भिलाई 18 सितंबर 2025। आईटीआई मैदान, खुर्सीपार में जीवन आनंद फाउंडेशन भिलाई एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता श्री विनोद सिंह के संयोजन में पूज्य राजन जी महाराज के श्रीमुख से आयोजित श्रीराम कथा महिमा के सप्तम दिवस कथा में आज विशिष्ट श्रोता के रूप में अहिवारा विधानसभा के विधायक श्री डोमन लाल कोर्सेवाड़ा जी, श्रीमति रमशिला साहू जी पूर्व केबिनेट मंत्री, ईश्वर सिंह ठाकुर जामुल नगर पालिका परिषद अध्यक्ष, जी सुरेश बाबे जी समाजसेवी समेत कई नेता गण एवं नगर के प्रतिष्ठित व्यापारी जन उपस्थित थे।कथा की शुरुआत स्वामी जी ने केवट प्रेम से आगे बढ़ते हुए की जिसमें उन्होंने राम जी एवं ऋषि वाल्मीकि के वार्तालाप का प्रसंग सुनाया जिसमें महर्षि वाल्मीकि ने प्रभु श्री राम के निवास के 14 स्थलों का दिव्य वर्णन किया है। उससे पूर्व सामाजिक चेतना जागृत करने के लिए महाराज जी ने जनमानस से वृक्षों की महत्ता चरित्र से जोड़ते हुए बताया। उन्होंने कहा को लगाने वाले मनुष्य की इच्छा जैसी होती है वृक्ष लगाते हुए वह वृक्ष वैसा ही बड़ा होता है। उन्होंने व्यापीठ से श्रोताओं से वचन मांगा, गुरुदक्षिणा मांगी और कहा यहां का प्रत्येक श्रोता जन्मदिन पर एक वृक्ष लगाने का संकल्प लें क्योंकि अगर अभी नहीं तो बहुत देर हो जाएगी संभलने में, भारत को करोड़ों करोड़ पेड़ों की आवश्यकता है।उन्होंने समाज में स्त्री को पूज्यनीय बताते हुए कहा अविवाहित कन्याओं को, बेटियों को किसी के पैर नहीं छूना चाहिए। कोई कितना भी बड़ा महात्मा हो उसका पैर नहीं छूना चाहिए। बस दोनों हाथ जोड़कर सर झुकाना चाहिए। विवाहित स्त्री को चरण स्पर्श करके पैर छूना चाहिए। बेटों का जब मुंडन संस्कार हो जाए तब से ही उन्हें अपने से बड़े व्यक्ति का पैर छूना सिखाएं। बच्चों को बचपन से संस्कार देना चाहिए। महाराज जी ने कहा सामने वाला आपको क्या मान रहा है उसे मानने दीजिए आप जो है उसमें अडिग रहिए। राम जी ने अपने आप को सदैव ही साधारण मनुष्य माना। चम्मच जिस बर्तन में रहता है उसे ही खाली कर देता है, महराज ने जीवन में हर बात पर वाह वाह करने वालों से सावधान रहने की सलाह दी। यह आपको कभी श्रेष्ठ बनने नहीं देते ये केवल आपकी झूठी प्रशंसा करते हैं।आगे पूज्य राजन जी महाराज ने वन में राम जी का वाल्मीकि ऋषि से संवाद के बारे में बताया। महाराज जी ने बताया वनवास दौरान राम जी की कुटिया वन में बनाने की बारी आए तो राम जी ने ऋषि से कहा मैं ऐसे स्थान रहूंगा जहां मेरे रहने से किसी को मुनि को कष्ट न हो क्योंकि राजा के रहते यदि राज्य में कोई मुनि कष्ट होता है तो उस राजा का राज्य शीघ्र नष्ट और समाप्त हो जाता है। वाल्मीकि जी ने श्री राम जी के निवास के 14 स्थान बताएं जिनमें पहला, जिनके कान समुद्र समान हो, दूसरा घर जिस मनुष्य के आंख आपको देखने के लिए व्याकुल रहे। उन्होंने चातक पक्षी का उदाहरण दिया।
तीसरा स्थान जिस मनुष्य की जिह्वा आपके नाम का निरंतर भगवत न का उच्चारण करे उसके हृदय में आपका स्थान है। चौथा स्थान ऐसे घर में जहां खाने से पहले आपको भोग अर्पित करे। पांचवां स्थान वह जहां ईश्वर की पूजा पूरे परिवार के साथ होती है। पूजा प्रातः पांच बजे अकेले करने से अच्छा है 8 बजे पूजा करें लेकिन पूजा पूरे परिवार के साथ करें। 14 में से ये पांच स्थान ऐसे है जो मनुष्य के करने के योग्य है इसके बाद स्थान साधारण मनुष्य नहीं कर सकता इसके लिए विशेष भागवत कृपा की आवश्यकता होती है।उन्होंने श्रोताओं के द्वारा पूजा को तिथि अनुसार करने पर प्रश्न करते हुए कहा, मनुष्य को बांट दिया है हमने ईश्वर को भी बांट दिया है, सोमवार शिव जी का, मंगलवार को हनुमान जी का लेकिन ये उचित नहीं। हनुमान भक्त के लिए हर दिन मंगलवार है। तिथियां उनके लिए बनाई गई है जो एक भी दिन मंदिर नहीं जाते। कम से कम एक दिन तो चले जाए। दिन देखकर माता पिता से नहीं मिलना चाहिए।वाल्मीकि जी की बातों को सुनने के बाद राम जी ने चित्रकूट को अपना निवास स्थान बनाया जहां मां सीता और लक्ष्मण जी के साथ निवास किया। राम जी को वन में छोड़कर सुमंत जी वापस अयोध्या पहुंचे तो उन्हें अकेले वापस आते देख दशरथ जी के प्राण छूट गए। भरत जी को गहरा आघात लगा जब वे उन्होंने एक साथ पिता के परलोक गमन और भैया जी राम के वन गमन की सूचना मिली। उन्होंने भैया राम को मनाने के लिए चित्रकूट जाने की योजना बनाईं जिसे सुनकर अयोध्या वासी अपने अपने वाहनों में सवार होकर चित्रकूट की ओर प्रस्थान कर रहे है। महाराज जी ने सूचना दी कि शुक्रवार को वें भरत मिलन और राजा भरत के चरित्र को गायेंगे। साथ की महाराज ने सूचना दी कि शनिवार विराम दिवस की कथा प्रातः 10 बजे से प्रारंभ होगी।