हाईकोर्ट में सड़क पर आवारा पशुओं को लेकर तीसरी जनहित याचिका दायर कर दी गई है। पिछली दो याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सरकार कोर्ट में जवाब देते हुए कह चुकी है- कोर्ट से आवारा मवेशियों के संबंध में जो भी आदेश दिए गए हैं, उनका पालन किया जा चुका है। अब कहीं भी आवारा मवेशी नहीं है। सरकार के दावों की हकीकत जानने दैनिक भास्कर ने रायपुर-बिलासपुर, भिलाई-दुर्ग और रायगढ़ शहरों का सर्वे किया।
इन 4 शहरों की 10-10 सड़कें चुनीं। इस तरह कुल 40 सड़कों का जायजा लिया गया। बाजार हो या हाईवे, पुराने मोहल्ले हों या कालोनी क्षेत्र, किसी भी शहर में एक भी सड़क ऐसी नहीं थी, जहां मवेशी लोगों के लिए परेशानी की वजह बनकर नहीं बैठे हैं। कहीं चार तो कहीं दो। कहीं आठ-दस का झुंड। इसका कारण यह है कि नगर निगम केवल दिखावे की कार्रवाई कर रहे हैं। कभी पकड़ते भी हैं तो उन्हें छोड़ भी दिया जाता है। पशु पालकों पर जुर्माने का ठोस प्रावधान नहीं है। हमारे लिए सभी शहरों की दस की दस तस्वीरें छापना संभव नहीं था।
- 9 सितंबर 2015 को दायर याचिका के संबंध में हाईकोर्ट ने कहा अफसर एसी कमरों से निकलकर बाहर देखें क्या हो रहा है?
- 4 नवंबर 2015 को सुनवाई के दौरान कोई जवाब नहीं आया, िफर कमिश्नर को तलब किया गया। उन्होंने जवाब दिया मवेशी पकड़े जा रहे।
- 6 अप्रैल 2016 को फिर कोर्ट में एक जनहित याचिका में कोर्ट ने कहा हादसे लगातार हो रहे हैं। प्रशासन की ओर से कहा गया अव्यवस्था को दूर किया जा रहा है।
- 11 अक्टूबर 2017 को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा मवेशी गोशालाओं में रखें। किसानों को छूट नहीं दी जा सकती कि वे मवेशी ऐसे छोड़ दें।
- 11 जुलाई 2017 को हाईकोर्ट ने फिर कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनाने के निर्देश दिए। समिति को अन्य समस्याओं के निराकरण के लिए समय-समय बैठक कर समीक्षा करने को कहा।
10 अगस्त 2018 पूर्व सैनिकों की जनहित याचिका पर जिम्मेदार अफसरों की भूमिका तय करने और उन्हें सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा। 29 जुलाई को इसी याचिका पर सरकार की ओर से कहा गया आदेश का पालन पूरी तरह से किया जा रहा है। अब कहीं भी आवारा पशु नहीं हैं।