‘ईद मुबारक!’ जैसे ही अर्धचंद्र ईद-उल-फितर 2024 के आगमन का संकेत देता है, चारों ओर यही गूंज सुनाई देती है, खुशी की लहर दिलों में भर जाती है, और आत्माएं खुशी से झूम उठती हैं, जो इस विशेष क्षण की गर्मजोशी और एकता का प्रतीक है। ईद-उल-फितर इस्लामी चंद्र कैलेंडर के 10वें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह उपवास और आध्यात्मिक चिंतन के महीने रमजान के अंत का प्रतीक है, और एक नए इस्लामी वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। चांद देखने की परंपरा, पैगंबर मुहम्मद के समय से चली आ रही प्रथा, ईद-उल-फितर की शुरुआत का निर्धारण करने में केंद्रीय भूमिका निभाती है। चंद्रमा के दर्शन में भिन्नता के कारण अलग-अलग क्षेत्र अलग-अलग दिनों में ईद मना सकते हैं, आमतौर पर एक दिन के अंतर के साथ। इस्लामिक मान्यताओं अनुसार रमजान के महीने में पवित्र किताब कुरान आई थी। माना जाता है कि पैगम्बर मोहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी जिसकी खुशी में सभी लोगों ने एक दूसरे का मुंह मीठा करके खुशियां मनाई थी। जैसे ही अर्धचंद्र ईद-उल-फितर 2024 के आगमन का संकेत देता है, चारों ओर यही गूंज सुनाई देती है, खुशी की लहर दिलों में भर जाती है, और आत्माएं खुशी से झूम उठती हैं, जो इस विशेष क्षण की गर्मजोशी और एकता का प्रतीक है। ईद-उल-फितर इस्लामी चंद्र कैलेंडर के 10वें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह उपवास और आध्यात्मिक चिंतन के महीने रमजान के अंत का प्रतीक है, और एक नए इस्लामी वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। चांद देखने की परंपरा, पैगंबर मुहम्मद के समय से चली आ रही प्रथा, ईद-उल-फितर की शुरुआत का निर्धारण करने में केंद्रीय भूमिका निभाती है। चंद्रमा के दर्शन में भिन्नता के कारण अलग-अलग क्षेत्र अलग-अलग दिनों में ईद मना सकते हैं, आमतौर पर एक दिन के अंतर के साथ। इस्लामिक मान्यताओं अनुसार रमजान के महीने में पवित्र किताब कुरान आई थी। माना जाता है कि पैगम्बर मोहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी जिसकी खुशी में सभी लोगों ने एक दूसरे का मुंह मीठा करके खुशियां मनाई थी।
पूरी दुनिया में ईद के त्योहार की धूम है. भारत में ईद का त्योहार आज मनाया जा रहा है. महीने भर के रोजे का अंत ईद का त्योहार के साथ ही होता है. ईद का त्योहार आखिरी रोजे के बाद मनाजा जाता है। खुशियों का त्योहार ईद-उल-फितर चांद दिखाई देने के अगले दिन मनाया जाता है। इस त्योहार को मुस्लिम समुदाय बड़े ही धूम धाम से मनाते हैं। ये पर्व रमजान के बाद शव्वाल की पहली तारीख को मनाया जाता है। सुबह की नमाज से इसकी शुरुआत हो जाती है। भारत में ईद आज 11 अप्रैल को मनाए जाएगा।
ईद का महत्व
इस्लामिक मान्यताओं अनुसार रमजान के महीने में पवित्र किताब कुरान आई थी। माना जाता है कि पैगम्बर मोहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी जिसकी खुशी में सभी लोगों ने एक दूसरे का मुंह मीठा करके खुशियां मनाई थी। कहा जाता है कि तभी से इस दिन मीठी ईदी या ईद-उल-फितर मनाए जाने की परंपरा शुरू हो गई है। ये दिन पुराने गिले शिकवे भुलाने का दिन है। इस दिन लोग एक दूसरे के गले मिलकर ईद मुबारक कहते हैं।
चांद का दिखना होता है जरूरी
ईद का त्योहार हमेशा से ही चांद पर निर्भर करता है। ऐसे में चांद का दिखना जरूरी होता है। चांद देखने के साथ ही यह त्योहार मनाया जाता है।
कैसे मनाई जाती है ईद
इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले एक खास नमाज अदा की जाती है और फिर दोस्तों, रिश्तेदारों को ईद की बधाई देते हैं। ईद वाले दिन सुबह सुबह नहा-धोकर नए कपड़े पहन कर मस्जिदों में लोग नमाज के लिए जाते हैं, जहां अल्लाह की बारगाह में अपने गुनाहों की माफी मांगी जाती है और मुस्लिम लोग अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्होंने रोजे रखने का अवसर और शक्ति प्रदान की। इस मौके पर अमन-चैन की दुआ भी की जाती है। इसके अलावा ईद के दिन गरीबों, बेसहारा लोगों को जकात दी जाती है।
ईद पर जकात है जरूरी
दान-दक्षिणा को जकात कहा जाता है। रमजान में रोज़े रखने के दौरान भी जकात दी जाती है लेकिन ईद के दिन नमाज से पहले गरीबों में जकात या फितरा देना जरूरी माना गया है। अल्लाह के रसूल का फरमान है कि ईद की नमाज से पूर्व सदका-ए-फितर अदा करना चाहिए। जिस व्यक्ति के पास साढ़े सात तोला सोना या 52 तोले से अधिक चांदी या इनके बराबर जरूरत से ज्यादा धन हो उनके लिए जकात फर्ज है। अगर परिवार में पांच सदस्य हैं और सभी नौकरी या बिजनेस के जरिए पैसा कमा रहे हैं तो परिवार के सभी सदस्यों पर जकात देना फर्ज माना जाता है। फितरा जकात से अलग होता है। ये वो रकम होती है जो संपन्न घरानों के लोग आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को देते हैं। जकात और फितरे में फर्क ये है कि जकात देना सभी के लिए जरूरी होता है, वहीं फितरा देना जरूरी नहीं है। जकात में 2.5 फीसदी देना तय होता है जबकि फितरे की कोई सीमा नहीं। इंसान अपनी हैसियत के हिसाब से कितना भी फितरा दे सकता है।
सेंवई इस दिन का मुख्य पकवान
इस दिन मुस्लिम परिवारों में मीठे पकवान बनाए जाते हैं। जिसमें सेंवई प्रमुख है। मीठी सेंवई घर आए मेहमानों को खिलाई जाती है। साथ ही दोस्तों और रिश्तेदारों को भी ईदी बांटी जाती है।
जानिए ईद त्योहार से जुड़ीं खास बातें
ईद उल-फितर को मीठी ईद भी कहते हैं. आइए जानते हैं ईद से जुड़ी कुछ ऐसी ही और दिलचस्प बातें।
* सन् 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद पैगम्बर मुहम्मद ने पहली बार ईद-उल-फितर मनाई थी।
* पवित्र रमजान माह के प्रारंभ के साथ रोजा रखा जाता है. हर दिन अल्लाह की इबादत की जाती है. रमजान के 29वें या 30वें दिन ईद-उल-फितर का त्योहार मनाते हैं. ईद-उल-फितर रमजान के खत्म होने का संदेश है.
* इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, रमजान महीने के अंत में ही पहली बार कुरान आई थी. रमजान महीने के दौरान मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए रोजा रखते हैं. रमजान में दान देने का भी खास महत्व है।
* ईद उल-फितर की नमाज को सलत अल-ईद भी कहा जाता है. ये नमाज ईद के मौके पर की जाती है. शिया और सुन्नी मुसलमान ये नमाज अपने-अपने तरीके से अदा करते हैं।
* अरबी में ईद उल-फितर का अर्थ है ‘रोजा तोड़ने का त्योहार.’ होता है।
* ईद तब तक शुरू नहीं होती है जब तक कि आसमान में चांद दिखाई नहीं दे जाता. आज भी कई मुस्लिम परंपरागत रूप से तब तक ईद की शुरुआत नहीं मानते हैं जब तक चांद नजर ना जाए।
* पूरी दुनिया में ईद उल-फित्र का त्योहार अलग-अलग दिन और समय पर मनाया जाता है. ये उस देश में चांद दिखने के समय पर निर्भर करता है. कई देशों के मुसलमान अपने स्थानीय समय की बजाय मक्का में चांद दिखने के हिसाब से ही ईद का त्योहार मनाते हैं।
* रमजान और ईद उल-फितर हर जगह ग्रेगोरियन तारीख के हिसाब से अलग-अलग मनाए जाते हैं. इस्लामिक कैलेंडर चंद्र चक्र पर आधारित है जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर सौर चक्र पर आधारित है।
* इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, चांद दिखने के साथ ही नए महीने की शुरूआत होती है. आमतौर पर नया चांद हर 29 दिनों में दिखाई देता है. इसलिए चंद्र महीने ग्रेगोरियन महीनों की तुलना में कुछ कम होते हैं. यही वजह है कि पिछले साल की तुलना में हर साल रमजान 10 दिन पहले पड़ जाता है।
* ईद का त्योहार आमतौर पर तीन दिनों तक रहता है लेकिन यह कैलेंडर पर निर्भर करता है कि ये तीन दिन किस हिसाब से पड़ रहे हैं. अगर ये दिन हफ्ते के बीच में पड़ रहे हैं तो मुसलमान ईद का त्योहार सप्ताहांत तक मनाते हैं।
* ईद के दिन मुसलमानों न केवल स्वादिष्ट भोजन की दावत देते हैं, बल्कि इस दिन एक-दूसरे को तोहफे भी देते हैं. इनमें पैसे, सामान, घर की चीजें से लेकर फूल तक होते हैं जिन्हें ‘ईदी’ कहा जाता है. खासतौर से बच्चों में इस दिन का खास उत्साह रहता है।
* धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे एक माह तक रोजा रखने और खुदा की इबादत करने पर अल्लाह ईद-उल-फितर को खुशी के तौर पर देता है।
भिलाई सेक्टर 6 स्थित जामा मस्जिद को इस तरह सजाया गया
ईद खुशी मनाने और दिल की गहराइयों से हंसने का दिन है. हमारे ऊपर अल्लाह की रहमतों के आभारी होने का दिन है. खुदा करे ये ईद आपके लिए खास हो और बहुत सारे खुशी के पल हमेशा के लिए लाए!