भिलाई 10 मई 2023। नब्बे प्रतिशत नवजात शिशु अंतर्गर्भाशयी से अतिरिक्त गर्भाशय जीवन में संक्रमण करते हैं, सहज और नियमित श्वसन शुरू करने के लिए बहुत कम या नहीं के बराबर सहायता की आवश्यकता होती है। लगभग 10% नवजात शिशुओं को जन्म के समय सांस लेने के लिए कुछ सहायता की आवश्यकता होती है और केवल 1% को ही जीवित रहने के लिए व्यापक पुनर्जीवन उपायों की आवश्यकता हो सकती है। फिर भी, जन्म श्वासावरोध नवजात शिशुओं में मृत्यु दर और रुग्णता का एक प्रमुख कारण है और भारत में यह सभी नवजात मृत्यु के पांचवें हिस्से में योगदान देता है। इन मौतों को सही तकनीक और नवजात पुनर्जीवन के लिए उठाए गए कदमों से रोका जा सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राज्य के प्रतिष्ठित नर्सिंग संस्थान पीजी कॉलेज ऑफ नर्सिंग, भिलाई में इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स द्वारा पाठ्यक्रम समन्वयक के रूप में डॉ माला चौधरी (परामर्शदाता, बाल चिकित्सा और नवजात विज्ञान विभाग, जेएलएनएच और आरसी) के मार्गदर्शन में नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम पर एक-दिवसीय कौशल प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डॉ ओपी खुराना (पूर्व निदेशक जेएलएनएच एंड आरसी) ने टी पीस रिससिटेटर पर प्रदर्शन किया और इसके उपयोग ने सिमुलेशन-आधारित प्रशिक्षण के लिए इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की भूमिका का भी विस्तृत वर्णन किया। उक्त अवसर पर डॉ. सुबोध साहा (एडिशनल सीएमओ, जेएलएनएच एंड आरसी) ने नवजात स्वास्थ्य और भलाई से संबंधित राष्ट्रीय लक्ष्यों और लक्ष्यों के संबंध में विचार-विमर्श किया। उन्होंने आयोजित कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे भविष्य में भी इसे जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि सभी के सहयोग से यह संभव हो सकता है।कार्यक्रम के अंत में डॉ अभिलेखा बिस्वाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
पीजी कॉलेज ऑफ नर्सिंग में नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम पर कौशल प्रशिक्षण सत्र आयोजित

Chhattisgarh no.1 News Portal
Leave a comment