
अम्बिकापुर। मौसमी बीमारियों के लिए अति संवेदनशील पश्चिमोत्तर वाड्रफनगर क्षेत्र के ग्राम गैना में उल्टी दस्त से एक स्कूली छात्रा सहित तीन लोगों की मौत हो गई । शनिवार 14 सितंबर की रात हुई तीन मौतों से प्रशासनिक अमला सकते में आ गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम बीएमओ के नेतृत्व में गांव पहुंची है। आधा दर्जन से अधिक लोगों को वाड्रफनगर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गांव में शिविर लगाकर हर घर में सर्वेक्षण कराया जा रहा है। मृतकों में राजपति पिता सन्त कुमार 15 वर्ष, फूलमती पति बीर सिंह 65 वर्ष, ननकू राम पिता रामसाय70 वर्ष शामिल हैं ।ये सभी ग्राम पंचायत गैना के सेमारियापरा के रहने वाले हैं। स्वास्थ्य अमले से मिली प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक ये सभी 12 सितम्बर से उल्टी दस्त से पीड़ित थे। अभी गांव में कई लोग गम्भीर रूप से पीड़ित हैं। मृतिका राजपति स्कूली छात्रा थी। इन तीनों की मौत से ग्रामीण सिहर उठे हैं।
डबरी का पानी पीने से उत्पन्न हुई स्थिति ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार यहां के ग्रामीण डबरी का पानी पी रहे हैं। इससे उल्टी दस्त से पीड़ित होकर त्वरित उपचार नहीं मिल पाने से अकाल ही काल के गाल में समाने की नौबत आई है। एक गांव में एक ही रात तीन लोगों की मौत की खबर से प्रशासनिक अमले में हड़कम्प मच गया है। बीएमओ वाड्रफनगर और तहसीलदार के नेतृत्व में स्वास्थ्य कर्मचारियों की टीम गांव पहुंची है। घर-घर सर्वे का कार्य शुरू कर दिया गया है। अस्थाई शिविर लगाकर पीड़ित ग्रामीणों का उपचार किया जा रहा है।
संवेदनशील है वाड्रफनगर का यह इलाका
मलेरिया,उल्टी-दस्त व दूसरी मौसमी बीमारियों के लिए यह क्षेत्र अति संवेदनशील है। वर्ष 2000-01 में यहां उल्टी दस्त ने महामारी का रूप ले लिया था । तब 131लोगों की मौत हुई थी । छग प्रदेश में तब अजीत जोगी मुख्यमंत्री थे और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय धरने पर बैठ गए थे। हालात का मुआयना करने तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री सीपी ठाकुर यहां पहुंचीं थीं। उप्र और मप्र के सीमावर्ती इस रघुनाथ नगर बलंगी क्षेत्र में शुद्घ पेयजल के लिए समुचित इंतजाम नहीं होने से यह हालात निर्मित होता है। स्वास्थ्य सुविधाएं और पहुंचमार्गों का भी बुरा हाल है। जिससे त्वरित उपचार नहीं मिल पाने से ऐसी हालात निर्मित होती रही है।
पखवाड़े भर पहले भी इस क्षेत्र में उल्टी दस्त से दो बधाों की मौत हो गई थी। तब कलेक्टर संजीव झा खुद प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे थे। जल शुद्घिकरण के साथ मैदानी स्वास्थ्य कर्मचारी को मुख्यालय में रहकर पूरी मुस्तैदी से ड्यूटी करने घर-घर संपर्क करने का निर्देश उन्होंने दिया था। पूरी ताकत झोंक देने के बाद भी बीती रात गैना में दो लोगों की मौत के बाद जिला मुख्यालय बलरामपुर से विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम को प्रभावित क्षेत्र के लिए रवाना कर दिया गया है। बीएमओ डॉ गोविंद सिंह प्रभावित क्षेत्र में पहुंच चुके है। अस्थाई शिविर में पीड़ितों का उपचार चल रहा है। गम्भीर मरीजों को वाड्रफनगर व रघुनाथ नगर के अस्पताल में शिफ्ट किया जा रहा है। मैदानी कर्मचारी घर-घर जाकर बीमार लोगों का उपचार भी कर रहे हैं। दूषित पानी की वजह से लोगों के उल्टी-दस्त से पीड़ित होने की खबर है।