नई दिल्ली. सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को स्वदेशी रक्षा उपकरण निर्यात संघ के कार्यक्रम में शिरकत की। उन्होंने कहा, ‘‘हम सिर्फ अपने सुरक्षाबलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हथियारों और रक्षा उपकरणों का उत्पादन नहीं कर रहे, बल्कि धीरे-धीरे एक रक्षा निर्यात उद्योग बन रहे हैं। मौजूदा समय में हमारा रक्षा निर्यात सालाना 11000 करोड़ रुपए है जो 2024 तक बढ़कर दोगुना से ज्यादा मतलब 35,000 करोड़ रुपए हो जाएगा।’’
जनरल रावत ने कहा, ‘‘शांति और स्थिरता बहाल रखने के लिए सशस्त्र बलों को उनके द्वारा अपेक्षित कार्यों को पूरा करने के योग्य होना चाहिए। इसके लिए हमें अच्छे ढंग से प्रशिक्षित मानव संसाधन, सैनिक, नाविक और वायु सैनिक चाहिए, जो सशक्त हों। मेरा विश्वास है कि सैनिकों को अच्छा प्रशिक्षण, गुणवत्तापूर्ण हथियार और उपकरण उपलब्ध करवाकर ही सशक्त किया जा सकता है।’’
जनरल रावत ने कहा, ‘‘हम न केवल संख्या के आधार पर, बल्कि सघन युद्ध अनुभव, पेशेवर रवैये और गैर-राजनीतिक प्रकृति के कारण दुनिया के अग्रणी सशस्त्र बलों में से एक हैं। पिछले कुछ साल में भारत के रक्षा क्षेत्र में ऊर्जा भरने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। साथ ही कुछ योजनाएं शुरू की गई हैं। हम अपने स्वेदशीकरण के मूल्यों के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध हैं।’’
सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम पारदर्शिता को भी काफी महत्व देते हैं। सेना की समस्याओं और विवादास्पद बयान हर साल स्पष्ट राय प्राप्त करने के लिए उद्योगों को जारी किए जाते हैं। उद्योगों ने भी इसके प्रति अच्छी प्रतिक्रिया दी है। अगला डिफेंस एक्सपो फरवरी 2020 के दूसरे सप्ताह में लखनऊ में होगा। इसमें कई आधुनिक हथियारों को प्रदर्शित होंगे। इनमें से कुछ उपकरण प्रमाणित किए जाएंगे।
नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा, ‘‘भारतीय नौसेना सामूहिक सैन्य क्षमता में विश्वास करती है। यह जरूरी नहीं कि एक राष्ट्र के पास सभी क्षमताएं हों। हमें एक-दूसरे से सीखना होगा। सेशेल्स और मॉरीशस समुद्री पर्यावरण के संरक्षण के लिए काफी कोशिश कर रहे हैं। म्यांमार स्वदेशी जहाज निर्माण का अच्छा उदाहरण है। भारतीय नौसेना के लिए सहयोग एक महत्वूपर्ण शब्द है।’’
जनरल रावत ने कहा….. 2024 तक हमारा रक्षा निर्यात 35 हजार करोड़ रुपए हो जाएगा
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