बिलासपुर। राज्य की भूपेश बघेल सरकार के बड़े हुए आरक्षण देने के फैसले को बड़ा झटका लगा है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए शुक्रवार को इस पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने ये आदेश जारी किया है। राज्य में बढ़े हुए आरक्षण के खिलाफ एक्टिविस्ट कुणाल शुक्ला सहित तीन अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जबकि समर्थन में एक याचिका लगी थी। आरक्षण के खिलाफ लगी याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने ये फैसला दिया है। नियमों और सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन नहीं किया गया आरक्षण देने में
याचिकाकर्ता कुणाल शुक्ला ने बताया कि उनके साथ विवेक ठाकुर और नवनीत तिवारी के साथ अन्य ने सरकार के 82 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के फैसले के खिलाफ याचिका लगाई थी। इसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। सरकार के आरक्षण बढ़ाने के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में इसका प्रतिशत 82 फीसदी हो गया था। संविधान के मुताबिक, माइनॉरिटी ऑफ सीट पर ही आरक्षण की पॉलिसी लागू होगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता कुणाल शुक्ला ने बताया कि उनके साथ विवेक ठाकुर और नवनीत तिवारी के साथ अन्य ने सरकार के 82 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के फैसले के खिलाफ याचिका लगाई थी। इसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। सरकार के आरक्षण बढ़ाने के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में इसका प्रतिशत 82 फीसदी हो गया था। संविधान के मुताबिक, माइनॉरिटी ऑफ सीट पर ही आरक्षण की पॉलिसी लागू होगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं किया जा सकता।
कुणाल शुक्ला ने बताया कि तमिलनाडु के 69 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था का हवाला दिया गया था, लेिकन उसे भी कानूनी रूप से लागू किया गया। जबकि छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने ऐसे ही फैसला ले लिया था। इस सब बातों को नजरअंदाज कर यहां आरक्षण का प्रतिशत बढ़ा दिया गया। इससे पहले 82 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ राज्यपाल और मुख्य सचिव को भी पत्र सौंपा गया था। मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की बेंच ने एक अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
सरकार को झटका : हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के 82′ आरक्षण देने के फैसले पर लगाई रोक
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