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फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी) और न्यूयॉर्क के अटॉर्नी जनरल ने गूगल पर 170 मिलियन डॉलर यानी करीब 1224 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना यू ट्यूब पर बच्चों की निजता के उल्लंघन के लिए लगाया गया। आयोग ने कहा कि वीडियो साइट ने जानबूझकर और अवैध तरीके से युवाओं की जानकारी जुटाई और इस डेटा का इस्तेमाल बच्चों को टारगेट करने के लिए किया।
आयोग ने कहा कि यू ट्यूब ने चिल्ड्रेंस ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट (सीओपीपीए) का उल्लंघन किया। आयोग ने यू ट्यूब को अपनी चिल्ड्रेंस पॉलिसी में भी बदलाव के निर्देश दिए हैं। यह सुधार एफटीसी और न्यूयॉर्क अटॉर्नी जनरल के साथ समझौते का हिस्सा हैं।
चिल्ड्रेंस प्राइवेसी एक्ट के तहत अमेरिका में यह जुर्माने की सबसे बड़ी रकम
- अधिकारियों ने कहा कि गूगल के स्वामित्व वाली यू ट्यूब ने गलत तरीके से बच्चों का डेटा इकट्ठा किया। इनमें उनके अभिभावकों की इजाजत के बगैर लिए गए आइडेंटिफिकेशन कोड भी हैं, जिनका इस्तेमाल वेब ब्राउजिंग ट्रैक करने में किया जाता है।
- अधिकारियों के मुताबिक, साइट ने एडवर्टाइजिंग के लिए खुद को बच्चों के लिए टॉप डेस्टिनेशन के तौर पर प्रस्तुत किया। यहां तक कि साइट ने कुछ एड कंपनियों से यह भी कहा कि उनके व्यूअर 13 साल की उम्र से ज्यादा हैं, ऐसे में चिल्ड्रेंस प्राइवेसी लॉ के पालन की आवश्यकता नहीं है।
- आयोग के अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की नीतियों के चलते यूट्यूब ने बच्चों से जानकारी जुटाई और इसका इस्तेमाल विज्ञापन जुटाने के लिए किया और करोड़ों डॉलर कमाए।
- यू ट्यूब जुर्माने की रकम देने को राजी हो गया है। इसमें से 130 मिलियन डॉलर एफटीसी और 34 मिलियन न्यूयॉर्क को जाएंगे। चिल्ड्रेंस प्राइवेसी एक्ट के तहत अमेरिका में दी गई यह जुर्माने की सबसे बड़ी रकम है।