रायपुर 17 अक्टूबर 2025/ मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज बस्तर में 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण को राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि जो युवा कभी माओवाद के झूठे विचारधारा के जाल में फंसे थे, उन्होंने आज संविधान, लोकतंत्र और विकास की मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया है।मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि आज का दिन केवल बस्तर ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश के लिए ऐतिहासिक है। जिन युवाओं ने वर्षों तक अंधेरी राहों पर भटककर हिंसा का मार्ग चुना, उन्होंने आज अपने कंधों से बंदूक उतारकर संविधान को थामा है। यह न केवल आत्मसमर्पण का क्षण है, बल्कि विश्वास, परिवर्तन और नये जीवन की शुरुआत है।मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बस्तर में बंदूकें छोड़कर सुशासन पर विश्वास जताने वाले इन युवाओं से मेरी मुलाकात मेरे जीवन के सबसे भावनात्मक और संतोष देने वाले पलों में से एक रही। यह दृश्य इस बात का प्रमाण है कि बदलाव नीतियों और विश्वास से आता है।मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य शासन की नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025, “नियद नेल्ला नार योजना” और “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसी योजनाएँ विश्वास और परिवर्तन का आह्वान हैं। इन्हीं नीतियों के प्रभाव से नक्सल प्रभावित इलाकों में बंदूक छोड़कर लोग शासन की विश्वास और विकास की प्रतिज्ञा को स्वीकार कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि आज का यह दृश्य केवल सरकार की सफलता नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के शांतिपूर्ण भविष्य का शिलान्यास है। हमारी सरकार आत्मसमर्पितों के पुनर्वास और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।मुख्यमंत्री ने कहा कि डबल इंजन सरकार की प्रतिज्ञा है कि छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से पूर्णतः मुक्त किया जाए। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में यह प्रतिज्ञा पूर्ण हो रही है। छत्तीसगढ़ अब शांति, विश्वास और विकास के नए युग की ओर अग्रसर है।
*पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन: दण्डकारण्य के 210 माओवादी कैडर लौटे समाज की मुख्यधारा में*
राज्य शासन की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति और शांति, संवाद एवं विकास पर केंद्रित सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप बस्तर संभाग में आज नक्सल विरोधी मुहिम को ऐतिहासिक सफलता मिली है। ‘पूना मारगेम दृ पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के अंतर्गत दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।
यह आत्मसमर्पण विश्वास, सुरक्षा और विकास की दिशा में बस्तर की नई सुबह का संकेत है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र में यह ऐतिहासिक घटनाक्रम नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज होगा।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा अपनाई गई व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव रखी है। पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और सजग नागरिकों के समन्वित प्रयासों से हिंसा की संस्कृति को संवाद और विकास की संस्कृति में परिवर्तित किया जा सका है।
*बस्तर के लिए ऐतिहासिक दिन, 153 अत्याधुनिक हत्यारों के साथ आत्मसमर्पण*
यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित अनेक वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल हैं। इन कैडरों ने कुल 153 अत्याधुनिक हथियार जिनमें AK/47 SLR, INSA रायफल और LMG शामिल हैं, समर्पित किए हैं। यह केवल हथियारों का समर्पण नहीं, बल्कि हिंसा और भय के युग का प्रतीकात्मक अंत है। एक ऐसी घोषणा, जो बस्तर में शांति और भरोसे के युग की शुरुआत का संकेत देती है।
*मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेता*
मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेताओं में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम सहित कई वांछित और इनामी कैडर शामिल हैं। इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।
*मांझी-चालकी विधि से हुआ स्वागत, वंदे मातरम की गूंज के साथ संविधान के प्रति दिखाई निष्ठा*
यह ऐतिहासिक आयोजन जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ, जहाँ आत्मसमर्पित कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से किया गया। उन्हें संविधान की प्रति और शांति, प्रेम एवं नए जीवन का प्रतीक लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया। मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा सदैव प्रेम, सहअस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है। जो साथी अब लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई शक्ति देंगे और समाज में विश्वास की नींव को और मजबूत करेंगे। कार्यक्रम के अंत में सभी आत्मसमर्पित कैडरों ने संविधान की शपथ लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वे अब हिंसा के बजाय विकास और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में योगदान देंगे। ‘वंदे मातरम’ की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह क्षण केवल 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण का नहीं, बल्कि बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया।
कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग द्वारा आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास और आजीविका योजनाओं की जानकारी दी गई। राज्य शासन इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
*Dandakaranya Surrender: Total Cadre Profile*
1. CCM 01 cadre
2. DKSZC 04 cadres
3.Regional Committee Member 01 cadre
4. DVCM 21 cadres
5. ACM level 61 cadres
6. Party Members 98 cadres
7. PLGA member/ RPC members/ Others 22 nos
Total 208 cadres
Total 110 Female] 98 Male
*Dandakarnya Surrender: Total Weapon Details*
1. AK 47 Rifle 19 nos
2. SLR rifle 17 nos
3. INSAS rifle 23 nos
4. INSAS LMG 01 nos
5. 303 Rifle 36 nos
6. Carbine 04 nos
7. BGL Launcher 11 nos
8. 12 Bore/ Single shot 41 nos
9. Pistol 01 nos
Total 153 weapons