राजधानी में अब तक के सबसे बड़े न्यू स्वागत विहार जमीन घोटाले में जिन 3200 लोगों के लगभग 650 करोड़ रुपए फंसे हैं और 2013 से अब तक किसी को प्लाट नहीं मिला, उन्हें हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बुधवार को जस्टिस संजय अग्रवाल की बेंच ने शासन को निर्देश दिए हैं कि सरकारी जमीन पर प्लाटिंग की शिकायत के बाद जो पुराना लेअाउट निरस्त किया गया था, उस पर फिर विचार किया जाए। यह प्रक्रिया 12 सितंबर तक पूरी की जानी चाहिए। इस िनर्णय से जमीन मालिकों को राहत इसलिए है क्योंकि पुराने लेअाउट को लागू करने से अधिकांश लोगों को उनके प्लाट मिल सकेंगे।
न्यू स्वागत विहार में 2013 तक 3200 लोगों ने बिल्डर संजय बाजपेयी से प्लाट खरीदे थे। कमल विहार बनने के दौरान यह खुलासा हुअा कि इस कालोनी के नाम पर बिल्डर ने अपनी जमीन में सरकारी जमीन भी मिला ही और सबका एक नक्शा बनाकर प्लाट काटे और बेच दिए। इसमें नाले की जमीन भी थी। तब से मामला अदालती प्रक्रिया में उलझा हुआ है और जिन लोगों ने प्लाट के लिए बिल्डर वाजपेयी को पेमेंट किया था, उन्हें अब तक जमीन नहीं मिली है। दो साल पहले बिल्डर वाजपेयी का निधन भी हो चुका है।
गौरतलब है, बुधवार को फैसले से पहले हाईकोर्ट ने सरकारी जमीन का लैंडयूज बदलकर नया लेआउट बनाने और लोगों को प्लाट देने के लिए कहा था। तब शासन ने संबंधित भूखंडों का लैंडयूज तो बदला, लेकिन प्लाट अावंटित नहीं किया। इसके खिलाफ अवमानना की लगभग 50 याचिकाएं न्यू स्वागत विहार के प्रभावित हितग्राहियों ने लगाई। सुनवाई के दौरान टाउन प्लानिंग अफसरों ने अदालत में कहा कि कालोनी में लैंडयूज बदलकर प्लाट दिए जा सकते हैं। कोर्ट ने अफसरों के कथन के बाद कहा कि दो महीने के भीतर लैंड यूज चेंज कर नए सिरे से प्लाटिंग करके प्रभावितों को प्लाट दिए जाएं। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार के टाउन प्लानिंग विभाग ने लैंड यूज में बदलाव कर दिया। लेकिन नए सिरे से प्लाटिंग नहीं की। प्रभावितों ने कोर्ट की अवमानना के तहत रिट पिटीशन लगाई। इसी पिटीशन पर कोर्ट ने अपने ही फैसले को संशोधित करते हुए कहा कि पुराने ले आउट के आधार पर ही सरकार इन्हें प्लाट काटकर दे। मतलब 2013 के निरस्त ले आउट को कोर्ट ने दोबारा बहाल करने को कहा है।
सरकारी जमीन दबाने का विवाद : न्यू स्वागत विहार के बिल्डरों ने कालोनी डेवलप करने के लिए निजी जमीन के साथ-साथ काफी सरकारी जमीन दबाकर नक्शे में शामिल कर ली थी। शासन की जांच में खुलासा हुअा था कि जो जमीन दबाई गई, उसमें नाले की जमीन भी है। शिकायत पर जांच कमेटी का गठन किया गया था। जांच कमेटी ने यह बात सही पाई और कालोनी का लेआउट निरस्त कर दिया गया। ले आउट निरस्त होने पर बिल्डर और प्लाट खरीदने वाले लोगों ने कोर्ट में याचिका दायर की।
पर्याप्त जमीन है : लैंड यूज में बदलाव होने के बाद पुराने ले आउट के आधार पर 70 फीसदी यानी कि 2240 लोगों को प्लाट मिलने की पूरी उम्मीद है। बिल्डर के मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि जिनकी जमीन सड़क, नाली में चली गई है, उन्हें दूसरी जगह प्लाट दिया जाएगा। न्यू स्वागत विहार में इतनी जमीन है कि सभी खरीददारों को प्लाट दिया जा सकता है।
125 रिट पिटीशन लगी : न्यू स्वागत विहार जमीन घाेटाले में अब तक 125 रिट पिटीशन प्रभावित लोगों ने लगाई। 125 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला दिया। इस फैसले पर शासन ने अमल नहीं किया। इसके खिलाफ 50 अवमानना याचिकाएं लगाई गई। पूरा मामला कोर्ट में 3 जुलाई 2016 से चल रहा है। स्वागत विहार संघर्ष समिति की तरफ से अधिवक्ता योगेश चंद्र शर्मा ने पैरवी की।