
नई दिल्ली. आईएनएक्स मीडिया केस में गिरफ्तार कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम को सीबीआई की विशेष अदालत से राहत नहीं मिली। चिदंबरम को 19 सितंबर तक तिहाड़ जेल में रहना होगा। उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। विशेष अदालत ने कहा है कि भूतपूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को अलग सेल में रखा जाए। उन्हें जेड सिक्योरिटी प्राप्त है, इसलिए जेल में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध हों। सीबीआई और ईडी इस मामले की जांच कर रही हैं।
पी. चिदंबरम ने कोर्ट में आवेदन दिया था कि न्यायिक हिरासत में मुझे बेहतर सुरक्षा मुहैया करवाई जाए। इस बीच चिदंबरम के वकीलों ने कोर्ट में आवेदन दिया कि चिदंबरम ईडी के समक्ष सरेंडर करना चाहते हैं। इस मामले में कोर्ट ने ईडी से जवाब मांगा है। इस पर 12 सितंबर को सुनवाई होगी।
इससे पहले कोर्ट द्वारा न्यायिक हिरासत में भेजे जाने पर चिदंबरम से पूछा गया कि आप क्या कहना चाहते हैं तो उन्होंने कहा- मुझे केवल इकोनॉमी की चिंता है।
सुप्रीम कोर्ट भी ईडी के दावों से सहमत थी
इससे पहले चिदंबरम ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत नहीं मिलने को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। गुरुवार को शीर्ष अदालत ने अर्जी खारिज करते हुए कहा कि मनी ट्रेल को उजागर करना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट भी भी ईडी के उस दावे से सहमत थी कि आरोपी को गिरफ्तार कर पूछताछ जरूरी है। जमानत देने से जांच पर असर पड़ सकता है।
सीबीआई की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया जाना चाहिए। वे ताकतवर इंसान हैं, इसलिए उन्हें खुला नहीं छोड़ना चाहिए। इस पर चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हमने सबूतों से छेड़छाड़ की, इसका कोई सबूत नहीं है। चिदंबरम सरेंडर करेंगे और ईडी को उन्हें पूछताछ के लिए कस्टडी में लेना चाहिए। उन्हें जेल (तिहाड़) भेजने की क्या जरूरत है।
अग्रिम जमानत को अधिकार के तौर पर न देखें: सुप्रीम कोर्ट
- जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा- आर्थिक अपराध से अलग तरीके से निपटा जाना चाहिए, क्योंकि यह देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। अग्रिम जमानत को किसी को उसके अधिकार के तौर पर नहीं दिया जा सकता। ये मामलों पर निर्भर करता है। इस केस में यह उचित नहीं है। एजेंसी को जांच के लिए पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। इस स्थिति में जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है।
- हमने प्रवर्तन निदेशालय की केस डायरी देखी है और मनी ट्रेल को उजागर करना जरूरी है। ईडी के दावे से सहमत हैं कि मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर पूछताछ जरूरी है। ईडी ने सीलबंद लिफाफे में कुछ दस्तावेज दिए थे। लेकिन हमने उन्हें नहीं देखा। इसके अलावा बेंच ने तीन तारीखों पर ईडी से हुई पूछताछ का ब्यौरा देने से जुड़ी अर्जी भी रद्द कर दी।
- हाईकोर्ट ने 20 अगस्त को याचिका रद्द करते हुए कहा था- शुरुआती तौर पर चिदंबरम भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में किनपिंग लगते हैं। वे मौजूदा सांसद हैं, सिर्फ इसलिए अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है। प्रभावी जांच के लिए हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है। इस मामले में गिरफ्तारी से राहत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा।
एयरसेल-मैक्सिस केस: चिदंबरम को अग्रिम जमानत मिली
सीबीआई अदालत ने एयरसेल-मैक्सिस केस में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति को अग्रिम जमानत दे दी। कोर्ट ने यह फैसला ईडी और सीबीआई दोनों से जुड़े मामलों में दिया है। साथ ही अदालत ने चिदंबरम और कार्ति को निर्देश दिया है कि वे जांच एजेंसियों का सहयोग करें। जज ओपी सैनी ने ईडी से कहा कि 2018 में केस दर्ज करने के बाद आपने जांच के लिए कई बार तारीखें बढ़वाई। जांच में वैसे ही काफी देरी हो चुकी है और शुरुआत से ही सभी दस्तावेज आपके पास हैं। इसकी कोई संभावना नहीं है कि चिदंबरम ने ऐसा कोई अपराध किया है, जबकि वे सरकार में किसी पद पर नहीं हैं। उन पर 1.13 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप गंभीर नहीं हैं। जबकि दयानिधि मारन के खिलाफ रिश्वत का आरोप है, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।