दुनिया में 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसे मई दिवस या अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में भी जाना जाता है। मजदूर दिवस की उत्पत्ति 19वीं सदी के उत्तरार्ध के श्रमिक आंदोलन से मानी जाती है जब श्रमिकों ने बेहतर कामकाजी परिस्थितियों के लिए संघर्ष किया था, आठ घंटे के श्रम और उचित वेतन की मांग की थी। यह श्रमिक वर्ग के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनका शोषण होने से रोकने के लिए मनाया जाता है। मई दिवस उन श्रमिकों को अपनी आवाज़ उठाने का मंच देता है जो नीति निर्माताओं और राजनेताओं को सामाजिक न्याय की दिशा में काम करने के लिए कहते हैं।
हर साल आज के दिन यानी 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसे श्रम दिवस, श्रमिक दिवस या मई दिवस भी कहा जाता है। इस दिन मजदूरों के हक और समाज में इनकी भागीदारी पर बात की जाती है। लेबर डे के दिन दुनिया भर में मजदूरों के हक के लिए आवाज उठाई जाती है। सेमिनार और कई विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ये दिन पूरी तरह मजदूरों को समर्पित है। 1 मई को 80 से ज्यादा देशों में राष्ट्रीय छुट्टी दी जाती है। मजदूर दिवस या मई डे को पहली बार 1 मई को 1886 में मनाया गया था। भारत में श्रमिक दिवस पहली बार 1 मई 1923 को मनाया गया। आइए जानें मजदूर दिवस का इतिहास और इसके बारे में…..
विश्व में पहली बार कब और कहां मनाया गया मजदूर दिवस
विश्व में सबसे पहले 1 मई 1886 को अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत हुई थी। 1 मई 1886 को अमेरिका की मजदूर यूनियनों ने काम के 8 घंटे से अधिक ना रखने को लेकर देशव्यापी हड़ताल की थी। हजारों की संख्या में मजदूर सड़कों पर उतर आए थे। ये मजदूर 10 से 15 घंटे काम कराए जाने को लेकर विरोध कर रहे थे। इनकी मांग थी कि काम के घंटे को 8 घंटे ही फिक्स कर देना चाहिए। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में एक बड़ा बम धमाका हुआ था। हालांकि ये धमाका किसने किया इसका तो पता नहीं चल पाया लेकिन इसके बाद पुलिस ने मजदूरों पर फायरिंग शुरू कर दी थी। जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई थी। इसके बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में यह घोषणा किया गया था कि, 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाएगा और इस दिन सभी मजदूरों को काम से अवकाश भी दिया जाएगा। अमेरिका सहित कई देशों ने भी ये घोषणा की कि 8 घंटे काम करने का समय निश्चित कर दिया गया है। इसके बाद से हर साल 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। मौजूदा समय भारत समेच अन्य कई देशों में मजदूरों के 8 घंटे काम करने से संबंधित कानून लागू है।
भारत में पहली बार कब मनाया गया मजदूर दिवस
भारत में मजदूर दिवस पहली बार 1 मई 1923 को चेन्नई में मनाया गया था। इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने की थी। उस वक्त इसे मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था। सिंगरावेलू चेट्यार की अध्यक्षता में मद्रास हाई कोर्ट के सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया गया और यह संकल्प लिया गया कि ये मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। इसके बाद से ही भारत में एक संकल्प के पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में श्रमिक दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। उस वक्त से हर साल देशभर में मजदूर दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है।
आखिर क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि किसी भी देश की तरक्की उस देश के मजदूरों और किसानों पर निर्भर करती है। इस दिन मजदूरों के बारे में उनके हितों के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। ये दिन उन लोगों के नाम समर्पित है, जिन्होंने देश और दुनिया के निर्माण में कड़ी मेहनत कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कहा जाता है कि देश, समाज, संस्था और उद्योग में सबसे ज्यादा योगदान कामगारों, मजदूरों और मेहनतकशों का योगदान होता है।
क्या होता है मजदूर दिवस के दिन?
* दरअसल, मजदूर दिवस के दिन कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की जाती है।
* विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।
* सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में समारोह का आयोजन किया जाता है।
* आपको बता दें कि महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस भी 1 मई को ही मनाने की परंपरा है।
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के इतिहास की समय-सीमा नीचे दी गई है।
1 मई, 1886 : संयुक्त राज्य अमेरिका में, श्रमिक संघों ने हड़ताल की और मांग की कि श्रमिकों को प्रतिदिन आठ घंटे से अधिक काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
4 मई, 1886 : इस हड़ताल के दौरान शिकागो के हेमार्केट में बम विस्फोट हुए। इससे कई लोग और पुलिस अधिकारी मारे गए और घायल हो गए। हालाँकि, हड़ताल का मजदूरों के काम पर कोई तत्काल प्रभाव नहीं पड़ा लेकिन इससे दुनिया के कई देशों में आठ घंटे के कार्यदिवस के नियम को स्थापित करने में मदद मिली।
घटना के बारे में वास्तविक बयान: “विश्वसनीय गवाहों ने गवाही दी कि सभी पिस्तौल की चमक सड़क के केंद्र से आई थी, जहां पुलिस खड़ी थी, और भीड़ में से कोई भी नहीं था। इसके अलावा, प्रारंभिक समाचार पत्रों की रिपोर्टों में नागरिकों द्वारा गोलीबारी का कोई उल्लेख नहीं किया गया। घटनास्थल पर एक टेलीग्राफ का खंभा गोलियों के छेदों से भरा हुआ था, जो पुलिस की दिशा से आ रहे थे।”
1889 : पेरिस में एक बैठक हुई जिसमें मई दिवस को वार्षिक आधार पर मनाने का निर्णय लिया गया। यह रेमंड लविग्ने द्वारा दिए गए एक प्रस्ताव से संभव हुआ जिसमें कहा गया था कि अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनों को शिकागो विरोध प्रदर्शन की सालगिरह मनाने की ज़रूरत है।
1891 में, इंटरनेशनल की दूसरी कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर मई दिवस को एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने को मान्यता दी।
क्या है इस दिवस का उद्देश्य?
किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है। उन की बड़ी संख्या इस की कामयाबी के लिए हाथों, अक्ल-इल्म और तनदेही के साथ जुटी होती है। किसी भी उद्योग में कामयाबी के लिए मालिक, सरमाया, कामगार और सरकार अहम धड़े होते हैं। कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा नहीं रह सकता। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है मजदूरों की उपलब्धियों का सम्मान करना, उनके योगदान की चर्चा करना। उनके अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करना और मजदूर संगठन को मजबूत करना आदि।
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस बुनियादी ढांचे के निर्माण और समाज को आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में श्रमिकों के योगदान को पहचानने के दिन के रूप में कार्य करता है।
* यह हमें बुनियादी अधिकारों को प्राप्त करने और उनकी कार्य स्थितियों में सुधार के लिए उनके संघर्ष और आंदोलन को स्वीकार करने की याद दिलाता है।
* सामाजिक असमानता एक कड़वी सच्चाई है जो आज भी विशेषकर विभिन्न उद्योगों और देशों के श्रमिकों के बीच बनी हुई है।
* मई दिवस श्रमिकों को अपनी आवाज़ उठाने और नीति निर्माताओं और राजनेताओं को सामाजिक न्याय लागू करने के लिए काम करने के लिए कहने में सक्षम बनाता है।
* विभिन्न देशों में, अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस या मई दिवस या श्रमिक दिवस एक आधिकारिक अवकाश है। यह कार्यकर्ताओं की उपलब्धि का जश्न मनाता है।
*.बहुत सारे कार्यक्रम और उत्सव आयोजित किये जाते हैं। यह लोगों में श्रमिकों, उनके संघर्षों और अन्याय के खिलाफ उनकी लड़ाई के बारे में सामाजिक जागरूकता बढ़ाता है।
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस का थीम
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के सदस्यों के द्वारा अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस का थीम बनाया जाता है।
मजदूर दिवस 2024 की थीम
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस 1 मई को मनाया जाएगा और हर साल एक कॉमन ऑब्जर्वेशन थीम है जो मजदूरों के प्रयासों का प्रतीक है। इस साल मजदूर दिवस 2024 का थीम क्या है? International Labour Day 2024Theme है ‘ensuring workplace safety and health amidst climate change‘ यानी जलवायु परिवर्तन के बीच कार्यस्थल सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना।
ऐसे ही कुछ थीम
* वर्ष 2023 के अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस का थीम था ” काम पर एक बुनियादी सिद्धांत और अधिकार के रूप में सुरक्षित और स्वस्थ कामकाजी माहौल”।
* वर्ष 2022 अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस का थीम था “बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण”।
वर्ष 2021 के अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस का थीम थी “लचीली पुनर्प्राप्ति” एक ऐसी दुनिया के लिए जो सबके लिए काम करती है।
* वर्ष 2020 के अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस का थीम थी “श्रमिकों को आर्थिक और सामाजिक उन्नति के लिए एकजुट करना (Uniting the workers for economic as well as social advancement)”।
* वर्ष 2019 के अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस का थीम था “सभी के लिए स्थायी पेंशन: सामाजिक भागीदारों की भूमिका”।
* वर्ष 2018 में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के लिए थीम था “सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए श्रमिकों को एकजुट करना” था।
* अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस 2016 का थीम था “अंतरराष्ट्रीय श्रम आंदोलन मनाना”।
* वर्ष 2017 के अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस का थीम था “अंतरराष्ट्रीय श्रमिक आंदोलन मनाइये”।
* वर्ष 2015 के अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस का थीम था “आइये शांति, एकजुटता और अच्छे कार्यों द्वारा कैमरुन के बेहतर भविष्य का निर्माण करें”।
* अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस 2013 का थीम था “शुरुआती पूँजी सहायता के साथ बेरोज़गार को उपलब्ध कराने के द्वारा कार्य को महत्व दिया जाये।”
* अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस 2012 का थीम था “दूरदर्शी व्यवसायी को मदद के द्वारा रोजगार को बढ़ावा देना।”
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) एक एजेंसी है जो संयुक्त राष्ट्र में उपस्थित है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रमिक मुद्दों को देखने के लिये स्थापित हुयी है। पूरे 193 (यूएन) सदस्य राज्य के इसमें लगभग 185 सदस्य हैं। विभिन्न वर्गों के बीच में शांति प्रचारित करने के लिये, मजदूरों के मुद्दों को देखने के लिये, राष्ट्र को विकसित बनाने के लिये, उन्हें तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिये वर्ष 1969 में इसे नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मजदूर वर्ग के लोगों के लिये अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन की सभी शिकायतों को ये देखता है। इसके पास त्रिकोणिय संचालन संरचना है अर्थात् “सरकार, नियोक्ता और मजदूर का प्रतिनिधित्व करना (सामान्यतया 2:1:1 के अनुपात में)” सरकारी अंगों और सामाजिक सहयोगियों के बीच मुक्त और खुली चर्चा उत्पन्न करने के लिये, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय के रुप में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन सचिवालय कार्य करता है।अंतरराष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन, स्वीकार करना या कार्याक्रम आयोजित करना, मुख्य निदेशक को चुनना, मजदूरों के मामलों के बारे में सदस्य राज्य के साथ व्यवहार, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय कार्यवाही की जिम्मेदारी के साथ ही जाँच कमीशन की नियुक्ती के बारे में योजना बनाने या फैसले लेने के लिये इसके संचालक संस्था को अधिकार है। इसके पास लगभग 28 सरकारी प्रतिनिधि हैं, 14 नियोक्ता प्रतिनिधि और 14 श्रमिकों के प्रतिनिधि हैं।आम नीतियाँ बनाने के लिये, कार्यक्रम की योजना और बजट निर्धारित करने के लिये जून के महीने में जेनेवा में वार्षिक आधार पर ये एक अंतरराष्ट्रीय श्रमिक सभा आयोजित करता है (श्रमिकों की संसद के पास 4 प्रतिनिधि हैं, 2 सरकारी, 1 नियोक्ता और 1 मजदूरों का नुमाइंदा)।
” मेहनत एक मात्र प्रार्थना है जिसका फल एक ना एक दिन प्रकृति जरुर देती है। कर्म ही पूजा है इसलिए इसे पूरी ईमानदारी से करो। जिन्दगी में सफ़ल होने के लिए इतनी मेहनत करों कि अगर भगवान् ने तुम्हारें नसीब में सफ़ल होना न लिखा हो तो उन्हें फिरसे तुम्हारी किस्मत लिखने के लिए मजबूर होना पड़े।”