नई दिल्ली. सोशल मीडिया के चाहें जितने भी रूप आपने देखे होंगे। इसके प्रभाव पर आप कभी-कभी खिन्न भी हुए होंगे, लेकिन इस बार इसने दो देशों की सरहदों को बिना किसी राजनीतिक और कूटनीतिक बिसात के ही जोड़ दिया। 72 साल बाद वाट्सऐप ग्रुप और फेसबुक पेज ‘अपना पुंछी परिवारÓ ने राजस्थान में रह रहे भाई और पाकिस्तान के रावलपिंडी में रह रही बहन को 5 दिसंबर को आखिरकार मिला दिया।
बहन 1947 के गदर में भाई और परिवार से बिछड़ गई थी। दोनों का मिलन संभव हो सका दिल्ली में रह रहीं और जम्मू-कश्मीर के पुंछ की रहने वाली रोमी शर्मा की बदौलत। इन्होंने 1947 की गदर के बाद भारत और पाकिस्तान में अपनों से बिछड़कर रह रहे परिवारों को सोशल मीडिया के जरिए मिलाने का बीड़ा उठाया है। रोमी पिछले डेढ़ साल मे ‘अपना पुंछी परिवारÓ मुहिम के जरिए 15 परिवारों को मिला चुकी हैं। आइए जानते हैं 72 साल बाद मिले भाई बहन की दर्दभरी कहानी उन्हीं की जुबानी।
रोमी बताती हैं कि एक दिन वाट्सऐप ग्रुप में राजस्थान के श्रीगंगानगर के रायसिंह नगर में रहने वाले हरपाल सिंह ने वाट्सऐप ग्रुप में वीडियो भेजा। वीडियो में रणजीत सिंह (71)1947 की गदर में चार साल की उम्र में बिछड़ी बहन भुज्जो (80) की कहानी सुना रहे थे। रणजीत वीडियो में अपने दादा मतवाल सिंह लम्बरदार का नाम ले रहे थे और उस वक्त की उन्होंने पूरी कहानी बताई। वीडियो ग्रुप के सदस्य और पाकिस्तान के रावलपिंडी में रह रहे जुबेर भाई ने देखा तो भौचक रह गए और उनके मुंह से तपाक से निकला ये वीडियो तो शेख जमेशद की मां का है। जमशेद ने रणजीत सिंह का वीडियो अपनी मां को दिखाया तो उनके आंखों से अश्रुधारा फूट पड़ी। अपना पुंछी परिवार की रोमी ने दोनों परिवारों का नंबर लिया और दोनों की एक दूसरे से बात कराई। 72 साल बाद भाई-बहन और दोनों परिवार सोशल मीडिया के जरिए एकजुट हुए हैं। एक दूसरे से बात कर बीते 72 साल की जुदाई की खाई को दिन-रात बातकर भरने में लगे हैं।
1947 की गदर में हमारा परिवार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के पुंछ क्षेत्र से भारत आ गया। गदर में मेरी चार साल की बहन हमसे बिछड़ गई। हमने उसका पता लगाने की बहुत कोशिश की लेकिन कुछ पता नहीं चल सका। करीब आठ-दस साल पहले पाकिस्तान के ननकाना साहिब गया था। जब रावलपिंडी आया तो मैंने एक बार पता करने की कोशिश की लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उस क्षेत्र में जाने से मना कर दिया क्योंकि इसके लिए हमारे पास अधिकार नहीं था। 72 साल बाद अब मेरी बहन मिली है। मैंने जो वीडियो देखा है उसमें मेरी बहन हू-ब-हू मेरी मां जैसी दिख रही है। बचपन में उसे ‘भुज्जोÓ बुलाते थे। हम बहुत खुश हैं, बहन 72 साल बाद मिली है। यही तमन्ना है कि हम उससे जल्द से जल्द मिल उसे गले लगा लें।
भुज्जो हमसे बिछड़ गई लेकिन मेरे पिता जी और माता जी उसे अपनी आखिरी सांस तक याद करते रहे। अगर आज वे होते तो अपनी भुज्जो को देखकर बहुत खुश होते। लेकिन मां 15 साल और पिता जी 30 साल पहले दुनिया को अलविदा कह गए। -रणजीत सिंह, भाई, रायसिंह नगर, श्रीगंगानगर, राजस्थान
मुझे बस यही याद है कि मुझे मेरे ‘अब्बू और अम्मीÓ ने पाल पोसकर बड़ा किया है। जब उनका देहांत हो गया तब लोगों ने बताया कि ये तुम्हारे अब्बू-अम्मी नहीं थे। तुम मतवाल सिंह लंबरदार की पोती हो जो 1947 की गदर में अपने असली परिवार से बिछड़ गई थी। मन कचोट के रह गई क्योंकि कई असरे बीत गए लेकिन कभी किसी ने कोई खोज खबर नहीं की। अब पता चला है तो अपने बिछड़े परिवार और भाई रणजीत से मिलने की इच्छा है।
गदर में परिवार से बिछड़ कर पाकिस्तान में रह गई भुज्जो अब शकीना हो गई हैं। उनका भरा-पूरा परिवार है। उनके बेटे शेख जमशेद का भी कहना है कि वे अपनी मां को भारत में रह रहे रिश्तेदारों से मिलाना चाहते हैं। इसके लिए कवायद भी शुरू कर दी है। -शकीना, बहन, रावलपिंडी, पाकिस्तान
रोमी शर्मा के ‘अपना पुंछी परिवारÓ से करीब 22 हजार लोग जुड़े हैं जो ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका और फ्रांस में रहते हैं। रोमी अभी 1947 की गदर के गवाह रहे बुजुर्गों से बात कर उनका वीडियो फेसबुक पेज और वाट्सऐप ग्रुप में शेयर करती हैं, जिससे उनके बिछड़े हुए लोग उन्हें मिल जाएं। दुनिया को उस वक्त की हकीकत पता चले। 1947 की गदर में बिछड़े पुंछी परिवार रोमी से उनके फेसबुक पेज पर संपर्क कर सकते हैं और अपनों से मिलने की एक कामयाब कोशिश कर सकते हैं।
1947 की गदर में बिछड़े भाई बहन को सोशल मीडिया ने मिलाया 72 साल बाद
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