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रायपुर | स्मार्ट शहर का एहसास कराने वाली स्मार्ट सिटी की ई-टॉयलेट योजना का बंटाधार इस बात से समझा जा सकता है कि दो बार इसके लिए ठेके हो चुके हैं। पहली कंपनी बेंगलुरु की थी, जिसने 40 जगहों पर ई-टॉयलेट बनाने का काम लिया था। एक साल से ज्यादा वक्त तक ये कंपनी शहर में रही और केवल 5 ही टॉयलेट बना सकी।
अंबेडकर अस्पताल के सामने तस्वीर में नजर आ रहा टॉयलेट इसी कंपनी ने बनाया था। उसके महीनों बाद केरल की एक और कंपनी को इस काम के लिए चुना गया। उसने 6 नई जगहों पर टॉयलेट बनाए, लेकिन वो भी टेस्टिंग में उलझ गई। इस तरह बीते डेढ़ दो साल में 11 जगह टॉयलेट के ढांचे ऐसे ही खड़े हैं। एक टॉयलेट की लागत 6.5 लाख रुपए है। अभी तक 11 जगहों पर टॉयलेट लगाने में साढ़े 71 लाख खर्च हो चुके हैं।