
असम में 31 अगस्त को जारी हुई नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) की लिस्ट के बाद हलचल बढ़ गई है. इस लिस्ट में 19 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं हैं, अब इन सभी के सामने अब अपनी पहचान को साबित करने का संकट है. हालांकि, लगातार उठ रही आवाज़ों के बीच अब असम सरकार की तरफ से उन लोगों के लिए मदद के दरवाजे खोले जा रहे हैं, जिनका नाम लिस्ट में शामिल नहीं हो सका है.
असम सरकार की तरफ से ऐसे लोगों को कानूनी मदद मुहैया कराई जाएगी. इसके लिए पूरे राज्य में फॉरन ट्रिब्यूनल्स की संख्या बढ़ाई जाएगी, अभी राज्य में सिर्फ 100 फॉरन ट्रिब्यूनल्स हैं. अब सरकार का लक्ष्य है कि अक्टूबर तक इनकी संख्या 200 तक पहुंचाई जाए. ताकि लोगों को अधिक संख्या में मदद मिल सके.
इसके साथ ही लोगों को कानूनी रास्ता बताने के लिए हर जिले में कुछ यूनिट बनाई जाएंगी, जो लोगों की मदद करेगी. हालांकि, अभी इसके लिए तबतक अप्लाई नहीं किया जा सकता है जबतक NRC कोऑर्डिनेटर की तरफ से व्यक्ति के पास इस बात का लेटर ना आ जाए कि उनका नाम लिस्ट में नहीं है.
ऐसे किसी भी व्यक्ति को जिसका नाम लिस्ट में नहीं है, ऐसी स्थिति में दोबारा अपील करने के लिए लोगों को 120 दिन का समय मिलेगा.
गौरतलब है कि 31 अगस्त को जब लिस्ट सामने आई तो अचानक राज्य में भगदड़ जैसा माहौल हुआ. क्योंकि हालात कुछ ऐसे बने कि किसी को कुछ समझ ही नहीं आया. क्योंकि परिवार के एक सदस्य का नाम लिस्ट में है तो वहीं दूसरे व्यक्ति का नाम लिस्ट में नहीं है. इसी तरह के कई उदाहरण पूरे राज्य से सामने आ रहे हैं. कुछ जगह तो ऐसे भी उदाहरण हैं जहां पर पूरे परिवार का नाम ही लिस्ट में नहीं है, यानी पूरे परिवार के सामने ही पहचान का संकट है.
बता दें कि एनआरसी की अंतिम सूची से 19,06,677 लोग निकाले गए हैं, जबकि इसी सूची में 3,11,21,004 लोगों को भारतीय नागरिक बताया गया है.