
बेंगलुरू। चंद्रयान-2 से अलग होने के बाद चंद्रमा की सतह पर उतरने समय विक्रम लैंडर से इसरो का संपर्क टूट गया था। हालांकि, अभी वैज्ञानिक इसके कारण की तलाश कर रहे हैं और माना जा रहा है कि अगले 14 दिनों के अंदर एक बार फिर से विक्रम से संपर्क किया जा सकेगा। मगर, शुरूआती कारणों में माना जा रहा है कि ज्यादा ब्रेक लगाने की वजह से पैदा हुए थ्रस्ट के चलते विक्रम नियंत्रण से बाहर हो गया होगा।
इसरो के एक वैज्ञानिक ने बताया कि पहले हमें लग रहा था कि किसी एक थ्रस्टर ने पूरी तरह से काम नहीं किया होगा। मगर, कुछ शुरुआती विश्लेषण के बाद ऐसा लग रहा है कि थ्रस्टर्स ने जरूरत से ज्यादा ही प्रदर्शन कर दिया।
चंद्रमा की ऑर्बिट से नीचे उतरते हुए 30 किमी की ऊंचाई पर अगले 10 मिनट तक विक्रम ने अच्छी तरह से रफब्रेकिंग की थी और अपनी गति को 1680 मीटर प्रति सेकंड से 146 मीटर प्रति सेकंड तक ले गया था। रफ्तार को कम करने के लिए की गई इस फाइन ब्रेकिंग के तुरंत बाद इसरो के मिशन कंट्रोल का लैंडर के साथ संपर्क टूट गया था।
विक्रम के खामोश होने के बाद इसरो के मिशन कंट्रोल ने मैड्रिड में नासा के डीप स्पेस नेटवर्क सेंटर और मॉरीशस में इंडियन स्टेशन से विक्रम के लिंक्स की तलाश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हालांकि, अभी आधिकारिक रूप से इसरो ने कहा है कि इसरो अभी भी डाटा का विश्लेषण कर रहा है। ऑर्बिटर से अभी भी इसरो का संपर्क बना हुआ है और अच्छी बात यह है कि पूर्व निर्धारित एक साल के अभियान की बजाय अब यह सात साल तक काम करेगा। यह मिशन करीब 95 फीसद सफल रहा है।
इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन पर बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि हर चरण के लिए सफलता का मानक तय था। अभी तक 90 से 95 फीसद उद्देश्यों को पूरा किया जा चुका है और यह चांद से जुड़ी जानकारी हासिल करने में मदद करेगा।