अर्जुन पटियाला’ के जॉनर के बारे में शुरू से यह बताया गया कि यह एक ऐसी कॉमेडी फिल्म है, जिसमें किरदार अपना ही मजाक उड़ाते दिखेंगे। लाउड कॉमेडी कहकर दर्शकों के बीच लाई गई यह फिल्म अपनी किस्सागोई और नैरेटिव से कन्विंस नहीं कर पाई।
अर्जुन पटियाला की खास बातें
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फिल्म का आगाज फिल्म के भीतर ही दो किरदारों का एक मसालेदार फिल्म बनाने के कैंपेन से होता है। इस फिल्म की कहानी जूडो चैंपियन रहे नायक अर्जुन पटियाला के प्यार और कथित उपलब्धियां हासिल करने के सफर पर बेस्ड है। नायक का स्पोर्ट्स कोटे से पंजाब पुलिस में चयन होता है। उसका गुरु डीएसपी गिल है। दोनों की पोस्टिंग फिरोजपुर जिले में है। दोनों का मकसद जिले को अपराध मुक्त बनाना है।
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इस काम में नायक काे अपने दोस्त और रैंक में जूनियर मुंशी ओनिडा और रिपोर्टर प्रेमिका ऋतु रंधावा का साथ मिलता है। अपराधियों की कमान वहां के लोकल गुंडों बलदेव राना, दिलबाग सिंह सकूल के हाथों में हैं। उनके इनडायरेक्ट तार वहां की एमलए और ऋतु के बॉस और न्यूज चैनल संचालक से भी जुड़े हुए हैं। उन्हें काबू करने के जो तरीके पुलिस डिपार्टमेंट अपनाता है, वे हंसी नहीं खीझ पैदा करते हैं। घिसे-पिटे तरीकों को घिसे-पिटे अंदाज में परोसा गया है।
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दुर्भाग्य से टिपिकल मसालेदार फिल्म बनाने पर तंज कसने के प्रयोग में पूरी फिल्म विफल ही रही है। ‘स्त्री’ और ‘लुकाछिपी’ से सफलता का स्वाद चख चुके दिनेश विजन इस फिल्म के प्रोड्यूसर हैं। उन्होंने इस कॉमेडी की पटकथा और संवाद ‘पिंक’, ‘कहानी’ और ‘एयरलिफ्ट’ जैसी इंटेंस कहानियां लिख चुके रितेश शाह से लिखवाई हैं। रितेश और डायरेक्टर रोहित जुगराज ने मसाला फिल्मों में इस्तेमाल होने वाले फॉर्मूले के दायरे में रहकर कॉमेडी गढ़ने की कोशिश की। ऊपरी तौर पर कॉन्सेप्ट के लिहाज से यह प्रयोगवादी कदम था, पर कॉमेडी उन दायरों में दफन होकर रह गई। ऐसा कतई नहीं है कि एक लाउड कॉमेडी बेहतरीन नहीं हो सकती।
- पूर्व में चेन्नई एक्सप्रेस, गोलमाल 4 और टोटल धमाल ने लोगों को एंटरटेन किया था। यहां कहानी, पटकथा और संवाद तीनों की पकड़ बिल्कुल ढीली है। पंजाब पुलिस को मजाकिया अंदाज में पहले भी देखा जाता रहा है, मगर यहां उनकी भद्द पिट गई है।
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फिल्म के अदाकार सक्षम हैं। अर्जुन पटियाला के रोल में दिलजीत दोसांझ हैं। ऋतु रंधावा की भूमिका में कृति सैनन हैं। डीएसपी गिल रोनित रॉय और हाल के बरसों में हीरो के बेस्ट बडी वाले किरदारों के पर्याय बन चुके वरुण शर्मा हैं। फिल्म के भीतर फिल्म की कहानी जो डायरेक्टर सुना रहा है, वह ‘स्त्री’ फेम अभिषेक बनर्जी है और प्रोड्यूसर पंकज त्रिपाठी हैं। भ्रष्ट एमएलए बनी हैं सीमा पाहवा और मेन विलेन के रोल में पहली हैं जीशान अय्यूब। जीशान इससे पहले ‘नो वन किल्ड जेसिका’ में बतौर दमदार विलेन नजर आए थे। यहां भी वे ही अपने कैरेक्टर सकूल के साथ न्याय कर पाए हैं। रोनित रॉय, दिलजीत दोसांझ, कृति सैनन, रोनित रॉय और यहां तक कि सीमा पाहवा भी औसत अदाकारी के दायरे में फंसकर रह गए हैं।
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गाने, कैमरावर्क, एडिटिंग और कॉस्ट्यूम वगैरह भी कामचलाऊ हैं। कुल मिलाकर एक प्रयोगवादी फिल्म पोटेंशियल प्रोजेक्ट की शक्ल अख्तियार कर सकती थी, मगर लचर राइटिंग, एवरेज एक्टिंग से उसका पूरी अवधि में सीरियल मर्डर होता रहा।