
रायपुर । छत्तीसगढ़ का वन विभाग शीघ्र ही अपनी नर्सरियों में प्लास्टिक को बैन करने जा रहा है। विभाग की नर्सरी में पौधे अब प्लास्टिक में नहीं तैयार किए जाएंगे। इसके लिए बांस के बने दोने और कपड़े के थैलों का उपयोग किया जाएगा। वन विभाग की इस कोशिश न केवल पर्यावरण का संरक्षण होगा बल्कि महिला स्व-सहायता समूहों को रोजगार भी मिलेगा। विभाग के इस प्रस्ताव को सरकार की हरी झंडी मिल गई है।
काले प्लास्टिक में तैयार होता है पौधा
छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के ज्यादातर नर्सरियों में पौधे काले रंग की प्लास्टिक में तैयार किया जाता है। छत्तीसगढ़ का वन विभाग इसके लिए हर वर्ष करीब 25 करोड़ की प्लास्टिक की खरीद करता है।
स्व-सहायता समूहों को मिलेगा रोजगार
वन विभाग की इस पहल से महिला स्वसहायता समूह के 25 हजार से ज्यादा को रोजगार भी मिलेगा। राजधानी सहित राज्य के अलग-अलग शहरों में 15 प्रसंस्करण केंद्र हैं। महिला समूह भी इसी से जुड़ा है।
दोने बनाने की तैयारी शुरू
सरकार से इसकी मंजूरी मिलने के बाद बांस प्रसंस्करण केंद्र में दोने बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। थैली के लिए कपड़े खरीद की प्रक्रिया भी कागजों में शुरू हो चुकी है। दोने व थैली का आकार नर्सरी में अब तक उपयोग किए जा रहे प्लास्टिक बैग के अनुसार ही तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। अफसरों ने बताया हर साल पौधों को तैयार करने 25 करोड़ से ज्यादा के प्लास्टिक बैग खरीदे जाते थे।
35 फीसद घटेगा खर्च
बांस के दोने बनाने में प्लिास्टक बैग की तुलना में करीब 35 फीसदी कम खर्च होगा। विभाग के पास बांस की कमी नहीं है। दोना बनाने में उसी का उपयोग किया जाएगा। थैली के लिए कपड़े खरीदकर महिला समूह को दिया जाएगा। वे अपने स्वसहायता केंद्र में थैली तैयारी नर्सरी में सप्लाई करेंगी। अफसरों के अनुसार इसका सबसे बड़ा फायदा रोजगार के अवसर के रूप में आएगा।
थैली के लिए टेंडर जारी
प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने बताया, वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने थैली के टेंडर जारी करने के साथ ही महिला समूहों का प्रशिक्षण शुरू करने को कहा है। अभी हमारे पास 15 सेंटर हैं। बांस के दोने का उपयोग बढ़ने पर और दूसरे शहरों में भी बांस प्रसंस्करण केंद्र खोले जाएंगे। सेंटर खुलने से भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।