नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लापता होने की कहानी पर बन रही श्रीजीत मुखर्जी की फिल्म ‘गुूमनामी’ नए विवाद में फंस गई है। नेताजी के परिवार ने दावा किया है कि उनकी छवि को खराब करने के लिए एक अपमानजनक अभियान चलाया जा रहा है।
CBFC ने दी है क्लीन चिट : श्रीजीत मुखर्जी ने कहा है- सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन द्वारा मंजूरी के बाद ही फिल्म बनाई है। श्रीजीत ने कहा- नेताजी का अपमान करने का हमारा कोई इरादा नहीं है। हमने फिल्म में उनके प्रति अपना सम्मान दिखाया है। यह एक लोकतंत्र है, एक फिल्म निर्माता के पास अधिकार है कि वह महान नेता के रहस्यों के बारे में बताए जिस पर हम सभी को गर्व है। हमने फिल्म को तीन दृष्टिकोणों से बनाया है और नतीजे पर पहुंचना दर्शकों के लिए छोड़ दिया है। सच को रिलीज होने के बाद यह साबित कर देगी।
33 सदस्यों ने दिया स्टेटमेंट : बोस परिवार के 33 सदस्यों ने साइन किया हुआ एक लिखित बयान में कहा है- “गुमनामी बाबा के नाम से लंबे समय से एक ऐसा अभियान चलाया जा रहा है जिससे उनकी छवि खराब की जा सके।क्योंकि वह गरीब बाबा नेताजी से जुड़ी हुई चीजों से भरा एक ट्रंकलोड छोड़ गया था।”
साइन करने वालो में नेताजी की बेटी अनीता, भतीजी चित्रा घोष, भतीजा द्वारकानाथ बोस, भतीजी कृष्णा बोस के अलावा उनके पड़पोते और बीजेपी नेता चंद्रा बोस भी शामिल रहे।
डीएनए सैम्पल भी नहीं हुए मैच : इतना ही नहीं परिजन ने 2005 के जस्टिस मुखर्जी कमीशन ऑफ़ इन्क्वायरी की निर्णायक प्रमाण का हवाला दिया है। जिसमें यह बताया गया था कि डीएनए परीक्षण के माध्यम से यह साफ हो चुका है कि नेताजी और गुमनामी बाबा के बीच कोई मेल नहीं है। अपने लैटर में इस फिल्म के जरिए चलाए रहे अभियान को रोकने की मांग भी की है।
कृष्णा ने कहा अपमान का अधिकार नहीं : नेताजी की भतीजी और नेताजी रिसर्च ब्यूरो के निदेशक कृष्णा बोस ने कहा- “हर किसी को व्यावसायिक कारणों से फिल्म बनाने का अधिकार है लेकिन किसी को भी महान देशभक्त का अपमान करने का अधिकार नहीं है।”
निधन के बारे में कन्फर्म नहीं कुछ : नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु को लेकर हमेशा विवाद रहा है। कहा जाता है कि 18 अगस्त 1945 को हवाई जहाज दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु हो गई थी। लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार द्वारा इस घटना की जांच करने के लिए गठित कमिटी ने कहा कि नेताजी की मौत उस विमान दुर्घटना में होने का कोई सबूत नहीं है।