
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दो दिन के दौरे पर फ्रांस जाएंगे। वे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच व्यापार, निवेश, रक्षा, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद से निपटने और असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा होगी।
सूत्रों के मुताबिक, मैक्रों पेरिस से 60 किमी दूर ओइज में स्थित 19वीं सदी की शेटो डी चेंटिली में मोदी के लिए रात्रिभोज की मेजबानी करेंगे। अपनी यात्रा के दौरान मोदी फ्रांस में भारतीय समुदाय के लोगों को भी संबोधित करेंगे। साथ ही नीड डी एगल में एयर इंडिया क्रैश में मारे गए भारतीयों की याद में स्मारक का उद्घाटन करेंगे।
भारत में फ्रांस के राजदूत अलेक्जेंडर जीगलर ने ट्वीट किया, “मैक्रों और मोदी के बीच द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन को लेकर शेटो डी चैंटिली पूरी तरह से तैयार है। यह फ्रांस की सांस्कृतिक विरासत में से एक है।” विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘फ्रांस की द्विपक्षीय यात्रा और जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत के शामिल होने से दोनों देशों के संबंधों को मजबूती मिलेगी। यात्रा के दौरान विज्ञान, जलवायु परिवर्तन, फाइनेंसिंग, ग्रीन टेक्नोलॉजी में सहयोग, डिजिटल और साइबरस्पेस जैसे नए क्षेत्रों में साझेदारी जैसे समझौतों पर मुख्य रूप से जोर होगा।
जी-7 के अलावा मोदी कई नेताओं से मिलेंगे
राष्ट्रपति मैक्रों के निमंत्रण पर मोदी बियारेट्ज शहर में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन की बैठक में साझेदार के तौर पर शामिल होंगे। इस शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, समुद्री सहयोग और डिजिटल परिवर्तन जैसे मुद्दों पर अपनी बात रख सकते है। जी-7 शिखर सम्मेलन के अलावा मोदी अन्य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय मुलाकात भी करेंगे। वे फ्रांस के प्रधानमंत्री एडवर्ड फिलिप के साथ भी मुलाकात करेंगे।
भारत और फ्रांस 1998 से रणनीतिक साझेदार
भारत और फ्रांस 1998 से रणनीतिक साझेदार हैं और दोनों देशों के बीच व्यापक और बहुआयामी संबंध हैं। इसके अलावा दोनों देशों के बीच रक्षा, समुद्री सुरक्षा, अंतरिक्ष, साइबर, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में मजबूत सहयोग है। विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि मोदी की फ्रांस की द्विपक्षीय यात्रा और जी-7 शिखर सम्मेलन का निमंत्रण भारत और फ्रांस के बीच मजबूत एवं करीबी साझेदारी तथा उच्चस्तरीय राजनीतिक संपर्कों की परंपरा को ध्यान में रखते हुए है।