भारत एक महान् देश है। यहां का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। यह देश अपने अंदर ऐसी कई संस्कृतियां समेटे हुए है, जिसने इसे विश्व की सबसे समृद्ध संस्कृति वाला देश बनाया है। यह देश उन वीरों की कर्मभूमि भी रही है, जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना इस देश के लिए कार्य किए हैं। अपने वतन के लिए प्राणों की बलि देने से भी हमारे वीर कभी पीछे नहीं हटे। देश को स्वतंत्र कराने के लिए देश के वीरों ने अपनी जान की आहुति तक दी। आज़ादी के बाद भी हमारे वीर सैनिकों ने सीमाओं पर हमारी हिफाजत के लिए अपने प्राणों को दांव पर लगाया।
शहीद दिवस क्यों मनाते है?
भारत के स्वतंत्र सेनानीयो व अमर वीर शहीदों की कुर्बानी को याद करने व उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए हर वर्ष शहीद दिवस मनाया जाता है | अर्थात देश की रक्षा के लिए या वतन पे मरने वाले वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए शहीद दिवस मनाते है | ताकि आज की युवा पीढ़ी में देश के प्रति प्रेम व जोश बना रहे | और देश की लिए बलिदान हुए वीर सपूतो के जीवन संघर्ष को महत्व समझ सके | भारत में कई तिथियाँ जैसे जनवरी, फरवरी, मार्च, मई, अक्टूबर, नवम्बर शहीद दिवस के रूप में मनाई जातीं हैं |
शहीद दिवस कब है
भारत में कई तिथियाँ शहीद दिवस के रूप में मनाई जातीं हैं, जिनमें मुख्य हैं- 30 जनवरी, 14 फरवरी, 23 मार्च, 21 अक्टूबर, 17 नवम्बर व 19 नवम्बर | अगर आप सोच रहे है की शहीद दिवस अलग – अलग डेट को क्यों मनाया जाता है? तो आइए जानते हैं ऐसा क्यों?
30 जनवरी शहीद दिवस
30 जनवरी 1948 को जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दिल्ली के बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना सभा से उठ रहे थे तब नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी थी | तब से बापू की पुण्यतिथि 30 जनवरी को हर साल शहीद दिवस के रूप में मनाते है | आपको बता दे की महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता थे | उन्होंने भारत की आजादी में अहम भूमिका निभाई यहा तक की वे देश की आजादी के लिए कई बार जेल भी गए थे | कहा जाता है की महात्मा गांधी की शवयात्रा आजाद भारत की सबसे बड़ी शवयात्रा है | राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अंतिम विदाई देने के लिए करीब दस लाख लोग साथ चल रहे थे और 15 लाख लोग रास्ते में खड़े थे | गांधी जी की पुण्यतिथि मनाने व उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाते है |
14 फरवरी शहीद दिवस
जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के 2500 से अधिक कर्मी 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे | जम्मू कश्मीर राजमार्ग पर अवंतिपोरा इलाके में लाटूमोड पर इस काफिले पर अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे घात लगाकर हमला किया गया | इस भीषण फिदायिन / आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 39 जवान शहीद हो गये | इन शहीदों की याद में व इन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 14 फरवरी 2020 को पहला मनाया गया |
23 मार्च शहीद दिवस
भारत में 23 मार्च को मनाया जाता है। 23 मार्च, 1931 की मध्यरात्रि को अंग्रेज़ हुकूमत ने भारत के तीन सपूतों – भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी पर लटका दिया था। शहीद दिवस के रूप में जाना जाने वाला यह दिन यूं तो भारतीय इतिहास के लिए काला दिन माना जाता है, पर स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को देश की वेदी पर चढ़ाने वाले यह नायक हमारे आदर्श हैं। इन तीनों वीरों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए ही शहीद दिवस मनाया जाता है।
21 अक्टूबर शहीद दिवस
21 अक्टूबर 1959 में लद्दाख में केन्द्रीय पुलिस बल की एक छोटी टुकड़ी के जवानों ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे | तभी से प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को पुरे देश में दिवगंत शूरवीरो की स्मृति में “पुलिस शहीद दिवस” मनाया जाता है |
17 नवंबर शहीद दिवस
लाला लाजपत राय (पंजाब के शेर के नाम से मशहूर) की पुण्यतिथि 17 नवंबर को शहीद दिवस के रूप मनाया जाता है | लाला लाजपत राय ब्रिटिश राज से भारत की आजादी के दौरान के एक महान नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे | 17 नवंबर को शहीद दिवस मुख्यत ओडिशा में मनाया जाता है |
शहीद दिवस कैसे मनाते है?
शहीद दिवस के दिन सभी स्कूलो, कॉलेजो व संस्थाओ में कार्यक्रम आयोजन कर शहीद दिवस का महत्व समझाते है | शहीद दिवस के दिन मुख्यत: 30 जनवरी को हर साल राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और तीनों सेना के प्रमुख राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं | साथ ही सेना के जवान श्रद्धांजलि देते हुए उनके सम्मान में अपने हथियार को नीचे छुकाते हैं | शहीद दिवस के दिन पूरे देश में महात्मा गांधी समेत अन्य शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन धारण करते हैं |
शहीद दिवस के लिए आज आदेश गृह मंत्रालय की तरफ से जारी हुआ है, 30 जनवरी को 11 बजे दो मिनट का मौन रखा जाएगा. इसके साथ-साथ पूरे देश में उन दो मिनट के लिए कोई कामकाज या आवाजाही नहीं होगा। साथ ही सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किया गया है. इसमें देश की आजादी में बलिदान देने वालों की याद में दो मिनट का मौन रखने को कहा गया है. साथ ही इस दौरान कामकाज और आवाजाही पर भी रोक रहेगी। जिन जगहों पर सायरन की व्यवस्था है वहां मौन का याद दिलाने के लिए सायरन बजाया जाएगा. कहीं-कहीं इसके बारे में आर्मी गन से फायर करके भी बताया जाएगा. यह अलर्ट 10.59 पर किया जाया करेगा. इसके बाद सभी को 2 मिनट के लिए मौन रहना है।