छत्तीसगढ़ियों की परम्परा में खास और अहम माना जाता है हरेली त्यौहार. इस साल हरेली त्यौहार श्रावण अमावस्या पर 28 जुलाई को मनाया जाएगा. हरेली तिहार जो खास तौर पर छत्तीसगढ़ में ही मनाया जाता है. यहां हरेली को पहला त्योहार कहा जाता है. हर साल हरेली सावन के अमावस्या को मनाया जाता है. ये त्यौहार छत्तीसगढ़ी जीवन शैली और प्रकृति से जुड़ा हुआ है.
हरेली त्यौहार मध्य भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ का क्षेत्रीय त्यौहार है| जैसा नाम से ही पता चलता है इसका संबंध हरियाली से है| यह प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण का त्यौहार है, जिसे छत्तीसगढ़ में प्रथम त्यौहार के रूप में सामूहिक ढंग से मनाया जाता है| आइए जानते हैं हरेली त्यौहार कैसे मनाते है और हरेली तिहार में क्या करते हैं|
हरेली त्यौहार कब है
हरेली त्यौहार हिन्दुओं के पवित्र महीने श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या को मनाया जाता है| इस दिन छत्तीसगढ़ राज्य में क्षेत्रीय सार्वजनिक अवकाश होता है| ग्रेगोरियन कैलेंडर की बात करें तो यह जुलाई या अगस्त महीने में पड़ता है| इस वर्ष श्रावण माह की अमावस्या 28 जुलाई को है इसीलिए हरेली त्यौहार 2022 में 28 जुलाई को ही मनाया जाएगा|
हरेली यानी कि हरियाली
हरेली का अर्थ होता है हरियाली. इस दिन छत्तीसगढ़ वासी पूजा अर्चना कर पूरे विश्व में हरियाली छाई रहने की कामना करते हैं. उनकी कामना होती है कि विश्व में हमेशा सुख शांति बनी रहे. इस त्यौहार को इन्हीं कामनाओं के साथ अच्छे से पवित्र मन के साथ मनाया जाता है. इसके अलावा इस दिन सभी घरों में सुबह से महिलाएं उठ कर चावल का चीला बनाती हैं. किसान इस दिन अपने किसानी औजारों जैसे फावड़ा, कुदारी, नांगर, गैति आदि की पूजा करते हैं इनमें चीला चढ़ाकर इनकी पूजा की जाती है।
हरेली तिहार का महत्व |
हरेली तिहार छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार है छत्तीसगढ़ में सर्व प्रथम हरेली तिहार को मनाया जाता है।छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है इसे धान का कटोरा कहा जाता है यहां लोग कृषि आधारित जीवकोपार्जन एवं व्यवसाय करते हैं। और हरेली तिहार किसानों के लिए खास महत्व रखता है, हरेली तिहार हरियाली का प्रतीक है जो कि किसानों एवं खेत खलिहानों एवं फसल से सीधा ताल्लुक रखता है। इसलिए छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार का महत्व है।
हरेली में पूजा
इस दिन किसानों हलों की पुजा करते हैं।साथ किसानों के अन्य कृषि से संबंधित औजार एवं उपकरणों की पुजा किया जाता है। इस (त्यौहार में विशेष रूप से कुटकी देवी की पुजा किया जाता है। कुटकी देवी किसानों की समृद्धि प्रदान करती है। एवं अन्य की फसल को आर्शीर्वाद भी देती है।
इस वर्ष भी कोरोना संकट के कारण कुछ कम उमंग है लेकिन हरेली मनाया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष आयोजन किया जा रहा है। क्योंकि यह किसान पर्व है साथ ही गायों की सेवा भी करने के लिए इस बार गौठान में गायो की पुजा कि जा रही है। साथ ही विेशेष आयोजन किसानों एवं गांव में किया जा रहा है।
हरेली त्यौहार की परम्पराएं
हरेली त्यौहार एक कृषि त्यौहार है जो छत्तीसगढ़ राज्य में ग्रामीण किसानों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है| इस लोकप्रिय त्यौहार का नाम हरेली, हिंदी के शब्द “हरियाली” से आया है| श्रावण माह में भारत में मॉनसून आया रहता है जिसके कारण बारिश होने से चारों तरफ हरियाली होती है| इस समय किसान लोग अपनी अच्छी फसल की कामना करते हुए कुल देवता एवं ग्राम देवता की पूजा करते हैं| इस दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के किसान अपने उपकरणों की पूजा करते हैं| हरियाली और प्रकृति से जुड़े इस हरेली त्यौहार के दिन किसान अच्छी और भरपूर फसल की कामना करते हैं| हरेली त्यौहार के दौरान लोग अपने-अपने खेतों में भेलवा के पेड़ की डाली लगाते हैं| इसी के साथ घरों के प्रवेश द्वार पर नीम के पेड़ की शाखाएं भी लगाई जाती हैं| नीम में औषधीय गुण होते हैं जो बीमारियों के साथ-साथ कीड़ों से भी बचाते हैं|हरेली के दिन बच्चे सुबह से ही गेड़ी की तैयारी में जुट जाते हैं| यह गेड़ी बांस से बनी होती है जिसमें पैर रखने के खांचे होते हैं| इसमें चढ़कर बच्चे खेत के चक्कर लगाते हैं|
बैलों और हल की करते हैं पूजा
हरेली तिहार को पूरे छत्तीसगढ़ में में मनाया जाता है. इस दिन किसान बैलों और हल की विशेष पूजा करते हैं. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में हरेली पर्व का विशेष महत्व होता है. अन्नदाता अपने बैलों और हल के साथ- साथ विभिन्न औजारों की विशेष पूजा करते हैं. पूजा करने के पश्चात ही वे खेती-किसानी का काम शुरू किया करते हैं।
हरेली पर्यावरण के प्रतीक हैं घर-घर में नए संदेश देते हैं🌱🌴🌿
हरेली पर्व के दिन घर-घर में नीम की टहनी लगाकर पर्यावरण बचाने के लिए और उनकी रक्षा करने का एक संदेश देते हैं।जो बैगा लोग होते हैं, वह घरों में जाकर दरवाजों में नीम 🌿की टहनी को लगाते हैं।और नीम की डाली लगाने का मेन उद्देश्य होता है। कि घर घर में हरियाली हमेशा छाई रहे पर्यावरण भी बचे रहे और हम खुशहाली से अपना जीवन जी सके।
नारियल फेक खेल का आयोजन
गावं एवं कस्बों में हरेली त्यौहार में विशेष प्रकार का आयोजन किया जाता है गावं के चौराहे, चौक में नारियल फेंक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है बड़ी संख्या मे दर्शक हो जाने से यह बड़ा ही रोमांचक खेल हो जाता है इसके अंत में विजेता को पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है।
हरेली तिहार में विभिन्न रस्में
* इस दिन दइहान में पशुधन को चावल आटे की लोंदी खिलाने की परंपरा है|
* घर में अंगाकर रोटी, बरा-सोहारी एवं गुड़ का चीला बनाने की भी रस्म है|
* इस दिन प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करते हुए और वर्ष में अच्छी फसल की कामना करते हुए किसान अपने कुल देवता एवं ग्राम देवता की पूजा करते हैं|
* हरेली त्यौहार के दिन कृषि उपकरण एवं औजारों की पूजा की जाती है|
* बच्चे इस दिन गेड़ी चढ़कर खेतों के चक्कर लगाते हैं| इसी के साथ खो-खो और नारियल फेंक प्रतियोगिता का आयोजन भी इस दिन किया जाता है|
* लोहार जाति के लोग इस दिन अपने घर को अनिष्ट शक्तियों से बचाने के लिए घर के हर दरवाजे पर पाती ठोंकते हैं| पाती लोहार द्वारा बनाया एक लोहे का नोकीला कील होता है|
* कई लोगों में यह अंधविश्वास है कि श्रावण अमावस्या की रात को घर से नहीं निकलना चाहिए| माना जाता है कि इस दिन अनिष्ट शक्तियां तंत्र-साधना और जादू-टोना सिद्ध करती हैं इसलिए इनसे रक्षा हेतु घर के बाहरी दीवारों पर गोबर से प्रेत बनाया जाता है और घर के दरवाजे पर पाती ठोका जाता है, ताकि यह शक्तियां इसे भेद न सकें|
छत्तीसगढ़ में इस तरह मनाया जाएगा हरेली त्यौहार
छत्तीसगढ़ सरकार इस वर्ष हरेली तिहार को बड़े ही उल्लास के साथ मनाएगी। स्कूलों में इस दिन गेड़ी नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर स्कूल शिक्षा सचिव ने सभी कलेक्टरों व जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। बतादें कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में हरेली तिहार को राज्य में परंपरागत ढंग से मनाने को लेकर चर्चा की गई थी। मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी स्कूलों में हरेली पर्व के अवसर पर विद्यार्थियों के मध्य गेड़ी नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन करने के निर्देश दिए थे। इसके तहत सभी प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों, आश्रम शालाओं और छात्रावासों आदि में स्थानीय जनप्रतिनिधि, शाला प्रबंधन समिति, स्थानीय कला एवं संगीत मंडलियों की सहायता से हरेली त्यौहार का विशेष आयोजन होगा।इस प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को विशेष तौर पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले प्रगतिशील कृषक प्रतिनिधियों के हाथों पुरस्कृत कर प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ की पारंपरिक व्यंजन बनाने की भी होगी प्रतियोगिता
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशा के अनुसार कृषि विभाग गौठान में हरेली तिहार के आयोजना की तैयारी में जुट गया है. इस त्योहार में बड़ी संख्या में ग्रामीण हिस्सा लेंगे. इसके लिए गौठानों में गेड़ी दौड़, कुर्सी दौड़, फुगड़ी, रस्साकशी, भौंरा, नारियल फेंक जैसे प्रतियोगिताएं कराई जाएंगी. इसके अलावा छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजन बनाने की भी स्पर्धाएं होंगी. इसमें राज्य की प्रमुख व्यंजन चीला, बड़ा, सोहारी, गुलगुला भजिया बनाई जाएगी।
पशु रोका-छेका अभियान को लेकर भी होगी चर्चा
गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. अय्याज तम्बोली ने सभी कलेक्टरों और संभागायुक्तों को पत्र लिखकर गौठानों में पारंपरिक कार्यक्रम के साथ ही गौठान प्रबंधन समिति, स्व-सहायता समूह, ग्रामीण जनप्रतिनिधियों से हरेली तिहार के दिन गौठानों में कार्यक्रमों के आयोजन की रूपरेखा के संबंध में चर्चा करने को कहा है. हरेली तिहार के दिन गौठानों में पशुओं के स्वास्थ्य परीक्षण और टीकाकरण के लिए विशेष कैंप का भी आयोजन किया जाएगा. गौठानों में पशुओं को नियमित रूप से भेजने, खुले में चराई पर रोक लगाने और पशु रोका-छेका अभियान में सभी ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी को लेकर भी चर्चा की जाएगी।
हरेली तिहार छत्तीसगढ़ सरकार की पहल
* 4 रूपये लिटर में गौ-मुत्र की खरीदी 28 जुलाई 2022 से प्रारंभ की जा रही है।
* सरकारी स्कूल में गेड़ी प्रतियोगिता कर हरेली तिहार मनाया जा रहा है।
* हरेली त्योहार’ के दिन गौठानों में पारंपरिक खेलों का किया जाएगा आयोजन
* प्रथम चरण में जिले के दो गौठन खोखरा व तिलाई में शुरू होगी गौ मूत्र की खरीदी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को दी हरेली तिहार की बधाई और शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को हरेली तिहार की बधाई और शुभकामनाएं दी है। हरेली की पूर्व संध्या पर जारी अपने शुभकामना संदेश में श्री बघेल ने कहा है कि हरेली छत्तीसगढ़ के जन-जीवन में रचा-बसा खेती-किसानी से जुड़ा पहला त्यौहार है। इसमें अच्छी फसल की कामना के साथ खेती-किसानी से जुड़े औजारों की पूजा की जाती है। इस दिन धरती माता की पूजा कर हम भरण पोषण के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं।
छत्तीसगढ़ की इस गौरवशाली संस्कृति और परम्परा को सहेजने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने हरेली त्यौहार के दिन सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया है।