सेलूद 01 मार्च 2025। सरकार का पलीता लगाने में अधिकारी लगे हुए हैं। धान को लेकर राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक गंभीर है। लेकिन अधिकारी भर्राशाही का खेल कर रहे हैं। सेलूद फड़ में पिछले 6 दिन से भूसे के लिए 250 से 300 गाड़ियां खड़ी है। भूसा ना होने के कारण गाड़ियां खाली नहीं हो रही है। सेलुद संग्रहण केंद्र में भूसा नहीं होने के कारण गाड़ियों खाली नहीं होने पर शहर के ट्रांसपोर्टरो ने लेटर जारी कर जिला विपणन अधिकारी, छ.ग. राज्य सहकारी विपणन संघ को अपनी समस्याओं को अवगत कराया है । दुर्ग जिले में सेलूद फड़ में पिछले 6 दिन से भूसा नहीं मिलने के कारण सेलूद व उसके आसपास एरिया में ट्रकों की लम्बी-चौड़ी लाइन लगने से जाम लगा हुआ है। साथ ही सही समय पर उठाव नहीं होने की वजह से ट्रांसपोर्टरों और ड्राइवर को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जबकि सेलूद फड़ को छोड़कर बासीन, जेवरा, कोड़िया, अरसनारा एवं अन्य स्थानों से भूसे का उठाव या लोडिंग का कार्य किया जा रहा है।पूरे प्रदेश में भी बेहतर स्थिति है सिर्फ सेलूद फड़ में ट्रांसपोर्टरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रांसपोर्टर इस सम्बन्ध में बीएमओ को भी कई बार अपनी समस्या से अवगत करा चुके है। ट्रांसपोर्टरों की समस्या जस की तस बनी हुई है। जहाँ ट्रांसपोर्ट परेशान हो रहे है। भूसा माल का उठाव के सम्बन्ध में सेलूद पड़ के सुपरवाइज़र श्री राव ने बताया कि भूसा पर्याप्त मात्रा में है ट्रांसपोर्टरों को आज से सारी सुविधाएँ मिलना शुरू हो जाएगी। विलम्ब इसलिए हुआ कि पहले मतदान का काम हो रहा था फिर महाशिवरात्रि का पर्व आ गया और थान खमरिया के भूसा सप्लायर के द्वारा लेबर व्यवस्था नहीं होने की वजह से ट्रांसपोर्टरों को इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। डिप्टी सीएम, एचएम व प्रभारी मंत्री विजय शर्मा के प्रभार वाले जिले में नौकरशाह सरकार की किस तरह धज्जियाँ उड़ा रहे है। ये सेलूद फड़ में भूसा सप्लाई नहीं होने के कारण ट्रांसपोर्टरों के ट्रकों की लम्बी लाइन व खड़ी गाड़ियों को सड़कों में देखा जा सकता है। इतने गंभीर विषय में दुर्ग संभागायुक्त सत्यनारायण राठौर और कलेक्टर ऋवा चौधरी आखिरकार क्यों नही ध्यान दे रहे । ट्रांसपोर्टरों को कई कई दिनों तक लोडिंग के लिए इंतजार न करना पड़ रहा हैं। दुर्ग जिले के कई फड़ों में लेबर और भूसा पर्याप्त है । सिर्फ सेलूद पड़ में ही इस तरह की दिक्कतों का सामना आखिरकार ट्रांसपोर्टरों को करना पड़ रहा है। ट्रांसपोर्टरों के सामने कई संकट खड़े हो गए हैं।