मंदी के दौर से गुजर रहे देश में किसी संस्थान को उबार देना कोई खेल नहीं। आज की स्थिति में लाभ में लाकर खड़ा कर देने वाले को बाजीगर कहते हैं। वह भी थोड़े-मोड़े नहीं यह आकड़ा बताता है करोड़ों में- जी हां हम ऐसे शख्सियत की बात कर रहे हैं जिनका नाम सुरेश चन्द्र सिंह हैं। यह वह शख्स है जो अपने वादे के अनुसार खरे उतरकर सेवा कर रहे हैं कर्मचारियों, सदस्यों की। भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्य करते हुए इस्पात कर्मचारी को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी लिमिटेड में भी अध्यक्ष के रुप में सेवायें दे रहे हैं उनसे एक मुलाकात…..

8 मई 2016 को सोसायटी की जब कमान सम्हाली तब संस्था 5 करोड़ 97 लाख 6 सौ 1 रुपये के लोन की रिकव्हरी न हो पाने के कारण डूबने के कगार पर पहुंच गई थी। सभी लोन रिकव्हरी की उम्मीद छोड़ चुके थे परंतु दृढ़निश्चयी अध्यक्ष व उनकी टीम ने अपने प्रथम आमसभा में सदस्यों व पदाधिकारियों के बीच यह घोषणा की कि इस संस्था का कोई भी पदाधिकारी या कर्मचारी लोन के नाम पर किसी भी सदस्य को न तो प्रताड़ित करेगा न ही उनसे एक कप चाय पियेगा अगर ऐसा हुआ और इसकी शिकायत मिली तो मैं अपनी पूरी टीम के साथ इस्तीफा दे दूंगा। हमारा सबसे पहला लक्ष्य संस्था को 100 प्रतिशत भ्रष्ट्राचार मुक्त बनाने का रहा जिसमें हम पूरी तरह सफल रहे। नेताओं व अधिकारियों व तरह-तरह के दबावों के बीच बीते 3 वर्षों में संस्था ने लगभग 5 करोड़ 75 लाख रुपये के लोन की रिकव्हरी कर शुद्ध लाभ कमाया है।
सन 1963 में संस्था की स्थापना के बाद इन तीन वर्षों में पहली बार इतना शुद्ध लाभ हुआ। हमारा एक मात्र लक्ष्य संस्था के सदस्यों के धन की रक्षा करना है। लोन से जो ब्याज प्राप्त होता है उसे ही हम आगे लोन के रुप में देते हैं हमारे कर्मचारियों का वेतन, बिजली और अन्य खर्चे पिछले 35 वर्षों से स्मृति गृह निर्माण संस्था का 27 करोड़ रुपये का बकाया लोन न्यायालय के माध्यम से हमारे पक्ष में निर्णय आया है इस रिकव्हरी से हम संस्था को मजबूत करने के साथ ही रोजगार के नये अवसर पैदा करेंगे यही हमारा संकल्प है।