कुछ वर्षों में संचार के क्षेत्र में होने वाली प्रगति ने स्मार्ट्फोन की दुनिया में पूरी तरह से क्रांति ला दी है। इंस्टैंट मैसेजिंग, इंटरनेट और एक हर हाथ में स्मार्टफोन और ऐप्स जगत ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। आयु वर्ग को किनारे कर हर व्यक्ति आज इस तकनीक के चमत्कर के अनुसार इसका मूल्यांकन कर रहा है। इस नशे से सबसे अधिक प्रभावित युवा पीढ़ी है जो स्मार्टफोन की लत की शिकार हो गई है। उससे भी खतरनाक स्थिति यह है कि दो साल के बच्चे से लेकर 10 साल के बच्चे लत की गिरफ्त में आ चुके है। स्मार्टफोन में गेम खेलने के आदी हो चुके है। आप उन्हें कितना भी प्रेम से समझाईये, डांटिए, सलाह दीजिए, पर वो अनसुना कर फोन में लगे रहते हैं। ऐसे में डिजिटल युग का यह आविष्कर लाभकारी न होकर नुकसानदेह अधिक लगता है। माता-पिता भी आफिस और घर की अपनी जिम्मेदारियों में तालमेल बिठाते हुए, बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। माता-पिता प्रारम्भ में खिलौना के रुप में स्मार्टफोन बच्चे के हाथ में देते हैं, उनका उद्देश्य एक ओर बालक को व्यस्त करना और दूसरे बच्चे को अपने कार्यों में व्यवधान डालने से रोकना होता है। बालक भी माता-पिता के आफिस में होने पर अकेलापन दूर करने के लिए स्मार्टफोन से एक बार जो गेम खेलना शुरु करते हैं, फिर इस नशे से बाहर नहीं आ पाते है। इस नशे से सभी परेशान हैं। अपने बच्चे को फोन की लत से दूर रखने के लिए क्या किया जा सकता हैं? आज हम आपको ऐसे ही कुछ कारण और उपाय बताने जा रहे है।
आउटडोर गेम्स की आदत
आज के बच्चे अपने बचपन का आनंद लेना भूल गए हैं। वे अपने फोन से चिपके घर के अंदर रहने में अधिक रुचि लेने लगे है। आज बच्चों को टी वी देखने से भी अधिक स्मार्टफोन पर गेम खेलना पसंद हो गया है। अगर आपके साथ भी ऐसा है, तो अपने बच्चों को संभालने का समय आ गया है। यह पता लगाएं कि वह कौन सा आउटडोर खेल है जिसमें वह सबसे अधिक रुचि रखता है। उसी अनुसार उन्हें गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करें और आप स्वयं सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए उन्हें आउटडोर के गेम खेलने साथ लेकर जाए धीरे धीरे यह आदत बच्चों में अपने आप आने लगेगी वे अपने गेम को एंजॉय करने लगेंगे यह बच्चों को फिजिकली एवं मेंटली स्ट्रांग बनाने में भी मददगार होगा।
टेक टाइम आउट
हालांकि अपने बच्चों से फोन छीनना मुश्किल है, लेकिन उन्हें इससे दूर करने के लिए हतोत्साहित करना एक समझदारी भरा विकल्प है। अपने बच्चों से बात करें और कुछ घंटे तय करें, जिसे उन्हें उस समय के बाद फोन से अलग रखना होगा या उन्हें आपके पास जमा कराना होगा। इस रणनीति को लागू करने के लिए खाने का समय सबसे उपयुक्त समय है। इस निश्चित समय में आप उन्हें कुछ समय के लिए फोन में गेम खेलने दें और समय समाप्त होते ही वापस ले लें। बच्चों के साथ अधिक अधिक से जुड़े, समय दें और उनके साथ क्वालिटी समय बितायें।
आप स्वयं उदाहरण बने
कई बार माता-पिता खुद अपने सेल फोन पर इतने अधिक रहते हैं कि वो अपने बच्चों के लिए आदर्श नहीं बन पाते है। ऐसे माता-पिता अपने बच्चों को इसके इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी नहीं दे सकते हैं, या उनका ऐसे में चेतावनी देना निरर्थक होता है। बच्चों के सामने माता-पिता को स्वयं एक प्रथम आदर्श मॉडल होते है। आप जो करेंगे ठीक वैसा ही बच्चे करने का प्रयास करेंगे। यदि माता-पिता भी लंबे समय तक फोन में लिप्त रहते हैं, तो बच्चे उनकी इस आदत का अनुकरण करने के लिए बाध्य होते हैं। इसके विपरीत जब माता-पिता फोन से आवश्यक होने पर ही पास रहते है तो वो एक अच्छा उदाहरण बनकर बच्चों को फोन से दूर रहने के लिए कह सकते है। हालांकि कई बार माता-पिता का पेशा इसकी मांग करता है और अपने कार्यों के कारण आपको फोन पर रहना पड़ सकता हो, ऐसे में कम से कम बच्चों के सामने फोन का इस्तेमाल न करें, दूसरे कमरे या अलग होकर आप ऐसा कर सकते है। इस प्रकार आप अपने बच्चे की इस बुरी आदत को कम कर सकते है।
पासवर्ड सेट करें
डिजिटल वर्ल्ड यदि समस्या है तो समाधान भी वह दे सकता है। फोन में स्क्रीन गार्ड पासवर्ड या पासवर्ड एप्लिकेशन डालकर आप काफी हद तक बच्चों की पहुंच से फोन को दूर रख सकते है। एप्प के जरिए आप फोन में प्रयोग के अलर्ट सक्रिय कर सकते है। फोन के उपयोग की समय सीमा निर्धारित कर सकते है। इस समय सीमा के बाद फोन स्वत: स्विच आफ हो जाएगा और बच्चें ऐसे में इसका उपयोग नहीं कर पायेंगे।