दुनिया भर में लाखों लोग आज भी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए इंतजार कर रहे हैं| हालाँकि, दुनिया पहले से समृद्ध हो गई है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं और प्रौद्योगिकियों, जैसे टीके और एंटीबायोटिक दवाओं तक अधिक पहुंच हुई है, लेकिन फिर भी सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (Universal Health Coverage) का लक्ष्य अभी भी पाना बाकी है| भारत भी सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर किसी की, हर जगह, वित्तीय कठिनाई का सामना किए बिना आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच हो| इसी उद्देश्य से कि विश्वभर में प्रत्येक व्यक्ति स्वास्थ्य के मानव अधिकार से लाभान्वित हो, हर साल यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे मनाया जाता है| आइये जानते हैं कब मनाया जाता है यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे और क्या है इस वर्ष का विषय…
दुनिया भर में कभी वित्तीय कारणों, कभी इलाज या चिकित्सकों के अभाव तो कभी जानकारी या जागरूकता के अभाव सहित बहुत से कारणों से लाखों लोग समय पर जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं. भले ही समय से साथ चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर काफी विकास हुआ है, लेकिन अभी भी हर व्यक्ति के लिए तमाम जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं तक सरल पहुंच संभव नहीं हो पाई है. दुनिया के हर कोने में हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा इसके लिए ना सिर्फ वित्तीय बल्कि हर संभव तरह से उनकी मदद के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से दुनियाभर में हर साल 12 दिसंबर को “यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे/ सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस” मनाया जाता है. इस वर्ष यह दिवस पूर्ण यानी सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में आगे बढ़ने में आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर विचार करने तथा इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए संबंधित प्रणालियों से आह्वान करने के उद्देश्य से “सभी के लिए स्वास्थ्य: कार्रवाई का समय” थीम पर मनाया जा रहा है.
यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे कब मनाया जाता है
यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज) यह सुनिश्चित करता है हर जगह सभी लोग, किसी भी वित्तीय कठिनाई के बिना गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त कर सकें| प्रत्येक वर्ष हर किसी को साथ लेकर चलने और एक मजबूत, न्यायसंगत स्वास्थ्य प्रणालियों का आह्वान करने के लिए 12 दिसंबर को यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे के रूप में मनाया जाता है| दरअसल 12 दिसंबर 2012 को संयुक्त राष्ट्र ने सर्वसम्मति से एक ऐतिहासिक प्रस्ताव का समर्थन किया जिसमें अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए सभी देशों से एक आवश्यक प्राथमिकता के रूप में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) की दिशा में प्रगति में तेजी लाने का आग्रह किया गया था| 2014 में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज गठबंधन 12 दिसंबर को यूएचसी दिवस (UHC Day) के रूप में मनाना शुरू किया, ताकि नेताओं को #HealthForAll के अपने वादे के लिए जवाबदेह ठहराया जा सके| ज्ञात हो #हेल्थ फॉर ऑल सतत विकास लक्ष्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र 2030 एजेंडा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे भारत भी प्राप्त करने का लक्ष्य रख रहा है| वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर 12 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस के रूप में नामित कर दिया|
यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे का इतिहास
वर्ष 2012 में 12 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा सर्वसम्मति से अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए सभी देशों से एक आवश्यक प्राथमिकता के रूप में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज की दिशा में प्रयास बढ़ाने को लेकर एक ऐतिहासिक प्रस्ताव का समर्थन किया था. इसके उपरांत वर्ष 2014 में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज गठबंधन द्वारा 12 दिसंबर को ‘यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज दिवस’ मनाया गया था. इस अवसर पर #हेल्थ फॉर ऑल , के तहत इस दिशा में सतत विकास के लक्ष्य को संयुक्त राष्ट्र 2030 एजेंडा के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में शामिल किया गया था. इसके उपरांत वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर 12 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस के रूप में नामित किया था।
आयोजन का उद्देश्य
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस के आयोजन के मुख्य उद्देश्यों की बात करें तो उनमें लोगों की आय के स्तर, सामाजिक स्थिति, लिंग, जाति या धर्म को किनारे करते हुए सभी नागरिकों के लिए समान व न्यायसंगत सुविधाओं की उपलब्धता के लिए प्रयास करने, इस दिशा में उनकी आर्थिक मदद के लिए प्रयास करने व इसके लिए उन्हें बीमा खरीदने व इलाज व दवाओं का बिल भरने में मदद करने वाली सहूलियतों के बारे में जागरूक करने, आम जन में हर रोग तथा उसकी जांच व इलाज को लेकर जागरूकता फैलाने तथा चिकित्सा सुविधाओं व उपचार की हर जन तक उपलब्धता के साथ इलाज के उपरांत जरूरतमंदों के पुनर्वास, देखभाल तथा रोकथाम के लिए प्रयास करना आदि शामिल हैं. गौरतलब है कि हर जन तक जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता की दिशा में प्रगति के साथ ही सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज से लोगों को कई अन्य व्यक्तिगत व सामाजिक लाभ भी मिलते हैं. जैसे जनसंख्या के स्वास्थ्य में सुधार, गरीबी में कमी, नौकरियों में बढ़ोत्तरी तथा वित्तीय सुरक्षा आदि।
यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे 2023 की थीम
इस वर्ष के यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे 2023 की थीम है – हेल्थ फॉर ऑल: टाइम फॉर एक्शन. यह मूल रूप से उन विशेष कामों का आह्वान है जो स्वास्थ्य प्रणालियों के लचीलेपन पर ध्यान केंद्रित करते हैं. इस दिन, डब्ल्यूएचओ सरकारों से स्वास्थ्य प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ाने और एक अशांत दुनिया में सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए निवेश करने का आह्वान करता है। 2019 में, विश्व के नेताओं ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय बैठक में स्वास्थ्य पर सबसे महत्वाकांक्षी और व्यापक राजनीतिक घोषणा का समर्थन किया था| अब वर्ष 2023 में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) पर उच्च स्तरीय बैठक होनी है| इस बैठक से पहले इस साल के यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज दिवस (Universal Health Coverage Day 2022 Theme) का विषय, यूएचसी पर महत्वाकांक्षी, कार्रवाई योग्य प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का आह्वान करता है:
सभी के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य का निर्माण करने के लिए, हमें अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने की जरुरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इससे हर किसी की स्वास्थ्य जरूरतें पूरी हो रही हैं| सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज संगठनों, निजी क्षेत्र, शिक्षाविदों और मीडिया को नेताओं, हमारी स्वास्थ्य प्रणालियों और खुद को सभी के लिए स्वास्थ्य के वादे के प्रति जवाबदेह रखने के लिए इस वर्ष के विषय का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है|
यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे का महत्व
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस के महत्व तथा इस दिशा में लगातार प्रयासों की जरूरत को लेकर बात करें तो स्वास्थ्य देखभाल की दिशा में ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिनकी बेहतरी दिशा में लगातार प्रयासों की जरूरत है . जैसे चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी, अलग-अलग देशों के स्वास्थ्य मद में बजट में कमी तथा जरूरी चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता में कमी आदि. सिर्फ अपने देश की बात करें तो विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में फिलहाल चिकित्सकों , नर्सों व स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या जरूरत के मुताबिक नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंड के अनुसार हर 1,000 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन भारत में प्रत्येक 1,445 लोगों पर केवल एक डॉक्टर उपलब्ध है. इसके अलावा 60 फीसदी ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में केवल एक-एक चिकित्सक उपलब्ध है, जबकि लगभग 5 फीसदी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक भी चिकित्सक नहीं है. वहीं देश में नर्सों की भी काफी ज्यादा कमी है. इसके अलावा अलग-अलग कारणों से पिछले सालों में रोगों तथा रोगियों दोनों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले कुछ सालों में लोगों में हृदय रोगों व मधुमेह जैसी कोमोरडीबीटीयों, सांस की बीमारी, कैंसर तथा कुछ अन्य जटिल बीमारियों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिसका असर बीमारी के कारण होने वाली मृत्यु की दर पर भी पड़ रहा है. आंकड़ों की माने तो पिछले कुछ सालों में औसतन 30 वर्ष से ज्यादा तथा 70 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य कारणों से मरने का जोखिम पहले के मुकाबले बढ़ गया है. लेकिन चिंता की बात यह है कि अभी भी अलग-अलग कारणों से दुनिया की कम से कम आधी आबादी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाती है।
सरकारी प्रयास
गौरतलब है कि इस दिशा में प्रयास के तहत भारत सरकार द्वारा कई तरह की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, जननी सुरक्षा योजना, मिशन इंद्रधनुष, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति –2017, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, कर्मचारी राज्य बीमा योजना, केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस), आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन तथा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आदि. इन तथा कई अन्य योजनाओं के माध्यम से नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा तथा जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कराने तथा स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में बेहतरी के लिए प्रयास किया जाता है. इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा कई अन्य अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थाओं द्वारा भी देश विदेश में इस दिशा में सतत प्रयास किये जा रहे हैं। भारत सरकार ने 2018 में आयुष्मान भारत – भारत का स्वास्थ्य मिशन शुरू किया जिसका उद्देश्य अपनी दो पूरक योजनाओं (हेल्थ एंड वैलनेस सेण्टर और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) के माध्यम से गरीब और कमजोर परिवारों को स्वास्थ्य देखभाल और वित्तीय जोखिम सुरक्षा तक मुफ्त पहुंच प्रदान करना है|
अब जब वैश्विक समुदाय ने पूरी दुनिया के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत किया है, तो यह तत्काल और ठोस कदम उठाने का समय है जो प्रगति को पटरी पर लाएगा। आइए अपने नेताओं से ऐसी नीतियां बनाने का आग्रह करें जो वित्तीय कठिनाई के बिना आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुंच की गारंटी दें और यह सुनिश्चित करें कि अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण कुछ लोगों के लिए विशेषाधिकार नहीं है बल्कि सभी के लिए एक अधिकार है।