
छत्तीसगढ़ में बहनों और बेटियों के सम्मान का सबसे अहम लोकपर्व तीजा रविवार को मनाया जाएगा। इसकी शुरुआत शनिवार को करूभात से हो गई। रविवार को सुहागिनें व कुंवारी कन्याएं 24 घंटे से भी ज्यादा समय का सबसे कठिन निर्जला व्रत रखेंगी। रतजगा कर भगवान का भजन व नाच-गान करेंगी। मायके से भेंट में मिले नए वस्त्र व आभूषण धारण करेंगी। सोमवार को सुबह शिव-पार्वती व गणेश भगवान की पूजा के बाद व्रत का समापन होगा और दिनभर महिलाएं एक-दूसरे के घर जाकर छत्तीसगढ़ी पकवान खाएंगी। इस पौराणिक त्योहार में सभी सुहागिनें सोलह श्रृंगार करेंगी।
तीज के ये हैं तेरह चलन
1. तीज का व्रत निर्जला किया जाता है। यानी पूरे दिन और रात अगले सूर्योदय तक कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता।
2. वृद्ध या बीमार महिलाओं को निर्जला व्रत रखने से छूट दी जाती है।
3. तीज का व्रत कुंवारी कन्याएं और सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा किया जाता है।
4. इस व्रत का नियम है कि इसे एक बार शुरू करने के बाद बीच में नहीं छोड़ा जा सकता।
5. इस दिन महिलाएं नए वस्त्र पहनकर भजन व नाच-गान कर रतजगा करती हैं।
6. पूजन प्रदोषकाल में किया जाता है। यानी दिन और रात के मिलने के समय में।
7. तीज के पूजन हेतु शिव-पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा रेत या काली मिट्टी से बनाई जाती है।
8. फुलेरा बनाकर उसे सजाया जाता है। उसके अंदर रंगाेली से चौक डालकर उस पर पाटा या चौकी रखी जाती है। चौकी पर एक थाल के ऊपर केले का पत्ता रखकर उस पर मूर्तियां स्थापित की जाती हैं।
9. एक कलश बनाया जाता है। इस पर श्रीफल रखते हैं या एक दीपक जलाकर रखा जाता है।
10. सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है फिर शिव जी की और फिर पार्वती की पूजा की जाती है।
11. इसके बाद हरितालिका व्रत की कथा पढ़ी और सुनी जाती है।
12. ककड़ी और हलवे का भोग लगाया जाता है और इसी भोग से महिलाएं अपना उपवास तोड़ती हैं।
13. अंत में सभी वस्तुएं एकत्र कर नदी या तालाब में विसर्जित कर दी जाती हैं।
इसलिए निर्जला व्रत से पहले करू भात : निर्जला व्रत की शुरुआत रात में करू भात यानी करेले की सब्जी और भात के साथ की जाती है। इस प्राचीन परंपरा का वैज्ञानिक आधार है। करेले की सब्जी वात और पित्त नाशक है। इससे प्यास नहीं लगती। साथ ही, दिनभर खाली पेट रहने के बावजूद पेट में गैस की शिकायत नहीं होती।
पकवान के साथ मेल-जोल का भी पर्व : रक्षाबंधन के बाद तीजा पर्व मनाया जाता है। तीजा कई तरह के पकवान के साथ-साथ मेल-जोल का भी पर्व है क्योंकि इस दिन आसपास के कई घरों में रिश्तेदारों, सहेलियों से भी सुहागिनें मिलती हैं। तीजा पर ठेठरी, खुरमी, पिड़िया, भजिया और बड़ा बनाया जाता है। व्रत का पारणा चीला और बिनसा से किया जाता है।