भिलाई। गौठानों के संचालन को लेकर गौठान समितियों के कार्यों की रूपरेखा के संबंध में समझ बढ़ाने जिला पंचायत दुर्ग के सभाकक्ष में कार्यशाला का आयोजन हुआ। इसमें नरवा, गरुवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के तकनीकी पक्षों पर मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने विस्तार से जानकारी दी। श्री शर्मा ने बताया कि गौठान समितियों की सक्रियता से गौठानों का काम सफलतापूर्वक संपन्न होगा। इसके लिए आवश्यक है कि गौठान समिति योजना की बारीकियों के बारे में पूरी तरह अवगत हो। गौठानों के दिन-प्रतिदिन के कार्यों के प्रबंधन के लिए, गौठान से प्राप्त उत्पादों की मार्केटिंग एवं इसके विक्रय की व्यवस्था बनाने एवं इनसे जुड़े कागजातों के संधारण के लिए गौठान समिति प्रबंधक रख सकेगी। प्रबंधक की नियुक्ति अस्थायी रूप से छह महीनों के लिए होगी। यह कार्य स्वसहायता समूहों को भी सौंपा जा सकता है। यह समयावधि समिति के निर्णय के पश्चात बढ़ाई भी जा सकती है। श्री शर्मा ने बताया कि प्रबंधक की नियुक्ति से गौठान समितियां गौठान के एजेंडे को मूर्त रूप प्रदान कर सकेंगी। प्रबंधकों को जिला स्तरीय एवं राज्य स्तर पर होने वाली वर्कशाप में भेजा जा सकेगा जहां पर नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के संबंध में विशेष रूप से विमर्श होता हो। श्री शर्मा ने कहा कि गौठानों में गोधन की वजह से गोबर का प्रचुर मात्रा में उत्पादन होगा। जैविक खाद की डिमांड मार्केट में तेजी से बढ़ रही है। गौठान समिति इसके मार्केट लिंकेज के संबंध में भी कार्य करेगी और गोबर के अन्य उत्पादों के निर्माण के संबंध में भी कार्य करेगी। श्री शर्मा ने बताया कि कई गौठानों में गोबर के अनेक तरह के उत्पाद बनाये जा रहे हैं जिनका सफलतापूर्वक विपणन बाजार में किया जा रहा है यह सफल व्यावसायिक माडल के रूप में उभर सकता है और इससे प्राकृतिक संसाधनों का सहज रूप से विकास भी हो सकेगा। कलेक्टर अंकित आनंद ने बताया कि इस संबंध में गौठान समितियों की बैठक में और ग्रामीणों से विमर्श के दौरान लगातार यह चर्चा की जा रही है कि किस तरह से पशुधन की असीमित संभावनाओं का हम ग्रामीण विकास के लिए उपयोग कर सकते हैं और इस दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। श्री आनंद ने बताया कि नालों के संवर्धन के लिए रिज टू वैली तकनीक अपनाई गई है। पानी की उपलब्धता, अच्छा चारा और नस्ल संवर्धन से पशुधन ग्रामीण क्षेत्रों में सुदृढ़ आर्थिक व्यवस्था का बड़ा आधार बन जाएगा। श्री शर्मा ने कहा कि गौठान समिति के बैठकों में प्रबंधक के कार्यों का सतत मूल्यांकन भी किया जाएगा ताकि प्रबंधक व्यावसायिक माडल और सफल आर्थिक माडल के रूप में गौठानों को खड़ा कर सके।
श्री शर्मा ने कहा कि पशुधन की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए नस्ल संवर्धन बेहद जरूरी है। बीते दिनों गौठानों में इस कार्य को किया जा रहा है। आने वाले समय में इसके बहुत अच्छे नतीजे आएंगे और दूध उत्पादन में छत्तीसगढ़ में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की जाएगी। चारागाहों के प्रोत्साहन और इनमें नैपियर जैसे घास को प्रोत्साहित करने से पशुओं को पौष्टिक आहार मिल सकेगा। नस्ल संवर्धन और पौष्टिक चारा इन दो बातों की वजह से पशुधन आर्थिक उन्नति का सबसे बड़ा माध्यम बन जाएगा। जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र ठाकुर ने बताया कि जलसंवर्धन, बाड़ी विकास और चारागाह विकास की दिशा में युद्धस्तर पर कार्य किए जा रहे हैं और गौठान समितियों के साथ लगातार बैठकर तकनीकी बातों को साझा किया जा रहा है ताकि अच्छे परिणाम हासिल हो सके।
प्रोफेशनल तरीके से संचालित होंगे गौठान…. गोधन से जुड़े उत्पादों को प्रमोट करने का भी करेंगे कार्य
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