
जब संजय दत्त, जैकी श्रॉफ, मनीषा कोइराला, चंकी पांडे जैसे दिग्गज कलाकार एक ही पोस्टर पर नजर आए तो जाहिर है फिल्म प्रेमियों को उस फिल्म का इंतजार बेसब्री से होगा ही। यह कहानी है बल्लीपुर के विधायक बलदेव सिंह और उसके परिवार की।
इस परिवार में दबंग नेता बलदेव सिंह( संजय दत्त) उनकी पत्नी सरोज( मनीषा कोइराला) उनका बेटा आयुष( अली फजल) और छोटा बेटा विवान( सत्यजीत दुबे) है। सरोज परिवार का शक्ति केंद्र है। उसकी बात खुद बलदेव सिंह भी नहीं टाल सकते। बड़ा बेटा आयुष नैतिक मूल्यों का समर्थक है और काफी लोकप्रिय भी है। छोटा बेटा विवान बिगड़ेल रईसजादा है। बात-बात पर हाथापाई और लड़ाई-झगड़ा उसके लिए बड़ी आम बात है। इलेक्शन का दौर है। फोटो का समीकरण, चुनावी भाषण, गौरी अपोजिशन का सेटलमेंट… यह सारा हाई वोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामा साथ साथ चल रहा है। इन के बीच इस परिवार के आपसी तनाव और उलझे हुए रिश्ते भी हैं। यही मूल विषय है फिल्म ‘प्रस्थानम’ का। निर्देशक देवा कट्टा विषय वस्तु तो बहुत रोचक है मगर लेखन विभाग ने गड़बड़ कर दी !
इतने सारे किरदारों को दर्शकों से रूबरू कराने में पहला हाफ खर्च हो जाता है। सच्ची कहानी शुरू होती है इंटरवल के बाद। तब तक दर्शक उब गया होता है। बलदेव सिंह और आयुष के किरदारों को छोड़कर बाकी सारे किरदार सही लिखने के अभाव में बेमानी साबित होते हैं। अभिनय की अगर बात करें तो संजय दत्त, मनीषा कोइराला, जैकी श्रॉफ, पिंकी पांडे, अली फजल और सत्यदेव दुबे जैसे कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों के साथ पूरी तरह न्याय किया है। लेकिन निर्देशक ने मनीषा कोइराला, जैकी श्रॉफ, चंकी पांडे, अमायरा दस्तूर जैसे कलाकारों के साथ पूर्ण न्याय नहीं किया है। इनके किरदार कब आते हैं… कब चले जाते हैं समझ नहीं आता।
कुल मिलाकर ‘प्रस्थानम’ एक साधारण फिल्म है। अगर आप संजय दत्त और दूसरे कलाकारों के जबरदस्त फैन हैं तो आप यह फिल्म देखने जा सकते हैं। वरना अगले हफ्ते का इंतजार करें।