
भिलाई। आज की पत्रकारिता पहले जैसे नहीं रही। आज की पत्रकारिता को अखबार मालिक तय करता है व अपने अनुसार खबरों को चयनित करता है। यही हाल संपादकीय का हो गया है। भय मुक्त वातावरण में प्रश्न पूछने का अधिकार ही असल लोकतंत्र है। प्रश्न पूछना भारतीय परंपरा का हिस्सा है। वेदों में, उपनिषदों में भारतीय मनीषा में प्रश्न पूछने की परंपरा है। लोकतंत्र भी प्रश्न पूछने से मजबूत होता है। जिन प्रश्नों को उठाने से संविधान मजबूत होता है उसे भयमुक्त होकर जरूर पूछा जाना चाहिए। यह बातें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वर्गीय देवीप्रसाद चौबे की स्मृति में भिलाई में आयोजित वसुंधरा सम्मान कार्यक्रम में कही। मुख्यमंत्री ने उन्नीसवें वसुंधरा सम्मान से वरिष्ठ पत्रकार तुषार कांति बोस को सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि डरा हुआ समाज अपनी नींव से विचलित हो जाता है। हमारी परंपरा हमें निर्भय बनाती है। ज्ञान हमारे भय को समाप्त करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सवाल पूछना अपराध होता है तो लोकतंत्र की जड़ें खोखली होने लगती हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वसुंधरा सम्मान से इस बार वरिष्ठ पत्रकार तुषार कांति बोस को जूरी ने सम्मानित किया है। श्री बोस ने पत्रकारिता की अपनी यात्रा कोलकाता से आरंभ की और बस्तर में रच बस गए। ऐसे दौर में जब सीमित पाठक थे, उन्होंने सीमित संसाधनों के साथ अपनी कलम को जीवंत रखा। ये प्रशंसनीय उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि आज स्वर्गीय देवीप्रसाद चौबे की स्मृति में यह आयोजन हो रहा है। वे सही मायने में छत्तीसगढिय़ा नेता थे। इस मौके पर तुषार कांति बोस ने भी अपना संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि मैं कोलकाता से आया और बस्तर में रचबस गया। यहां लोगों से बहुत प्यार मिला और पत्रकारिता के गहन अनुभव मिले। इस अवसर पर दुर्ग विधायक अरूण वोरा ने भी स्वर्गीय देवीप्रसाद चौबे के साथ अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय श्री चौबे ने उनके पिता मोतीलाल वोरा के साथ राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। उनका योगदान अविस्मरणीय है। इस अवसर पर कृषि मंत्री रवींद्र चौबे एवं अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
दुर्ग शहर के विधायक अरुण वोरा ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार हर क्षेत्र में विकास कर रही है। किसानों से लेकर व्यापारी तक के कांग्रेस की सरकार से खुश हैं। बस्तर जैसे क्षेत्र में विकास कार्य के लिए करोड़ों की सौगात मुख्यमंत्री ने दिए हैं। कई योजनाएं बस्तर के लिए क्रियान्वयन किया जा रहा है।
इस अवसर पर इंडिया टूडे के संपादक अंशुमान तिवारी ने भी अभिव्यक्ति की आजादी के मायने विषय पर अपना संबोधन दिया। श्री तिवारी ने कहा कि लोकतंत्र तो कई देशों में है लेकिन अब लोकतंत्र की जो अवधारणा है वो ये है कि क्या इस लोकतंत्र में प्रश्न पूछने की आजादी है। यदि वो प्रश्न सहित है तो जीवंत है यदि प्रश्न रहित है तो कागजी है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति प्रश्नों को स्थान देती है। पूरी व्यवस्था प्रश्न पूछने के अधिकार देती है। इस मायने में नचिकेता भारतीय प्रश्न परंपरा के शिखर पुरुष हैं। उन्होंने अपने समय की सबसे बड़ी संस्थाओं से प्रश्न पूछे। यज्ञा संस्था से प्रश्न पूछा। ऋषि संस्था से प्रश्न पूछा और अंतत: सर्वोच्च सत्ता मृत्यु से प्रश्न पूछा। श्री तिवारी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र को देखें तो संसद क्या है? यह सरकार से प्रश्न पूछने का विराट आयोजन है। उन्होंने कहा कि जब मैं सत्ता कहता हूँ तो यह केवल राजनीतिक सत्ता नहीं है। सत्ता का अर्थ वे सारे लोग हैं जो दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में निर्भीक पत्रकारिता की परंपरा रही है। बख्शी जी जिन्होंने सरस्वती के संपादक के रूप में दोष पाये जाने पर दिग्गज कवियों की कविताएं भी लौटा दीं। छत्तीसगढ़ पत्रकारिता की संस्कार भूमि है। उन्होंने स्वर्गीय देवीप्रसाद चैबे के साथ अपने अनुभव भी साझा किए।