
भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी त्योहार मनाया जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार गणेश चतुर्थी का दिन अगस्त अथवा सितम्बर के महीने में आता है। इस साल गणेश चतुर्थी 2 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में गणेश की पूजा की जाती है। गणेश स्थापना से ही गणेशोत्सव की शुरुआत हो जाएगी और 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन ये उत्सव पूर्ण होता है।
- ग्रह-नक्षत्रों से बन रहे हैं शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रवीण द्विवेदी के अनुसार इस साल गणेश चतुर्थी पर ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति से शुक्ल और रवियोग बन रहे हैं। इनके साथ ही सिंह राशि में चतुर्ग्रही योग भी बन रहा है। यानी सिंह राशि में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र हैं। सितारो की इस शुभ स्थिति के कारण ये त्योहार और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा। ग्रह-नक्षत्रों के इस शुभ संयोग में गणेश स्थापना होने से समृद्धि और सुख-शांति मिलेगी। वहीं कई लोगों की मनोकामना भी पूरी होगी।
- चित्रा नक्षत्र में होगी गणेश स्थापना
इस बार हरतालिका तीज 1 सितंबर रविवार को है। पंडित द्विवेदी के अनुसार हरतालिका तीज पर सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि नाम के 2 बड़े शुभ योग बन रहे हैं। वहीं सोमवार को दिन की शुरुआत हस्त नक्षत्र में होगी और गणेश स्थापना चित्रा नक्षत्र में की जाएगी। मंगल के इस नक्षत्र में चंद्रमा होने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। चित्रा नक्षत्र और चतुर्थी का संयोग सुबह लगभग 8 बजे से शुरू होगा और पूरे दिन तक रहेगा। शुक्ल और रवियोग बनने से दिन और भी खास हो जाएगा।
- गणेश स्थापना के लिए श्रेष्ठ है मध्याह्न काल
भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। इसलिए भगवान गणेश की स्थापना और पूजा का सबसे श्रेष्ठ समय मध्याह्न काल ही माना गया है। मध्याह्न यानी दिन का दूसरा प्रहर जो कि सूर्योदय के लगभग 3 घंटे बाद शुरू होता है और लगभग 12 या साढ़े 12 बजे तक रहता है। गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त के संयोग पर गणेश स्थापना की जा सकती है। जो कि सुबह लगभग 11.55 से दोपहर 12.40 तक रहेगा। इसके अलावा पूरे दिन शुभ संयोग होने से सुविधा अनुसार किसी भी शुभ लग्न या चौघड़िया मुहूर्त में गणेश स्थापना की जा सकती है।