भिलाई 1 अप्रैल 2024।भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री व भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति द्वारा उनके निवास पर जाकर भारत रत्न से सम्मानित करना तथा राष्ट्रपति के समक्ष आडवाणी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बैठे रहने को अपमानजनक घटना है। अनुसूचित जाति जनजाति संगठनो का अखिल भारतीय परिसंघ व बी एस आई के स्टेट जनरल सेक्रेट्ररी एडवोकेट मनोज मून ने कहा कि भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद राष्ट्रपति की गरिमा को ठेस पहुंचाने का कार्य वर्तमान केंद्र सरकार निरंतर कर रही है। इसके पूर्व भी देश के सर्वोच्च संवैधानिक सदन संसद भवन के उद्घाटन समारोह मे भी राष्ट्रपति को आमंत्रित ना कर अपमानित किया गया। भारत रत्न जैसा गरिमामय सम्मान देश के किसी सर्वोच्च संवैधानिक सदन मे होना चाहिए था किन्तु आडवाणी के घर पर जाकर सम्मान करना उस सर्वोच्च सम्मान और सर्वोच्च पद के अवमूल्यन जैसा ही है। यदि आडवाणी बीमार है तो उनके परिवार के सदस्य और स्वयं मोदी उन्हे सहारा देकर खड़ा करते और राष्ट्रपति के हाथो उन्हे सम्मानित कराते। श्री मून ने कहा कि आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू के स्थान पर यदि कोई सामान्य वर्ग की महिला होती तो दृश्य कुछ और हो सकता था। उन्होने कहा कि बार-बार आदिवासी महिला सहित सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान अब बर्दाश्त नही किया जायेगा। दलितो और आदिवासियो को अब एकजुट होकर जवाब देना ही होगा।
आदिवासी महिला राष्ट्रपति का बारम्बार अपमान बर्दाश्त नही: एडवोकेट मनोज मामला भारत रत्न देने का
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