शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि 22 अक्तूबर, रविवार को है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना की जाती है। वैसे तो नवरात्रि की हर एक तिथि का विशेष महत्व होता है, लेकिन अष्टमी तिथि विशेष मानी जाती है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी या महाअष्टमी का त्योहार बहुत जोर शोर से मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी दुर्गा अष्टमी तिथि पर ही असुरों का संहार करने के लिए प्रकट हुई थीं। इसके अलावा इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। आइए जानते हैं दुर्गा अष्टमी की तिथि,महत्व, शुभ मुहूर्त, पारण समय, पूजा विधि, मंत्र सभी के बारे में।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो गई थी, जो 23 अक्टूबर को नवमी तिथि के साथ समाप्त होगी। शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व है। इन्हें महाष्टमी और महानवमी भी कहा जाता है। अष्टमी के दिन महागौरी और नवमी के दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही इन दिनों में कन्या पूजन करने शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जानिए अष्टमी और नवमी तिथि के दिन किस समय करें कन्या पूजन, साथ ही जानें विधि।
कब है कन्या पूजन?
शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करने का विशेष महत्व है। इसलिए 22 और 23 अक्टूबर को कन्या पूजन कर सकते हैं।
महाष्टमी व्रत का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी के रुप में मनाया जाता है। नवरात्रि में अष्टमी तिथि को महाष्टमी कहा जाता है। इस दिन मां दुर्गाकी महागौरी के रुप में पूजा होती है। इस दिन देवी के अस्त्रों के रुप में पूजा होती है इसलिए इसे कुछ लोग वीर अष्टमी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा अर्चना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और आपके सभी दुखों को दूर करती हैं।
महा अष्टमी कन्या पूजन 2023 में शुभ मुहूर्त
आश्विन शुक्ल की दुर्गाष्टमी 21 अक्टूबर 2023 को रात 09 बजकर 53 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 22 अक्टूबर 2023 को शाम 07 बजकर 58 मिनट पर समाप्त रही है। ऐसे में अष्टमी के दिन सुबह से लेकर दोपहर तक कन्या पूजन कर सकते हैं।
अष्टमी तिथि आरंभ: 21 अक्तूबर रात्रि 9:53 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 22 अक्तूबर सायं 7:58 बजे
उदया तिथि के अनुसार 22 अक्तूबर को दुर्गाअष्टमी मनाई जाएगी
ब्रह्म मुहूर्त: 22 अक्तूबर , प्रातः 4:45 बजे से 5:35 बजे तक
विजय मुहूर्त: 22 अक्तूबर, दोपहर 1:59 बजे से 2:44 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रातः 6:26 बजे से सायं 6:44 बजे तक है
कन्या पूजन के समय: 22 अक्तूबर, प्रातः 6:26 बजे से कन्या पूजन कर सकते हैं।
महानवमी कन्या पूजन 2023 का शुभ मुहूर्त
आश्विन शुक्ल की महानवमी तिथि 22 अक्टूबर 2023 को शाम 07 बजकर 58 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 23 अक्टूबर 2023 को शाम 05 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी।
सुबह का मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 7 बजकर 51 मिनट तक
दोपहर का मुहूर्त – दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 2 बजकर 55 मिनट तक
महाष्टमी 2023 शुभ योग
धृति – 21 अक्टूबर, 12.37 AM – 22 अक्टूबर, 9.53 PM
रवि योग – 22 अक्टूबर, 06.44 – 23 अक्टूबर, 6.27
सर्वार्थ सिद्धि – 6.26 AM – 6.44 PM
कन्या पूजन विधि
कन्या पूजन करने के लिए एक दिन पहले ही कंजक को निमंत्रण दिया जाता है। ऐसे में अगर आप अष्टमी को कन्या पूजन कर रहे हैं, तो सप्तमी के दिन कन्याओं को सम्मान के साथ न्योता देकर आएंगे। इसके बाद दूसरे दिन श्रद्धा के साथ उन्हें अपने घर लेकर लाएं। फिर एक बड़ी थाली या अन्य पात्र में में पानी में थोड़ा सा दूध और फूल डाल दें और कन्याओं के पैर धोकर साफ कपड़े से पोंछ दें। दें। इसके साथ ही उनके पैर छुएं। अब कन्याओं को आसन बिछाकर बिठाएं और माथे में हल्का घी लगाने के साथ सिंदूर लगाएं। इसके बाद अक्षत लगाएं और फूल अर्पित करने के साथ चुनरी पहनाएं। इसके बाद उन्हें भोजन परोसे। आप उन्हें पूरी, चना, हलवा या फिर अपनी योग्यता के साथ खाना खिलाएं। भोजन करने के बाद कन्याओं को गिफ्ट्स के साथ कुछ पैसे दें और पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और भूल चूक के लिए माफी मांग लें। अंत में कन्याओं के हाथ में थोड़े-थोड़े कच्चे चावल दें और घर में मौजूद महिला अपने पल्लू में उन्हे ले लें। इसके बाद कन्याओं को सम्मान के साथ विदा करें। कन्याओं को विदा करने के बाद चावल और पैर धोएं हुए पानी को पूरे घर में छिड़क दें।
मां महागौरी मंत्र
* ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो। कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥
* श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
* श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
* या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
शारदीय नवरात्रि कन्या पूजन के नियम
* कन्या पूजन के लिए सबसे अच्छा दिन नवमी और अष्टमी माना जाता है।
* कन्या पूजन के लिए 2 से 10 साल की लड़कियों को बुलाना शुभ होता है।
* कन्याओं के साथ एक छोटे लड़के को अवश्य बुलाएं। जिन्हें ‘लंगूर’ कहा जाता है।
* कन्याओं को भोजन कराने से पहले मां दुर्गा को भोग अवश्य लगाएं।
* भोजन सात्विक बनाएं। इसमें लहसुन-प्याज का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।
* कन्याओं को सम्मान के साथ भोजन कराकर विदा करें। कभी भी उन्हें अपशब्द न कहें।
कन्या पूजन में रखें इन बातों का खास ख्याल
* ध्यान रखें की कन्या पूजन में 9 कन्याओं के साथ 1 बालक को जरूर बैठाएं। बालक को भैरव का रूप माना जाता है।
* कन्याओं के तुरंत बाद लाकर उनके हाथ पैर जरुर धुलवाए और उनका आशीर्वाद लें।
* कुमकुम का तिलक लगाने के बाद सभी कन्याओं को कलावा भी जरुर बांधे।
* कन्याओं को भोजन कराने के बाद उन्हें विदा करते हुए उनसे क्षमा जरुर मांगे।
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।