
हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। पांच दिवसीय दिवाली पर्व में एक त्योहार गोवर्धन पूजा भी होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। दिवाली के दूसरे दिन इस पर्व को यानी आज मनाया जा रहा है। आज गोवर्धन पूजा पर काफी शुभ योग भी बन रहा है। जानें गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, यह दिवाली के दूसरे दिन भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाई जाती है. पंच दिवसीय दीपोत्सव का चौथा दिन गोवर्धन पूजा का होता है और इस दिन गोवर्धन पर्वत, भगवान कृष्ण और गाय माता की पूजा की जाती है. इस दिन लोग अपने घर के आंगने में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है. मगर साल 2023 में गोवर्धन पूजा को लेकर कन्फ्यूज़न पैदा हो रहा है क्योंकि कई जगह पर गोवर्धन पूजा की तारीख 13 नवंबर और कहीं पर 14 नवंबर लिखी हुई है. तो आइए हम आपको गोवर्धन पूजा के सही तारीख, गोवर्धन पूजा का समय, गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और महत्व के बारे में बताते हैं।
कब है गोवर्धन पूजा 2023 में?
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 13 नवंबर दोपहर 2 बजकर 56 मिनट से हो रहा है और प्रतिपदा तिथि 14 नवंबर दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए गोवर्धन पूजा की सही तारीख 14 नवंबर 2023, मंगलवार है.
गोवर्धन पूजा 2023 शुभ मुहूर्त और पूजा समय
गोवर्धन पूजा 2023 : मंगलवार, नवम्बर 14, 2023 को
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त : 06:33 ए एम से 08:46 ए एम
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ : नवम्बर 13, 2023 को 02:56 पी एम बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त : नवम्बर 14, 2023 को 02:36 पी एम बजे
गोवर्धन पूजा का सायंकाल मुहूर्त : 5:25 पी एम से 9:36 पी एम
गोवर्धन पूजा 2023 पर शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन अनुराधा नक्षत्र के साथ शोभन और सर्वार्थ सिद्धि योग रहने वाला है। बता दें सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 3 बजकर 23 मिनट से शुरू हो रहा है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
पंच दिवसीय दीपोत्सव का चौथा दिन गोवर्धन पूजा का होता है. मान्यता के अनुसार, गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से बने हुए गोबरधन पर्वत की पूजा की जाती है और भगवान कृष्ण की भी पूजा करने का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि जो इंसान गोवर्धन की पूजा करता है उसे धन-समृद्धि का लाभ होता है और पारिवारिक जीवन खुशहाल बना रहता है. गोवर्धन पूजा के दिन श्रीकृष्ण को 56 तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं और इस वजह से इस 56 भोग को अन्नकूट कहा जाता है. माना जाता है कि भगवान कृष्ण को भोग चढ़ाने से आपके जीवन में अन्न की कभी कमी नहीं आती है.
गोवर्धन पूजा क्यों मनाते हैं?
भगवत पुराण के अनुसार, जब वर्षा के देवता भगवान इंद्र ब्रजवासियों पर क्रोधित हो गए थे और उन्होंने मूसलाधार बारिश करनी शुरू कर दी थी. तब श्री कृष्ण ने मूसलाधार बारिश से ब्रजवासियों और पशु-पक्षियों को बचाने के लिए छोटी अंगुली से गोवर्धन पर्वत उठा लिया था. करीब 7 दिनों तक गोवर्धन के नीचे सभी ब्रजवासियों ने शरण ली थी और इसके बाद से गोवर्धन पूजा शुरू हुई. इसलिए गोवर्धन पूजा के दिन लोग अपने घर के आंगने में गोबर से पर्वत का निर्माण करते हैं और उसकी 7 बार परिक्रमा भी करते हैं.
गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा
पौराणिक कथानुसार, ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए हर साल बलि चढ़ाते थे. एक बार कृ्ष्ण भगवान ने मां यशोदा से पूछा कि हर कोई भगवान इंद्र की पूजा और उन्हें बलि क्यों चढ़ाता है? तब यशोदा माता ने कहा कि ऐसा करने से बारिश के देवता इंद्र खुशकर वृंदावन में बारिश करते हैं और इससे फसल पैदा होता है और गायों को चारा मिलता है. इस पर भगवान ने कहा कि अगर हम सब इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करें तो गाय माता को पर्वत की घास से चारा मिलने लगेगा. जब श्री कृष्ण की बात माता यशोदा और नंदलाला ने मान ली तो उन्होंने पूरे वृंदावन वालों को भगवान इंद्र की पूजा करने से मना कर दिया और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे. यह देखकर देवताओं के राजा इंद्र क्रोधित हो उठे और उन्होंने ब्रजवासियों पर मूसलाधार बारिश करनी शुरू कर दी. भारी बारिश की वजह से पूरी फसल बर्बाद हो गई और बृजवासी भी निराश हो गए. तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सभी ब्रजवासियों और पशुओं को पर्वत के नीचे शरण मिल गई. यह देखकर इंद्र और भी क्रोधित हो गए और उन्होंने वर्षा की गति तेज कर दी. तब कृ्ष्ण जी ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप गोवर्धन पर्वत के ऊपर बैठ जाइए और बारिश की गति को नियंत्रित करिए और शेषनाग से कहा कि आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की तरफ आने से रोकिए. करीब 7 दिनों तक वृंदावन में मूसलाधार बारिश होती रही तब ब्रह्म देव ने इंद्र से कहा कि भगवान कृष्ण विष्णु जी के अवतार हैं और तब इंद्र ने जाकर कृष्ण से क्षमा मांगी. भगवान कृष्ण को उन्होंने 56 भोग वाला अन्नकूट भोजन अर्पित किया और गोवर्धन पर्वत की 7 बार परिक्रमा की. तब से गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत और श्री कृष्ण की पूजा की जाने लगी।
गोवर्धन पूजा परंपराएं
गोवर्धन पूजा भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न तरीकों से मनाई जाती है. उत्तर भारत में मथुरा, वृन्दावन, नंदगांव, गोकुल और बरसाना में गोवर्धन पूजा धूमधाम से की जाती है और इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत, कृष्ण जी और गायों की पूजा करते हैं. उत्तर भारत में गोवर्धन पूजा के दिन घर पर गोबर का गोवर्धन बनाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है. गेहूं, चावल और बेसन की कड़ी के साथ पत्तेदार सब्जियां बनाई जाती हैं और भगवान को भोग लगाया जाता है. वहीं महाराष्ट्र में कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को बाली प्रतिपदा या बाली पड़वा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार और राजा बलि की पूजा की जाती है. वहीं गुजरात में लोग गोवर्धन पूजा के दिन गुजराती नव वर्ष की शुरुआत करते हैं।
गोवर्धन पूजन सामग्री
पूजा की थाली में रोली, चावल, बताशे, धूप, तेल का दीपक, कलश में जल, केसर, नैवेद्य, धूप, मिठाई, गंगाजल, पान, फूल, दही, शहद, फूल माला, खीर आदि रखकर उससे गोवर्धन पूजा करें. गोवर्धन बनाने के लिए गाय का गोबर आवश्यक होता है. श्रीकृष्ण के भोग के रूप में 56 तरह का खाद्य पदार्थ जिसमें पत्तेदार सब्जियां शामिल होती हैं. इसके अलावा शहद, दही और चीनी का इस्तेमाल पंचामृत के लिए होता है।
गोवर्धन पूजा कैसे करें?
1. गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर लेना चाहिए।
2. इसके बाद घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाना चाहिए।
3. गाय के गोबर से भगवान गोवर्धन की चित्र शयन मुद्रा में बनाना चाहिए।
4. गोवर्धन की नाभि की जगह पर दीपक जलाकर रखना चाहिए।
5. फिर नाभि वाली जगह को दीपक, खील-बताशे और पंचामृत से भर देना चाहिए।
6. आप चाहे तो गोबर से ही गाय-बैल और ब्रजवासी भी बना सकते हैं और उनकी पूजा कर सकते हैं।
7. गोवर्धन की पूजा शुरू करने से पहले उन्हें फूलों से सजाना चाहिए और फिर उनपर धूप-दीप और फल अर्पित करने चाहिए।
8. फिर गोवर्धन पर 56 भोज बनाकर अर्पित करना चाहिए।
9. इसके बाद गोवर्धन मंत्र का जाप करते हुए 7 बार परिक्रमा लगानी चाहिए।
10. आखिर में गोवर्धन भगवान की आरती करनी चाहिए और 56 भोग वाला प्रसाद लोगों में बांट देना चाहिए।
गोवर्धन पूजा के दिन क्या करना चाहिए?
1. गोवर्धन पूजा के दिन सबसे पहले सुबह उठकर तेल मालिश करके स्नानादि कर लेना चाहिए।
2. गोवर्धन पूजा की शाम को तुलसी माता के सामने दीपक जलाकर रखना चाहिए।
3. इस दिन ईशाान कोण में दीपक जरूर जलाना चाहिए।
5. इस दिन पीपल के पेड़ के नीच दीपक रखना चाहिए।
6. गोवर्धन पूजा के दिन श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।
7. गोवर्धन पूजा के दिन 56 तरह के खाद्य पदार्थ से अन्नकूट का प्रसाद बनाना चाहिए।
8. गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से बने पर्वत की 7 बार परिक्रम जरूर करनी चाहिए।
9. परिवार के सभी सदस्यों को मिलकर गोवर्धन पूजा करनी चाहिए।
गोवर्धन पूजा के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
1. गोवर्धन पूजा कभी भी बंद कमरे में नहीं करनी चाहिए।
2. इस दिन गायों का अपमान नहीं करना चाहिए बल्कि उनकी पूजा करनी चाहिए।
3. गोवर्धन पूजा में कभी भी काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए और पूजा में हल्के पीले या नारंगी कपड़े पहनने चाहिए।
4. इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हुए उसे बीच में अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।
5. गोवर्धन पूजा के दिन मांस-मदिरा का त्याग करना चाहिए।
6. गोवर्धन पूजा के दिन 56 भोग का प्रसाद लहसुन-प्याज के बिना बनाना चाहिए।
गोवर्धन पूजा मंत्र
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।
गोवर्धन आरती
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झाँकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण,
करो भक्त का बेड़ा पार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
1. गोवर्धन पूजा का समय
द्रिक पंचांग के मुताबिक, 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा का समय सुबह 6 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।
2. गोवर्धन पूजा पर क्या खाना चाहिए?
गोवर्धन पूजा के दिन गेहूं, चावल, बेसन से बनी करी और पत्तेदार सब्जियां, दही, दूध, शहद, चीनी, मेवा और तुलसी से बना पंचामृत खाना चाहिए।
3. गोवर्धन पूजा का शाम का मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, 14 नवंबर 2023 के दिन गोवर्धन पूजा का शाम का समय 5 बजकर 25 मिनट से रात 9 बजकर 36 मिनट तक रहेगा।
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