परिवार में नियमों का होना जरूरी है। इनका होना धारा के दो किनारों की तरह होता है, जो राह में डगमगाने नहीं देते। नियमों की नींव बचपन से ही डाली जाए, तो बेहतर है। बच्चों को छोटे-छोटे नियमों के पालन की आदत डालवाई जाए तो उन्हें एक उज्जवल भविष्य के लिए तैयार किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता जब घर के नियम बनाएं तो बच्चों को पहले ही इस बात से अवगत करा दें कि ये घर के साथ-साथ घर के बाहर भी लागू होंगे। यदि आपने अब तक इनकी रूप रेखा तैयार नहीं की है तो अब कर लीजिए। संगीता दीक्षित बता रही हैं कि घर के नियम किस तरह के हो सकते हैं…
ऐसे हों नियम
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गुस्से पर काबू
ये घर के पहले नियम में शामिल किया जाना चाहिए। घर में यदि एक उम्र के बच्चे हैं तो उनमें झगड़ा होना सामान्य है। बच्चे ग़ुस्से में अक्सर एक-दूसरे पर हाथ उठाने लगते हैं। खासतौर पर जब भाई/बहन उनसे छोटे होते हैं तो ये सबसे सामान्य होता है। यदि घर के बड़े भी ऐसा करते हैं तो उन्हें इस आदत को बदलना होगा। एक नियम बनाएं कि घर में यदि किसी को भी किसी से गुस्सा या नाराजगी है, तो ऐसे में शांति से काम लिया जाएगा। किसी प्रकार की उद्दंडता नहीं की जाएगी।
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अपशब्दों से दूरी
बच्चे अक्सर बाहर खेलने जाने पर और टीवी देखकर गलत शब्दों का इस्तेमाल करना सीख जाते हैं। उन्हें इस तरह की भाषा आकर्षित करती है। उन्हें लगता है कि इस तरह से बात करने पर उनकी बात को सुना जाएगा या इस तरह की भाषा बोलकर वे सभी का ध्यान आकर्षित कर लेंगे। आजकल कई कार्टून्स और फिल्में हैं जिनमें अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है। बच्चों को समझाएं ऐसा करना उनकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। उनके ऐसा करने से उनके छोटे भाई-बहन भी यही सीखेंगे।
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पीठ पीछे न हो गलत व्यवहार
- बच्चे जब बड़े होने लगते हैं तो वे बड़ों को अपनी बराबरी का समझने लगते हैं। उन्हें लगता है कि बड़े उन पर बंदिशे लगाने की कोशिश कर रहे हैं। वे बड़ों द्वारा समझाने पर यहां-वहां देखने लगते हैं या गुस्से में दरवाजे बंद करने या फिर चीज़ें पटकने या आड़े-टेढ़े मुंह बनाने जैसी न जाने कितनी ही हरकतें करते हैं।
- बच्चों को बताएं कि पीठ पीछे इस तरह का व्यवहार करना बड़ों का अनादर होता है। उन्हें समझाएं कि घर के किसी भी सदस्य से दिक्कत है तो उनके साथ बैठकर उसे सुलझाएं। अभद्र व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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छोटों की मदद करें
घर के बड़े बच्चे छोटों के साथ खेलने, उनके साथ आने-जाने में कतराते हैं। उन्हें बताएं कि छोटे भाई-बहनों का ध्यान रखना, उनकी मदद करना उनकी जिम्मेदारी है। वे उनका होमवर्क करने में उनकी मदद कर सकते हैं। उनके साथ बाहर जाना और साथ खेल भी सकते हैं। जब माता-पिता किसी कार्य में व्यस्त हों तो ऐसे में वे छोटे भाई-बहन को व्यस्त रख सकेंगे।
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अपना कार्य खुद करें
ये सभी ने अपने बड़ों से सुना ही होगा। यह नियम आपके बच्चे को स्वतंत्र और जिम्मेदार बनाने में मदद करेगा। बच्चों को खाने के बाद प्लेट धुलने के लिए निर्दिष्ट स्थान पर रखना, सुबह उठकर अपना बिस्तर ठीक करना, बाथरूम इस्तेमाल करने के बाद साफ करना जैसे नियमों की आदत डालें। यदि वे इन कामों को ठीक तरह से नहीं कर पा रहे हैं, तो इसमें उनकी मदद करें।