भिलाई। 8 मार्च : एमजे कालेज की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने आज कहा कि महिलाएं पुरुषों की प्रेरणा ही नहीं बल्कि उनकी ताकत भी हैं। कोरोना काल में बच्चों और सामान को उठाए मीलों का सफर तय कर उसने अपने शारीरिक बल का भी परिचय दिया है। वे महिला दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रही थीं।
डॉ विरुलकर ने कहा कि कोरोना काल में महिलाओं ने रोजगार बंद होने के बावजूद परिवार को दो वक्त का भोजन देकर अपनी प्रबंधन क्षमता का परिचय दिया। निराश और हताश बैठे पति, भाई या बेटे को हौसला देकर उसने काउंसलर की भूमिका भी निभाई है। दरअसल महिलाओं की इन्हीं क्षमताओं के कारण पुरुषवादी सोच वाले लोग परेशान हैं।
प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों में महिलाओं की स्थिति अलग अलग है। कुछ महिलाएं जहां तिरस्कार का जीवन जी रही हैं वहीं उच्च शिक्षित महिलाएं सर्वोच्च पदों पर भी आसीन हैं। शिक्षा एक ऐसा हथियार बनकर सामने आया है जिसने महिला एवं पुरुषों के बीच के फर्क को काफी हद तक कम कर दिया है।
व्याख्याता दीपक रंजन दास ने आरंभिक उद्बोधन देते हुए कहा कि महिला दिवस किसी स्त्रीवादी सोच का परिणाम नहीं था। यह औद्योगिक क्षेत्र में महिलाओं की समानता के अधिकार का शंखनाद था। समाज में आए प्रत्येक परिवर्तन ने स्त्री एवं पुरुषों की भूमिका को प्रभावित किया है। बाल विवाह रुके तो स्त्री शिक्षा में मजबूती आई। रोजगार के क्षेत्र मे भी महिलाएं आगे बढ़ीं।
समारोह को फार्मेसी कालेज के प्राचार्य डॉ टेकेश्वर कुमार, आयोजक नर्सिंग कालेज के प्रभारी प्राचार्य डैनियल तमिल सेलवन ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर नृत्य के अलावा महिलाओं के लिए गेम्स भी कराए गए। साथ ही महिला कर्मचारी के लिए “मुझे नारी होने पर गर्व है” विषय पर 3 मिनट का वीडियो बनाने की स्पर्धा आयोजित की गई तथा विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया।