रायपुर। 30 जुलाई, 2024, (सीजी संदेश) : सरकारें जब किसी उद्योग को जब कोई रियायत, छूट या सब्सिडी देती हैं तो उनकाप्रमुख उद्देश्य यह होता है कि उत्पादन बढ़े और इसका अंतिम लाभ आम जनता को वहवस्तु सस्ती दरों पर उपलब्ध हो सके लेकिन छत्तीसगढ़ में विगत 4 वर्षों में उल्टी गंगा हीबहाई गई। विगत 5 वर्षों के आंकड़ों को देखा जाए तो इस मामले में बड़ी विरोधाभाषी तस्वीरनजर आती है। स्टील उत्पादकों ने उत्पादन तो बढ़ाया लेकिन दाम कम होने की बजायबढ़ते चले गये। वर्ष 2018-19 में जहां 100 मिलियन टन उत्पादन पूरे देश में हुआ था और दर 33,833 रू. प्रति टन थी जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 53,036 रू. प्रति टन हो गई। यह दिलचस्प कहानी छत्तीसगढ़ के संदर्भ में विशेष तौर पर मौजूं है क्योकिं इसमें स्टीलउद्योगपतियों के खाते में लाभ का मार्जिन बढ़ाने में मुख्य भूमिका तत्कालीन राज्य सरकार नेनिभाई है। छत्तीसगढ़ राज्य इस बात के लिए प्रसिद्ध है कि देश के कुल स्टील उत्पादनका 30 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में ही होता है। छत्तीसगढ़ में देश की सर्वाधिक गुणवत्ता वारलीलौह अयस्क खदानें है। आम जनता को यह अपेक्षा रहती है कि हमारी खदानों, हवा, पानीऔर सरकारी मदद का लाभ जनता को सस्ते लोहे के रूप में मिले। लेकिन पूर्व राज्य सरकारका गड़बढ़झाला सामने आते ही लोग हैरान- परेशान हो रहे है। देश में स्टील उत्पादन केआंकड़ों में छत्तीसगढ़ के 30 प्रतिशत का आकलन किया जा सकता है। भारत में वर्ष2017-18 में 100 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिक दर 33,833 रू. प्रतिटन थी। वर्ष 2019-20 में 104 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्ेक दर 34,198रू प्रति टन थी। वर्ष 2020-21 में 112 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिकदर 45,072 रू. प्रति टन थी। वर्ष 2021-22 में 118 मिलियन टन उत्पादन हुआ जबकिऔसत वाषिक दर 51,089 रू. प्रति टन थी। वर्ष 2022-23 में 125 मिलियन टन उत्पादनहुआ जबकि औसत वार्षिक दर 53,036 रू. प्रति टन थी। वर्ष 2023-24 में 142 मिलियनटन उत्पादन हुआ जबकि औसत वार्षिक दर 50, 109 रू, प्रति टन थी। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि वर्ष 2021-22 में छत्तीसगढ़ में अचानक और आश्चर्यजनकढंग से जो टैरिफ आदेश जारी किया गया था उसमें लोड फैक्टर छूट को अधिकतम 8 प्रतिशत से बढ़ा कर 25 प्रतिशत कर दिया गया था जबकि पॉवर कंपनी द्वारा इस प्रकार का कोई भी प्रस्ताव नियामक आयोग को नहीं भेजा गया था। इसके कारण स्टील उत्पादकों को.प्रति वर्ष लगभग 750 करोड़ रू. का अतिरिक्त लाभ मिला था लेकिन प्रदेश में स्टील की दरों में कमी के बदले ड़ेढ गुना तक वृद्धि की गई थी।