ञ को भंग करके वामन भगवान ने तीन पग में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को नाप लिया था तब राजा बली के द्वारा मांगे वर के अनुसार जो मनुष्य इस पर्व पर दीप दान करेगा उसके यहाँ स्थिर लक्ष्मी का वास होगा।
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