लखनऊ. भारतीय रेलवे के 150 साल के इतिहास में पहली बार ट्रेन लेट होने पर सभी यात्रियों को मुआवजा मिलेगा। देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस के लेट होने के कारण सभी 951 यात्रियों (लखनऊ और दिल्ली दोनों तरफ के यात्रियों) को 250-250 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। इस तरह तेजस को मुआवजे पर कुल 2 लाख, 37 हजार, 750 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। दरअसल, आईआरसीटीसी के नियमों के तहत तेजस एक्सप्रेस के एक घंटा से ज्यादा विलंब होने पर 100 रुपये और दो घंटे से अधिक देरी पर 250 रुपये का मुआवजा तय है।
लखनऊ जंक्शन पर गुरुवार रात कृषक एक्सप्रेस के दो कोच डिरेल होने से शुक्रवार सुबह तक ट्रेनों का संचालन अस्त-व्यस्त रहा। इस कारण पहली बार नई दिल्ली जाने वाली 82501 तेजस एक्सप्रेस पौने 3 घंटे लेट हो गई। नई दिल्ली से वापसी में भी यह ट्रेन करीब दो घंटे लेट रही। ऐसे में आईआरसीटीसी ने वादे के मुताबिक सभी यात्रियों को मुआवजा दिलवाने का फैसला किया है।
रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) ने तेजस एक्सप्रेस के 19 कोच रेक का काम पूरा कर लिया है। ये कोच नॉर्दर्न रेलवे को सौंपे जाएंगे। इसके बाद तेजस एक्सप्रेस को चलाने की तारीख और समय के बारे में रेलवे बोर्ड निर्णय लेगा। नए कोच में कई शानदार बदलाव किए गए हैं और ये बेहद खूबसूरत हैं। आइये आपको इसके बारे में कुछ खास बातें बताते हैं।
यह सेमी हाइस्पीड ट्रेन तेजस एक्सप्रेस का सेंकंड रेक है, जो 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। तेजस एक्सप्रेस का पहला रेक पिछले साल जून में शुरू हुआ था। उसका मुंबई-गोवा मार्ग पर सफल संचालन हो रहा है। जुलाई तक दो और रेक तैयार कर लिए जाएंगे।
तेजस एक्सप्रेस के दूसरे रेक में कई फीचर जोड़े गए हैं। इनमें कोच के अंदर रिमोट कंट्रोल्ड विंडो, सेंसर आधारित दरवाजे और पानी बचाने के लिए विमानों की तरह वैक्यूम शौचालय जैसी सुविधाएं शामिल हैं।अन्य सुविधाओं में एलसीडी स्क्रीन के साथ आरामदायक कुर्सी, पर्सनलाइज्ड इनफोटेनमेंट सिस्टम, टच लेस नल और सोप डिस्पेंसर आदि हैं।
इन कोच को इस तरह बनाया गया है, जिससे तेज गति में भी लोग बिना झटका लगे आरामदायक सफर कर पाएंगे। रेक अत्याधुनिक डिस्क ब्रेक और डस्ट प्रूफ से लैस है। कोच इस तरह सील किए गए हैं, जिससे ध्वनि का स्तर भी कम रहेगा। यात्रियों को वाई-फाई की सुविधा भी मिलेगी। रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) ऑटोमैटिक दरवाजे, इंफोटेमेंट सिस्टम और वैक्यूम शौचालयों के साथ 30 डबल-डेकर उदय कोच भी तैयार करेगी। इसका पहला रेक अगले साल जनवरी तक तैयार कर लिया जाएगा।
आईआरसीटी के मुताबिक लखनऊ से ट्रेन में 451 यात्रियों ने दिल्ली के लिए सफर किया। वहीं दिल्ली से 500 यात्रियों ने लखनऊ के लिए यह ट्रेन पकड़ी। ऐसे में कुल 951 यात्रियों को यह मुआवजा मिलेगा। आईआरसीटीसी के सीआरएम अश्विनी श्रीवास्तव ने कहा, ‘हमने प्रत्येक यात्री को उनके मोबाइल पर एक लिंक भेजा है। वे इस पर क्लिक करके मुआवजे का दावा कर सकते हैं।’ जिन यात्रियों ने सेंट्रल स्टेशन के करंट टिकट काउंटर से टिकट खरीदा था, उनको भी मेसेज भेजकर रिफंड हासिल करने को कहा गया है। देरी के लिए यात्रियों को अतिरिक्त चाय, दोपहर का भोजन और पैकेट पर ‘विलंब के लिए माफी’ स्टिकर्स के साथ जलपान परोसा गया।
आईआरसीटीसी की इस पहली कॉर्पोरेट ट्रेन के विलंब होने पर मुआवजा तय किया गया है। आईआरसीटीसी के नियम के मुताबिक एक घंटे से अधिक का विलंब होने पर 100 रुपये की राशि अदा की जाएगी, जबकि दो घंटे से अधिक की देरी होने पर 250 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
150 साल के इतिहास में पहली बार ट्रेन लेट होने पर यात्रियों को मिलेगा मुआवजा
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