भिलाई। 06 जून, 2025, (सीजी संदेश) : इन्सान आज चांद पर, सूर्य पर, सागर की गहराई में जाकर रीसर्च कर रहे है लेकिन खुद को जानकर स्वयं को जानने, आत्म दर्शन की रिसर्च आज की आवश्यकता है, हम इस शरीर को चलाने वाली चैतन्य शक्ति प्रकाश पुंज उर्जा हैं, भौतिक परिचय शरीर के साथ खत्म हो जाता है। आत्मा के शरीर से निकल जाने को मृत्यु कहा जाता है लेकिन स्वयं को आत्मा महसूस करने से मृत्यु का भय समाप्त हो हमारा जीवन निश्चिंत तनावमुक्त निर्भय बन जाता है।
यह बातें इंदौर से पधारी तनावमुक्ति विशेषज्ञा ब्रह्माकुमारी पूनम दीदी ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सेक्टर 7 स्थित पीस ऑडिटोरियम में आयोजित निशुल्क नौ दिवसीय ‘’अलविदा तनाव गुड बाय टेंशन ’’ शिविर के तीसरे दिन के सत्र ‘आत्म ज्ञान उत्सव’ के अंतर्गत कही |
आत्मा का रूप अति सूक्ष्म
आगे आपने बताया ब्रेन में पिटयुटरी ग्रंथि व हाइपोथैलेमस ग्रंथि के बीच में आत्मा निवास करती है | आत्मा अजर, अमर, अविनाशी है| आत्मा का रूप अति सूक्ष्म ज्योति स्वरूप है लेकिन उसका तेज हीरे से भी ज्यादा है |
मेडिकल साइंस में मन नाम का कोई अंग नहीं
विचार संकल्प करने की शक्ति आत्मा में निहित मन के पास होती है। मेडिकल साइंस द्वारा इन्हें शरीर में ढूंढा नहीं जा सकता लेकिन आत्म ज्ञान आध्यात्मिक मार्ग द्वारा महसूस कर कर तनाव मुक्त जीवन जी सकते है।
मेडिटेशन द्वारा कराई आत्मानुभूति
आपने मेडिटेशन द्वारा अभ्यास करा कर होमवर्क के रूप में स्प्रीचुअल इंजेक्शन (मंत्र) दिया कि – विपरीत परिस्थितियों में “मैं एक शक्ति स्वरूप आत्मा हूँ, प्रकाश, शक्ति पुंज हूँ | मेरे लिए कोई भी बात असंभव नहीं है |
स्वयं को आत्मा के अभ्यास से व्यर्थ संकल्प होंगे बंद
यदि हर घंटे में 1 मिनट मस्तक सिंहासन पर स्वयं को चमकती हुई ज्योतिबिंदु आत्मा देखेंगे तो मन के व्यर्थ संकल्प बंद हो जायेंगे, ऐसा लगेगा कि मानसिक तनाव को जैसे किसी ने खींच लिया हो | आत्मा महसूस करने से हीलिंग पॉवर आती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है जिससे कई प्रकार की शारीरिक बीमारियों से मुक्त हो जाते हैं |
बढ़ती है मन की एकाग्रता होते है सफल
इस अभ्यास से मन की एकाग्रता शक्ति बढ़ जाती है हमारे सभी दैनिक कार्य में श्रेष्ठ भाव का समावेश हो सफल तनाव मुक्त रहते है |