
दंतेवाड़ा. इंद्रावती नदी पार के घोर नक्सल प्रभावित गांवों में लगातार चुनाव का विरोध होता रहा है। नक्सली लोगों को डरा-धमका कर मतदान नहीं करने की बात करते रहे हैं। इसके चलते इस नक्सलगढ़ में न कोई चुनाव का नाम लेता है, और ना ही यहां कोई वोट मांगने आता है। नक्सलियों के इस गढ़ में अब स्कूली बच्चों ने चुनाव को लेकर बीड़ा उठाया है। मतदान का महत्व समझ चुके बच्चे अब उपचुनाव को लेकर अपने परिजनों को जागरूक कर रहे हैं।
पहली बार मतदाता जागरूकता के लिए कार्यक्रम हो रहे हैं। गुरुवार को बड़े करका, चेरपाल, तुमरीगुंडा के स्कूलों व आश्रम के बच्चों ने ग्रामीणों को बताया कि 23 सितंबर को दंतेवाड़ा विधानसभा का उपचुनाव होना है, ऐसे में वोट देने जरूर जाएं। बड़े करका संकुल स्कूल में 6 साल से काम कर रहे शिक्षक जितेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां ग्रामीण वोट का नाम लेने से घबराते हैं। सबसे पहले बच्चों को चुनाव का महत्व बताया गया तो बच्चों ने खुद तय किया कि वे अपने परिजन को वोट का महत्व समझाएंगे।
ये वही इलाका है जहां नक्सलियों ने सरपंच की हत्या की। नक्सल धमकियों के बीच ग्रामीण वोट देने पहुंचते ज़रूर हैं, लेकिन लौटते हैं अंगुली पर लगी अमिट स्याही को मिटाकर। लोकसभा चुनाव में भी नदी पार के मतदाताओं ने अमिट स्याही नहीं लगवाई थी। इन इलाकों में नक्सलियों के वर्चस्व और डर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर कभी मतदान बूथ तक नहीं बनाया जाता है। न ही कोई जागरूकता कार्यक्रम चलता है। जिसके जरिए लोगों से वोट डालने की अपील की जा सके।
चुनाव की जानकारी देने कोई जहमत नहीं उठाता
नदी पार ऐसा क्षेत्र है जहां चुनाव की भी जानकारी देने जाने कोई जहमत नहीं उठा पाता। तुमरीगुंडा के 66 साल की बुजुर्ग महिला बुधरी कोपे ने बताया कि छिंदनार, बारसूर के हाट बाजार में जाने से ही चुनाव की जानकारी मिलती थी। यहां वोट लेने के नाम पर या चुनाव के बारे में बताने कभी भी कोई नेता नहीं पहुंचा। पहली बार बच्चों के माध्यम से चुनाव की जानकारी मिली है।
सभी 6 बूथ नदी के इस पार किए गए शिफ्ट
नदी पार के गांव तुमरीगुंडा, चेरपाल, पाहुरनार, बड़े करका, हांदावाड़ा, हितावाड़ा के 6 बूथों को इस पार शिफ्ट किया गया है। इन गांवों में करीब 5000 मतदाता हैं। ये वह गांव हैं जहां नक्सलियों की अक्सर मौजूदगी रहती है। अच्छी बात यह है कि भय, दहशत व तमाम चुनौतियों के बीच भी इलाकों के मतदाता किसी तरह छिपते- छिपाते पोलिंग बूथों तक पहुंच वोट देने ज़रूर आते हैं।