भिलाई। गुरु घासीदास कला एवं साहित्य विकास समिति तथा संस्कृति विभाग एवं दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र नागपुर के सहयोग से आयोजित गनियारी महोत्सव के समापन समारोह में पहुंचे इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने कहा कि एक छोटे से गांव में देशभर के कलाकारों का लोक कला आयोजित करना अपने आप में एक कठिन काम है लेकिन निर्मल कोसरे एवं उनके समिति के साथियों ने जो प्रयास किया है वो सभी बधाई के पात्र हैं। आज हमारी छत्तीसगढ़ की संस्कृति लोक कला के क्षेत्र में न केवल छत्तीसगढ़ में अपितु देश के साथ-साथ विदेशों में भी यहां की पंथी, पंडवानी की धूम हम सबको छत्तीसगढिय़ा होने का एहसास दिलाता है। लगातार 11 वर्षों तक ऐसे महोत्सव का आयोजन करना बहुत ही अनूठा पहल है जिसे एक मंच में राज्य के साथ साथ पड़ोसी राज्यों के कलाकारों को भी एक दूसरे की संस्कृति को समझने का और जानने का अवसर मिलता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डोंगरगढ़ विधायक भुनेश्वर बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार गढबों नवा छत्तीसगढ़ के अपने संकल्पों के साथ नित नए आयाम गढ़ रहे हैं। हमारी जो संस्कृति है उस संस्कृति को बचाने का प्रयास छत्तीसगढ़ के भूपेश सरकार के द्वारा किया जा रहा है। गेड़ी, रैचुली, मेला-मड़ाई यह हमारे छत्तीसगढ़ की वास्तविक परंपरा है और ऐसे विविध आयोजन एक मंच में होना बहुत ही सराहनीय है भूपेश बघेल जी की सरकार छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को लगातार मंच प्रदान करने का प्रयास कर रहा है इसी का नतीजा है क्या आज ग्रामीण अंचलों में भी लोक कला महोत्सव देखने को मिलता है। समापन दिवस पर हथखोज के अखाड़ा दल, पारस मणि मानस परिवार रायपुर, बालोद की रामधुनी, सत्य के उज्जवल पंथी दल बांसुला, भिंभौरी के डंडा नाच , बेमेतरा के मसाल नाचा पार्टी, यशवंत सतनामी का सतनाम भजन, साले टोला कांकेर के नाचा, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के द्वारा ककसार, सुरहुल और छत्तीसगढ़ के आईडल ओजस्वी साहू की लोक संस्कृति ने छत्तीसगढिय़ा होने का एहसास दिलाते रहा,कभी अमीर अली ने हास्य प्रसंग अऔर सुनील सोनी नाइट ने रात भर दर्शकों को अपनी प्रस्तुति से स्तब्ध कर दिया। समापन दिवस में भी असम और राजस्थान के कलाकारों की प्रस्तुति देख कर दर्शक भाव विभोर हो गए। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन निर्मल कोसरे ने किया। इस अवसर पर सुश्री अमृता बारले, डॉ आर एस बारले, बी आर बंजारे, बंसी लाल कुर्रे, कृष्ण कुमार खेलवार, धर्मेंद्र कोसरे, राजकुमार गायकवाड, मंगु लाल बंजारे, गौरी बंजारे, हेमंत कोसरे, संदीप कोसरे, गजानन गोस्वामी, चेतराम रिगरी, राजु लहरे, आकाश टंडन, सोनू बंजारे, लक्ष्मण भारती, कमल गेन्डरे, राजेश बघेल, मोहन साहू, मनोज मंढरिया, पप्पू चंद्राकर, बालमुकुंद वर्मा, अशफाक अहमद, वी एन राजू , जितेंद्र बंजारे, टोमन जोशी, नरोत्तम टंडन, विजय लहरें, घासीदास लहरें, श्रीधर गायकवाड, डोमन लहरें, गणेश यादव, संतोष साहू, देवेश वर्मा सहित हजारों दर्शक लोक कला का आनंद लेते हैं।
देशभर से आए 800 कलाकारों ने गनियारी महोत्सव में अपनी लोक कला- संस्कृति की प्रस्तुति दी…… आयोजन समिति बधाई के पात्र : प्रोफेसर मांडवी
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