योग अपनी साँसों पर ध्यान देते हुए विभिन्न मुद्राओं में रहने की कला है। परिणामस्वरूप प्रत्येक योगासन का हमारे स्वसन तन्त्र पर विशेष प्रभाव पड़ता है, जिससे हमारा हृदय भी प्रभावित होता है।
ताड़ासन- ताड़ासन ह्रदय को मजबूती देता है और शरीर में लचीलेपन को बढ़ाता है।
वृक्षासन- वृक्षासन मन को शांत व् संतुलित करता है। शांत मन के लिए यह मुद्रा लाभदायक है। इससे ह्रदय की कार्य प्रणाली बेहतर होती है।
ऊथिताहस्तपादासन- इस मुद्रा में संतुलन बनाए रखने के लिए अधिक ध्यान व् शक्ति की जरुरत होती है।
त्रिकोणासन- यह खड़े रहकर की जाने वाली ह्रदय को खोलने वाली मुद्रा है।यह मुद्रा हृदयवाहिनी तन्त्र को लाभ पहुँचाती है। गहरी साँस लेने से छाती का फैलाव होता है व् सामथ्र्य में बढ़ोतरी होती है।
वीरभद्रासन- वीरभद्रासन शरीर में संतुलन को बेहतर करता है व् सामथ्र्य बढ़ाता है।यह तनाव को कम करने व् मन को शांत करने के साथ साथ हृदय गति को भी नियंत्रित करता है।
उत्कटासन- इस मुद्रा में आपको स्वसन व् ह्रदय गति में बढ़ोतरी महसूस होगी। इससे ऊष्मा व् शक्ति मिलती है।
मार्जारीआसन- यह मुद्रा कुर्सी आसन के बाद बेहद आरामदायक प्रतीत होती है क्योंकि इससे हृदयगति फिर से सामान्य व् लयबद्ध हो जाती है।
अधोमुखोस्वानआसन- यह मुद्रा विश्राम के लिए उपयोग में लाई जाती है जिससे तंत्रिकाओं को शांति व् ऊर्जा मिलती है।
भुजंगासन- यह मुद्रा छाती के फैलाव को बढ़ाती है और इसमें सालम्ब भुजंगासन की तुलना में अधिक शक्ति व् सामथ्र्य की जरुरत होती है।
धनुरासन- पूरे शरीर को गहरा खिंचाव प्रदान करने वाला धनुरासन हृदय क्षेत्र को मजबूती देता है।
सेतुबंधासन- धनुरासन कि तुलना में यह मुद्रा आसान होती है। सेतुबंधआसन गहरी साँस लेने में मदद करता है, छाती के हिस्से में फैलाव व् रक्त संचार को बढ़ाता है।
सालंब सर्वांगासन- कंधो के सहारे खड़े होने पर यह परानुकमपी तन्त्रिका तन्त्र को उतेजित करता है और छातीमें फैलाव लाता है। विश्राम देने के साथ साथ यह मुद्रा ऊर्जावान भी बनाती है।
अर्धमत्सेन्द्रासन- बैठे हुए रीढ़ को आधा मोडऩा पूरे मेरुदंड के लिए काफी लाभदायक है। इससे छाती में फैलाव उत्पन्न होता है।
पश्चिमोतानासन- बैठकर आगे की ओर झुकने से सिर ह्रदय से नीचे आ जाता है, जिससे हृदयगति व् स्वसनगति में कमी आने से विश्राम मिलता है।
दंडासन- उपरोक्त सभी मुद्राओं के विपरीत इस मुद्रा में पीठ को मजबूती मिलती है व् कन्धों और छाती को फैलाव मिलता है।
अर्धपिंचमयूरासन- यह अधो मुखो स्वान आसन से अधिक कठिन है।इससे सामथ्र्य में बढ़ोतरी होती है व् शरीर के ऊपरी भाग को मजबूती मिलती है ताकि हृदय को लाभ पहुचानेवाली मुद्राएँ की जा सके।
मकर अधोमुखशवासन- मकर अधो मुखशवासन से हृदय की पम्पिंग नियमित होती है।
सालंब भुजंगासन- इसमें रीढ़ की हड्डी थोड़ी से मुड़ती है जिससे छाती खुलती है व् फेफड़ों और कन्धों में खिंचाव होता है।
शवासन- सभी योग मुद्राओं के बाद शवासन से गहरा विश्राम मिलता है। इससे शरीर व् स्वांस में सूक्ष्म परिवर्तन आते हैं जो पूर्ण स्वास्थय के लिए बेहद जरूरी है।
अंजुली मुद्रा- यह मुद्रा हृदय को खोलने, मस्तिष्क को शांत रखने के साथ ही तनाव व् व्याकुलता को कम करती है। यह शरीर को प्राणायाम व् ध्यान के लिए बेहतर तैयार करती है।
GOOD MORNING : 20 योग आसन जिससे आपका हृदय रहेगा स्वस्थ
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