इस साल गणेश चतुर्थी पर्व 2 सितंबर से शुरू हो रहा है जो कि 12 सितंबर तक चलेगा। कई बार अनजाने में गलत जगह या वास्तु के अनुसार गलत दिशा में गणेशजी की मूर्ति स्थापित हो जाती है। इसके कारण पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता। गणेश जी की ऐसी मूर्ति घर लानी चाहिए जो शास्त्रों के अनुसार सही हो। यानी पुराणों और ग्रंथों में जैसा गणेशजी का स्वरूप बताया गया है उनकी मूर्ति भी वैसी ही होनी चाहिए। गणेशजी की मूर्ति जनेऊ, रंग, सूंड, वाहन, अस्त्र -शस्त्र , हाथों की संख्या और आकृति जैसी कुछ खास बातों को ध्यान में रखकर खरीदनी चाहिए।
- मूर्ति स्थापना में रखें इन बातों का ध्यान
01. गणेश जी को विराजमान करने के लिए ब्रह्म स्थान, पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व कोण शुभ माना गया है, लेकिन भूलकर भी इन्हें दक्षिण और दक्षिण पश्चिम कोण यानी नैऋत्य में नहीं रखें, इससे हानि होती है।
02. घर या आफिस में एक ही जगह पर गणेश जी की दो मूर्ति एक साथ नहीं रखें। वास्तु विज्ञान के अनुसार इससे उर्जा का आपस में टकराव होता है जो कि अशुभ फल का कराण बनता है।
03. गणेश जी की स्थापना के समय ये ध्यान रखें कि मूर्ति का मुख दरवाजे की तरफ नहीं होना चाहिए। ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि गणेश जी के मुख की तरफ समृद्धि, सिद्धि, सुख और सौभाग्य होता है।
- ग्रंथों के अनुसार होनी चाहिए गणेश जी की प्रतिमा
01. मिट्टी के गणेशजी की मूर्ति घर लानी चाहिए या मिट्टी से खुद बनानी चाहिए। प्लास्टर ऑफ पेरिस या अन्य केमिकल्स के उपयोग से बनी मूर्तियों की पूजा नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा सफेद मदार की जड़ से बने गणेशजी की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है। वहीं धातुओं में सोना, चांदी या तांबे की मूर्तियों की भी पूजा कर सकते हैं।
02.बैठे हुए गणेशजी की प्रतिमा लेना शुभ माना गया है। ऐसी मूर्ति की पूजा करने से स्थाई धन लाभ होता हैं और कामकाज में आने वाली रुकावटें भी खत्म हो जाती हैं।
03. गणेशजी को वक्रतुंड कहा जाता है। इसलिए उनकी सूंड बांई और मुड़ी हुई होनी चाहिए। ऐसी प्रतिमा की पूजा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और संकटों से छुटकारा मिल जाता है।
04. जिस मूर्ति में गणेश जी के कंधे पर नाग के रूप में जनेऊ न मौजूद हो। ऐसे मूर्ति को कभी भी नहीं लेना चाहिए।
05. जिस मूर्ति में गणेशजी का वाहन न हो ऐसे प्रतिमा की पूजा करने से दोष लगता है।
06. शास्त्रों में गणेशजी को धूम्रवर्ण बताया गया है, यानी गणेशजी का रंग धुएं के समान है। इसलिए गणेशजी की ऐसी मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए।
07. गणेशजी को भालचंद्र भी कहते हैं, इसलिए गणेशजी की ऐसी मूर्ति की पूजा करनी चाहिए जिनके भाल यानी ललाट पर चंद्रमा बना हुआ हो।
08. गणेशजी की ऐसी मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए जिसमें उनके हाथों में पाश और अंकुश दोनों हो। शास्त्रों में गणेश जी के ऐसे ही रूप का वर्णन मिलता है।