
रायपुर . राजधानी की लाइफलाइन खारुन में मिलनेवाले तथा अाउटर में चारों तरफ से गुजरनेवाले अाधा दर्जन से ज्यादा नाले लगभग 65 किमी की सफाई और कब्जे हटाने की वजह से बरसों बाद पहने लगे हैं, यानी पानी चल रहा है। इसमें कुछ ऐसे नाले जीवित किए गए हैं, जो लुप्त हो गए थे और बरसों से इनमें बारिश में भी पानी नहीं चलता था। सभी नाले प्राकृतिक हैं और दो दशक पहले तक गर्मी में भी पानी के लिए जाने जाते थे। प्रशासन ने यह काम तीन माह पहले उस सर्वे रिपोर्ट के अाधार पर शुरू किया था, जिसमें कहा गया था कि अगर राजधानी से गुजरनेवाले और अाउटर के नालों को साफ कर फिर पानी बहने का रास्ता बनाया जाए तो इससे शहर के ग्राउंड वाटर और खारुन में सफाई के मामले में खासी मदद मिलेगी।
ऐसा पहली बार हो रहा है जब बंद हो चुके आउटर के नालों को फिर से ठीक किया गया है। जब नालों का काम शुरू किया गया तो कई जगहों पर नाले कचरे से पटकर सड़क लेवल में आ गए थे। यानी पता ही नहीं चल रहा था कि वहां कभी नाला था। कई जगहों पर नालों को पाटकर गुमटियां और कच्चे मकान खड़े कर दिए गए थे। एक महीने के भीतर इन सारे कब्जों को तोड़ दिया गया। अब इन नालों से बारिश का पानी इतनी तेज गति से बहर रहा है कि आसपास के लोग इसे देखने भी आ रहे हैं।
12 एकड़ जमीन पर लगाए पौधे : बारिश का पानी बचाने पहले चरण में शहर से लगे धनेली और बिरगांव से धरसींवा तक जाने वाले 120 किमी नालों को फिर जीवित किया जा रहा है। 65 किमी नाले तो सिर्फ सफाई करके खोले गए हैं। बाकी 55 किमी नालों का काम भी चल रहा है और इनमें भी पानी बहने लगा है। इनसे बिरगांव के बाद से धरसींवा तक भूजल स्तर बढ़ने की सूचना है। जबकि इसी इलाके में इस बार भूजल स्तर सबसे ज्यादा गिरा था।
नाले साफ तो नदी भी स्वच्छ : कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने बताया कि नालों की गंदगी दूर करेंगे तो नदियों में कचरा कम पहुंचेगा। इसलिए इस योजना में ऐसे नालों का चयन किया गया है, जो छोटे एवं मध्यम आकार के हैं तथा खारुन, महानदी और कोल्हान में मिल रहे हैं। इन नालों में उदगम से नदी तक किया जा रहा है। उन क्षेत्रों के नालों को प्राथमिकता से साफ कर रहे हैं, जहां इसी साल गर्मी में पानी और सिंचाई का संकट खड़ा हो गया था।