
पटना. बिहार में गंगा के प्रवेश स्थल बक्सर में शनिवार को 10.44 लाख क्यूसेक पानी का बहाव हो रहा था। रविवार को यह 11.26 लाख पहुंच गया। यह वृद्धि इस सीजन में सर्वाधिक थी। औसतन 15 से 30 हजार क्यूसेक पानी की मात्रा रोजाना बढ़ रही थी, पर रविवार को इसमें 82 हजार क्यूसेक की वृद्धि हो गई।
गांधी घाट पर 1, दीघा घाट पर 2, हाथीदह में 8 सेमी बढ़ा जलस्तर
गंगा के जलस्तर में रविवार काे दिनभर ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई। शनिवार की शाम गांधी घाट पर जलस्तर 49.74 मीटर दर्ज किया गया था। रविवार की अहले सुबह 49.75 मीटर दर्ज किया गया। इसके बाद शाम तक जलस्तर स्थिर रहा। हालांकि, दीघा घाट व हाथीदह में जलस्तर बढ़ गया है। दीघा घाट पर रविवार को जलस्तर 50.90 मीटर रिकॉर्ड किया गया। शनिवार को यहां जलस्तर 50.88 मीटर था। यानी दो सेंटीमीटर का इजाफा हुआ।
वहीं, हाथीदह में जलस्तर में आठ सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है। यहां जलस्तर शनिवार को 42.60 सेंटीमीटर था, जो रविवार को बढ़कर 42.68 सेंटीमीटर हो गया। जलस्तर में ज्यादा बढ़ोतरी न होने से प्रशासन भी राहत की सांस ले रहा है।हालांकि, अभी गंगा खतरे के निशान 48.60 मीटर से ऊपर 115 मीटर पर बह रही है। इससे नदी के किनारे के इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। कुर्जी के पास गंगा किनारे बसाई गई बिंद टोली के लोगों को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा है। बांध पर काफी संख्या में लोगों ने शरण ले रखी है। एलसीटी घाट से दीघा घाट के बीच नदी के किनारे तक बन गए घरों के लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है।
लगातार की जा रही निगरानी
डीएम कुमार रवि ने बताया कि जलस्तर पर निगरानी के लिए लगाई गई टीम से लगातार रिपोर्ट ली जा रही है। इलाहाबाद में गंगा के जलस्तर में गिरावट आने की रिपोर्ट है। इसका असर अब पटना में भी देखने को मिलेगा। लोगों को परेशानी से बचाने के लिए जिला नियंत्रण कक्ष को हर समय चालू रखा गया है। किसी प्रकार की जानकारी 0612-2219810 पर फोन कर ले सकते हैं।
बचाव कार्य की मांग रखी
मनेर, दानापुर, पटना सदर, फतुहा, खुसरूपुर, बख्तियारपुर, बाढ़, पंडारक और मोकामा सहित अन्य प्रखंडों में एक सप्ताह से बाढ़ का पानी घुसा हुआ है। मवेशी रात-दिन पानी में खड़े हैं। बाढ़-सुखाड़ संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रामभजन सिंह यादव ने प्रभावित प्रखंडों के अंचलाधिकारियों और अनुमंडल अधिकारियों से प्रभावित गांवों में जाकर सरकार और डीएम को वस्तुस्थिति से अवगत कराकर अतिशीघ्र बाढ़ घोषित करने की मांग की है।
रिवर फ्रंट के कारण बना टापू बाढ़ पीड़ितों के लिए बना शरणस्थली
दीघा के जेपी सेतु से दीदारगंज तक पटना में गंगा के प्रवाह मार्ग के समानांतर सड़क बन रही है। जेपी सेतु से एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट तक सड़क सतह पकड़कर पटना सुरक्षा दीवार के समानांतर चलती है और आगे नदी की धारा में बने पायों के सहारे एलिवेटेड हो जाती है। सड़क का एलिवेटेड भाग काफी ऊंचा है।
रविवार को क्रमश: दीघा में नदी का जलस्तर खतरे के निशान 50.45 मीटर से 45 सेमी. और गांधी घाट में 48.60 मीटर से 1.15 मीटर ऊपर था। पानी उन इलाकों तक पसर चुका है जहां से गंगा का वर्तमान प्रवाह मार्ग करीब 2 किमी दूर है। जिन इलाकों में निर्माणाधीन सड़क सतह पर है, पानी उससे अभी करीब मीटर डेढ़ मीटर नीचे है। 2016 में गंगा पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ गांधी घाट में 50.52 मीटर के स्तर पर पहुंच गई थी। भविष्य में कभी यह रिकॉर्ड भी टूटा तो सड़क के उत्तरी बैंक को पानी मजे का दरेरेगा। लिहाजा सड़क बचाने के लिए बोल्डर क्रेटिंग करनी होगी। इस बार डूब क्षेत्र के लोगों ने इसी सड़क पर पनाह ली है। यह संकेत है कि हर बरसात और बाढ़ में भी लोग पनाह के लिए इस्तेमाल करेंगे। भविष्य में सड़क पर ऐसा नजारा आम होगा।
छठ तक पुराने स्वरूप में पहुंच जाएगी गंगा
गंगा में पानी घटने में अधिक समय नहीं लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गंगा का जलस्तर बढ़ता काफी धीमा है, लेकिन इसमें गिरावट काफी तेज गति से होती है। रिटायर्ड इंजीनियर बीएन सिंह कहते हैं कि हमारे समय में भी इस प्रकार की स्थिति थी। 2006-07 में गंगा में पानी का स्तर काफी ऊपर था। दशहरा से पहले नदी का जलस्तर काफी ज्यादा होने के कारण निगम प्रशासन ने तैयारी को लेकर कार्यक्रम बनाने में देरी की और अचानक पानी नीचे चला गया। फिर, आनन-फानन में तैयारी को पूरा कराया गया। अब तो काफी पहले से छठ घाटों के निर्माण की योजना पर काम शुरू होता है। पहले दुर्गापूजा के बाद तैयारी शुरू होती थी और दिवाली से पहले काम शुरू होता था।
सांसत में फंसी जान, बस्ती व गृहस्थी छोड़कर जाएं तो जाएं कहां
गंगा किनारे बसे लोगों की जान सांसत में है। बस्ती और गृहस्थी छोड़कर जाएं तो जाएं कहां। पिछले कुछ दिनों से मुश्किलें बढ़ गई हैं। बीमारी का डर भी सता रहा हैं। खुद के लिए खाना जुटाएं या फिर मवेशियों के लिए चारा। नदी का उफान देख तट पर रहनेवालों का दिन का चैन और रात की नींद उड़ चुकी है।
पीरदमड़िया घाट पर अबादी घनी है। एक दर्जन से अधिक कच्चे-पक्के मकान हैं। बस्ती के निवासी पप्पू राय व गुड्डू राय सहित अन्य लोगों का कच्चा मकान जलमग्न हो गया है। घर तक जाने का रास्ता नहीं बचा है। मंजू मल्लाह ने बताया कि दो दिनों के अंदर गंगा का जलस्तर चार इंच बढ़ने से फजीहत और बढ़ी है। दो नावों के सहारे लोग एक से दूसरे स्थान तक जा रहे हैं। किशनदेव राय ने बताया कि खाना-दाना की चिंता है। घर में जो अनाज, कपड़े थे, पानी में डूब गए।
जान-माल की सुरक्षा के लिए घर का मोह छोड़ कर ऊपरी बस्ती में आ गए हैं। मवेशियों को अशोक कुमार के ईंट भट्ठे पर बांध दिया है। रात में कुछ लोग सोते हैं, तो कुछ टॉर्च लेकर निगरानी करते हैं। क्योंकि जलस्तर बढ़ने, सांप-बिच्छु का डर सताता है। मोबाइल चार्ज करने के लिए बस्ती के लोग शहर में जाते हैं।
खाना बनाने में हो रही कठिनाई
महिलाओं ने बताया कि खाना बनाना कठिन हो गया क्योंकि अंगीठी नहीं मिल रही है। मवेशी बीमार हो रहे हैं। पानी के साथ कचरा भी घर में घुस गया है। पानी भरने से सामान निकालने तक का मौका नहीं मिल पाया है। जान-माल की सुरक्षा के लिए लोग बस्ती छोड़ कर पलायन कर रह रहे हैं। खाजेकलां श्मशान घाट पर शव जलाने तक के लिए जगह नहीं बची है।
हर वक्त खतरे की आशंका
पत्थर घाट पर पानी और मकान की दूरी करीब दस फीट रह गई है। यहां के निवासी इंद्रजीत राय, जोहन राय, प्रमिला देवी ने बताया कि मकान बच रहा है। लेकिन मवेशियों के रहने के लिए जगह नहीं बची है। हर वक्त खतरे की संभावना बनी है। पानी लगातार बढ़ रहा है। टेढ़ी घाट के लोग तट को छोड़कर ऊपर सुरक्षित स्थान पर चले आए हैं। जगदीप राय, प्रमोद यादव ने बताया कि घर में आने-जाने के लिए रास्ता ही नहीं है। पानी से भय सता रहा है।