आज शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। इसे दुर्गाष्टमी और महा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के आठवें दिन मां शक्ति के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा का विधान होता है और इस दिन कन्या पूजन किया जाता है। जिसमें 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष की आयु की कन्या को घर पर बुलाकर उनका स्वागत और पूजा की जाती है। नवरात्रि के पर्व पर दुर्गा अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है।
देश में इन दिनों नवरात्रि पर्व की धूम मची हुई है। जगह-जगह पर माता रानी का दरबार सजा हुआ है। अपनी मन की मुराद लेकर भक्तगण मां दुर्गा के दर पर हजारों की तादाद में पहुंच रहे हैं। नवरात्रि में उपवास और जगराता के अलावा कन्या पूजन का भी काफी महत्व है। अष्टमी और नवमी को कन्या खिलाने से मां जगदम्बा प्रसन्न होती है और हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ रूपों की विशेष आराधना की जाती है। इन नौ दिनों में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है, इसे दु्र्गाष्टमी भी कहा जाता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के अवसर पर आने वाली दुर्गा अष्टमी को महा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा होती है। अष्टमी तिथि पर 2 से 10 साल की उम्र की नौ कन्याओं की पूजा, भोजन और उपहार देते हुए दुर्गा मां की पूजा की जाती है। मान्यता है 2 से 10 साल की उम्र तक की कन्याओं में मां दुर्गा का वास होता है। आइए जानते हैं कब है अष्टमी तिथि और क्या है इसका महत्व…
मां महागौरी पूजा विधि
मां महागौरी की पूजा के लिए चौकी यानी बाजोट पर देवी महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. फिर गंगा जल से शुद्धिकरण करें. चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें. चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका यानी 16 देवियां, सप्त घृत मातृका यानी सात सिंदूर की बिंदी लगाकर स्थापना करें. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता महागौरी सहित सभी स्थापित देवताओं की पूजा करें. आखिर में आरती और मंत्र जाप जरूर करें।
पूजा सामग्री की लिस्ट
लाल चुनरी, लाल वस्त्र, मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, धूप, नारियल, साफ चावल, कुमकुम, फूल, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, कपूर, फल-मिठाई, कलावा आदि।
नवरात्रि अष्टमी मां महागौरी पूजा
महा अष्टमी पर घी का दीपक लगाकर देवी महागौरी का आव्हान करें और मां को रोली, मौली, अक्षत, मोगरा पुष्प अर्पित करें. इस दिन देवी को लाल चुनरी में सिक्का और बताशे रखकर जरूर चढ़ाएं इससे मां महागौरी प्रसन्न होती हैं. नारियल या नारियल से बनी मिठाई का भोग लगाएं. मंत्रों का जाप करें और अंत में मां महागौरी की आरती करें. कई लोग अष्टमी पर कन्या पूजन और हवन कर व्रत का पारण करते हैं. महा अष्टमी पर देवी दुर्गा की पूजा संधि काल में बहुत लाभकारी मानी गई है।
अष्टमी के दिन कन्या पूजन का महत्व
नवरात्र पर्व पर दुर्गाष्टमी या महाष्टमी के दिन कन्याओं की पूजा की जाती है. जिसे कंचक भी कहा जाता है. इस पूजन में नौ साल की कन्याओं की पूजा करने का विधान है. माना जाता है कि महागौरी की उम्र भी आठ साल की थी. कन्या पूजन से भक्त के पास कभी भी कोई दुख नहीं आता है और मां अपने भक्त पर प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती हैं।
मां महागौरी की महिमा
वृषभ पर सवार मां महागौरी का रंग बेहद गौरा है, इसी वजह से देवी के इस स्वरूप को महागौरी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी ने कठोर तप से गौर वर्ण प्राप्त किया था. महागौरी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत तथा मृदुल स्वभाव वाली हैं. चार भुजाओं वाली देवी महागौरी त्रिशूल और डमरू धारण करती हैं. दो भुजाएं अभय और वरद मुद्रा में रहती हैं. इन्हें धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माना गया है।
मां महागौरी मंत्र
बीज मंत्र – श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
प्रार्थना मंत्र – श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
अष्टमी पर बीज मंत्र जाप की विधि
नवरात्रि आठवें दिन का शुभ रंग
नवरात्रि के आठवें दिन महाअष्टमी पर मां महागौरी की पूजा में श्वेत या जामुनी रंग बहुत शुभ माना गया है।
मां महागौरी प्रिय भोग-फूल
मां महागौरी को नारियल का भोग अति प्रिय है. देवी का प्रिय फूल मोगरा माना जाता है. मान्यता है ये दो चीजें देवी को अर्पित करने पर वैवाहिक जीवन में मिठास आती है।
कैसे करें दुर्गा अष्टमी की पूजा
* अष्टमी के दिन कन्या पूजन करनी चाहिए।
* इसके लिए सुबह स्नानादि करके भगवान गणेश व महागौरी की पूजा अर्चना करें।
* फिर 9 कुंवारी कन्याओं को घर में सादर आमंत्रित करें।
* उन्हें सम्मान पूर्वक आसन पर बिठाएं।
* फिर शुद्ध जल से उनके चरणों को धोएं।
* अब तिलक लगाएं,
* रक्षा सूत्र बांधें और उनके चरणों में पुष्प भेंट करें।
* अब नयी थाली में उन्हें पूरी, हलवा, चना आदि का भोग लगाएं।
* भोजन के बाद कुंवारी कन्याओं को मिष्ठान व अपनी क्षमता अनुसार द्रव्य, कपड़े समेत अन्य चीजें दान करें।
* अंतिम में उनकी आरती करें व चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
* फिर संभव हो तो सभी कन्याओं को घर तक जाकर विदा करें।
महागौरी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां पार्वती ने शंकर जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अपने पूर्व जन्म में कठोर तपस्या की थी तथा शिव जी को पति स्वरूप प्राप्त किया था। शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए मां ने जब कठोर तपस्या की थी तब मां गौरी का शरीर धूल मिट्टी से ढंककर मलिन यानि काला हो गया था. इसके बाद शंकर जी ने गंगाजल से मां का शरीर धोया था. तब गौरी जी का शरीर गौर व दैदीप्यमान हो गया. तब ये देवी महागौरी के नाम से विख्यात हुईं।
आराधना मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
अष्टमी पर बीज मंत्र जाप की विधि
अष्टमी के दिन तुलसी या लाल चंदन की माला से मां महागौरी के बीज मंत्र का 1100 बार जाप करना श्रेष्ठ होता है. मान्यता है इससे समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं.
मां महागौरी मंत्र का करें जाप
1. या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
2. सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते।
महाष्टमी व्रत का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी के रुप में मनाया जाता है. नवरात्रि में अष्टमी तिथि को महाष्टमी कहा जाता है. इस दिन मां दुर्गा की महागौरी के रुप में पूजा होती है. इस दिन देवी के अस्त्रों के रुप में पूजा होती है इसलिए इसे कुछ लोग वीर अष्टमी भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन पूजा अर्चना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और आपके सभी दुखों को दूर करती हैं.
कन्या पूजन पर मिलता है विशेष फल
दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजन कराने का विधान है. इस दिन 02 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं का पूजन किया जाता है. हर उम्र की कन्या अलग अलग देवियों का रूप होती हैं. उनके अलग अलग आशीर्वाद प्राप्त होता है. कन्या पूजन करने से मां दुर्गा का आशीष मिलता है क्योंकि ये कन्याएं मां दुर्गा का स्वरूप मानी जाती हैं. यह कन्या पूजन नवरात्रि या दुर्गा पूजा का महत्वपूर्ण भाग है।
रवि और शोभन योग में दुर्गा अष्टमी
दुर्गा अष्टमी के दिन रवि योग और शोभन योग बना है. ये दोनों ही योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ हैं. शोभन योग प्रातःकाल से लेकर दोपहर 02 बजकर 22 मिनट तक है. रवि योग देर रात 12 बजकर 25 मिनट से लेकर अगली सुबह 06 बजकर 15 मिनट तक है।
कन्या पूजन के उत्तम मुहूर्त
अमृत- सुबह 06:15 बजे से सुबह 07:44 बजे तक।
शुभ- सुबह 09:12 बजे से सुबह 10:41 बजे तक।
लाभ- दोपहर 03:07 बजे से शाम 04:36 बजे तक व शाम 04:36 बजे से शाम 06:05 बजे।
कन्याओं को दें ये चीजें
अष्टमी तिथि को कन्या पूजा किया जाता है. इस दिन कन्या पूजन के दौरान 9 कन्याओं को उनके पसंद का भोज कराने के बाद उनकी जरूरत का कोई भी लाल रंग का सामान जरूर भेंट करें. मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से माता रानी की कृपा बनी रहती है।
महागौरी की पूजा का महत्व
नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि महागौरी की पूजा करने से शारीरिक व मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है. महागौरी की पूजा से धन, वैभव व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
आयु के अनुसार कन्या का स्वरुप और मिलने वाला फल
दो वर्ष की कन्या- दो साल की कन्या को कुमारी कहा गया है। इस स्वरूप के पूजन से सभी तरह के दुखों और दरिद्रता का नाश होता है।
तीन वर्ष की कन्या- तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहा गया है। भगवती त्रिमूर्ति के पूजन से धन लाभ होता है।
चार वर्ष की कन्या- चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा गया है। देवी कल्याणी के पूजन से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पांच वर्ष की कन्या- पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी माना गया है। मां के रोहणी स्वरूप की पूजा करने से जातक के घर परिवार से सभी रोग दूर होते है।
छह साल की कन्या- इस उम्र की कन्या कालका देवी का रूप मानी जाती है। मां के कलिका स्वरूप की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि, यश और सभी क्षेत्रों में विजय की प्राप्ति होती है।
सात वर्ष की कन्या- सात वर्ष की कन्या मां चण्डिका का रूप है। इस स्वरूप की पूजा करने से धन,सुख और सभी तरह के ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है।
आठ वर्ष की कन्या- आठ साल की कन्या मां शाम्भवी का स्वरूप है। इनकी पूजा करने से युद्ध, न्यायलय में विजय और यश की प्राप्ति होती है।
नौ वर्ष की कन्या- इस उम्र की कन्या को साक्षात दुर्गा का स्वरूप मानते है। मां के इस स्वरूप की अर्चना करने से समस्त विघ्न बाधाएं दूर होती है,शत्रुओं का नाश होता है और कठिन से कठिन कार्यों में भी सफलता प्राप्त होती है।
दस वर्ष की कन्या- दस वर्ष की कन्या सुभद्रा के सामान मानी जाती हैं। देवी सुभद्रा स्वरूप की आराधना करने से सभी मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते है।
आज मां के भक्त नवरात्रि महाष्टमी पर जरूर करें ये उपाय
– मेष राशि के जातक आज दुर्गा कवज का पाठ जरूर करें।
– वृषभ राशि के लोग कन्या पूजन करें और उन्हें उपहार अवश्य दें।
– मिथुन राशि के जातक आज विधि-विधान से व्रत रखते हुए मां दु्र्गा की उपासना करें।
– कर्क राशि वाले लोग आज के दिन मां दु्र्गा को लाल गुड़हल का फूल अवश्य चढ़ाएं।
– सिंह राशि वाले जातक सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव को जल अर्पित करें और मां दु्र्गा का पाठ करें।
– कन्या राशि वाले लोग आज मां महागौरी का कच्चा नारियल अर्पित करें।
– तुला राशि के जातक आज दान करें और कन्याओं के पैर धोएं।
– वृश्चिक राशि के लोग दु्र्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें।
– धनु राशि के जातक आज पूरे दिन व्रत रखते हुए सुबह और शाम को माता की पूजा करें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं।
– मकर राशि के लोग आज दुर्गा पंडाल में जाकर मां के दर्शन अवश्य करें।
– कुंभ राशि के जातक कन्या पूजन करें
– मीन राशि के लोग आज महाष्टमी पर हवन जरूर करें।
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