नई दिल्ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने संविधान दिवस के मौके पर संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। मोदी ने कहा, ‘‘डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 25 नवंबर 1949 को याद दिलाया था कि भारत पहली बार 1947 में आजाद हुआ है या फिर 29 जनवरी 1950 में गणतंत्र हुआ है। ऐसा नहीं है। हमारे यहां पहले भी गणतंत्र था। हमने पहले भी आजादी गंवाई है और गणतंत्र भी। बाबा ने याद दिलाया – हम गणतंत्र हुए हैं, क्या हम आजादी बनाए रख सकते हैं। आज बाबा होते तो उन्हें खुशी होती। आज भारत ने उनके सवालों का न सिर्फ जवाब दिया है बल्कि भारत ने खुद को सशक्त और अक्षुण बना रखा है। मैं विशेष तौर 130 करोड़ भारतीयों के प्रति नतमस्तक हूं। उन्होंने कभी भी इसे झुकने नहीं दिया। इसे उन्होंने मार्गदर्शन माना। देशवासियों ने संविधान पर आंच नहीं आने दी। संविधान की मजबूती के कारण एक भारत-श्रेष्ठ भारत बना पाए हैं।’’ वहीं, विपक्ष ने संबोधन का विरोध किया।
मोदी ने कहा, ‘‘आज ही के दिन 70 साल पहले संविधान के एक-एक अनुच्छेद पर चर्चा हुई। संकल्पों पर चर्चा हुई। यह सदन ज्ञान का महाकुंभ था। भारत के हर कोने में सपनों को मढ़ने का प्रयास हुआ था। राजेंद्र प्रसाद, आचार्य कृपलानी, हंसा मेहता, गोपाल स्वामी आयंगर ने प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष योगदान देकर ये महान विरासत हमें सौंपी हैं। आज मैं उन सभी को नमन करता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘संविधान की भावना एक पंथ है। यह हमारा पवित्र ग्रंथ है। ऐसा ग्रंथ जिसमें हमारा जीवन, मूल्य, व्यवहार, परंपरा आदि का समावेश हैं। साथ ही इसमें चुनौतियों का समाधान भी है। इसमें बाहरी प्रकाश के लिए खिड़कियां खोल रखी है और अंदर के प्रकाश को अधिक प्रज्वलित करने का अवसर दिया है। मैंने लाल किले की प्राचीर से जो कहा था उसे मैं दोहराता हूं। डिग्निटी फॉर इंडियन और यूनिटी फॉर इंडिया। इसने भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण बना रखा है। संविधान में ही अधिकार की बात है और कर्तव्यों का अनुपालन भी हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘राजेंद्र बाबू ने कहा था कि जो संविधान में लिखा नहीं है, उसे आपस में सहमति से पूरा करना है। समाज में ऐसी व्यवस्था बन गई थी जिससे एक बड़े वर्ग को वंचित रखा गया था। आज समय की मांग है कि हमें अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों और दायित्वों पर मंथन करना ही होगा। दायित्वोें को पूरा किए बिना इसे बनाए नहीं रख सकते। आज देश बापू के 150वीं का जंयंती मना रहे हैं तो उन्हें याद करना जरूरी है। गांधी जी ने एक कदम आगे बढ़कर कहा था कि नागरिकों के कर्तव्यों के बारे में बात करते हैं।’’
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, ‘‘आज संविधान में उल्लेखित बातों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। मौलिक कर्तव्य को सभी लोगों को निभाना चाहिए। नागिरक अपने मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी पालन करें। रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म हमारा लक्ष्य होना चाहिए। महान संविधान देने के लिए बाबा साहेब अंबेडकर को धन्यवाद देता हूं। हमें देश की एकता और अखंडता के लिए काम करना चाहिए। विविधता में एकता भारत की पहचान है। अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति का उत्थान पहले होना चाहिए। हमें अपने मातृभाषा की इज्जत करनी चाहिए। हमें इसे प्रमोट, करना चाहिए। देश के सार्वजनिक संपत्ति को बचाए रखने की जरूरत है। इससे लोगों की जरूरतें पूरी होती है और देश सुचारू रुप से चल पाता है। लोगों को अपने मौलिक कर्तव्य के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। सभी स्कूलों में इसको लेकर पढ़ाया जाना चाहिए।’’
मोदी ने संसद के संयुक्त सत्र में कहा : संविधान की मजबूती के कारण ही एक भारत श्रेष्ठ भारत बना पाए
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