बस्तर 25 जनवरी 2025। छत्तीसगढ़ के समस्त ऑपरेशन बल ने 26 जनवरी के पूर्व संध्या पर एक खुला खत भेजा है , जिसमें उन्होंने अपना दर्द और दास्तान को बयार किया है। खत का मजनून बस्तर संभाग में पदस्थ केंद्रीय रिजर्व बल को रिस्क अलाउंस (जोखीम भत्ता) 21000 ₹ दिया जा रहा है। उसी प्रकार छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में नक्सल ऑपरेशन (नक्सल अभियान) बल जैसे-DRG, STF, BASTAR FIGHTERS और राजनांदगांव, धमतरी, गरियाबंद में भी ऑपरेशन बल है, को भी केंद्रीय रिजर्व बल के तर्ज पर 21000₹ दिया जाना चाहिए। क्योंकि नक्सल अभियान प्रक्रिया एक जटिल से भी जटिल कार्य में से एक है। हमारे जवानों को ‘गोली से डर नहीं लगता साहब, आईईडी से लगता है क्योंकि गोली से शहीद हो गए, तो कोई बात नहीं। हमारा पार्थिव शरीर परिवार वाले को सही सलामत मिल जाएगी, लेकिन आईईडी की चपेट में आने पर हमारे शरीर का कौन सा अंग जीवन भर के लिए त्यागना पड़ेगा या कोई अंग मिलेगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है। मन में इसकी चिंता हमेशा बनी रहती है। इसके बावजूद हम जंग के मैदान में डटकर लड़ाई कर रहे हैं।हमारी वर्तमान सरकार छत्तीसगढ़ को मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य तो रखा है किंतु इसके लिए कितने जवानों की कुर्बानी देनी पड़ेगी, कितने को खोना पड़ेगा इसका कोई अंदाजा तो नहीं है।जवान देश के हित में सरकार के हर फैसले के साथ था, साथ रहेगा और मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ के साथ-साथ संपूर्ण भारत को नक्सल मुक्त देश बनाएंगे।
छत्तीसगढ़ राज्य एवं केंद्रीय सरकार के जिम्मेदार सज्जनों से हमारे जवानों का मांग है कि केंद्रीय रिजर्व बल के तर्ज पर हमें भी 21000₹ जोख़िम भत्ता प्रदाय किया जाना चाहिए और हमारा वर्तमान भत्ता 3000-3500 रुपए है जो बहुत ही कम है।इस विषय पर छ. ग. सरकार को विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है। इसका एक उदाहरण उड़ीसा सरकार है। SOG के प्रति उड़ीसा सरकार का फैसला बहुत ही सराहनीय है।इससे जवानों का मनोबल उच्च स्तर का होगा और बढ़ चढ़कर काम करेंगे। इसके लिए उड़ीसा सरकार को हृदयपूर्वक धन्यवाद।DRG को देश का सबसे बड़ा गुरिल्ला वार फोर्स तो माना जा रहा है लेकिन DRG रिस्पॉन्स भत्ता कितना मिलता है ये कभी कोई पत्रकार सवाल करता है ना कोई विपक्ष सवाल उठाता है।ओडिशा SOG के जवानों को देखो एक ऑपरेशन करने के बाद उनकी रेस्पॉन्स भत्ता कितना हुआ बस्तर में STF हो या DRG ऐसे कितनों ऑपरेशन किए कितनो लीडर को मार गिराए लेकिन शासन को दिखता नहीं जवानों कह और बहादुरी कहने को बहादुर जवान कहा जाता है। आईजी सुंदर राज पी बस्तर ने कहा था कि डीआरजी बल को बनाने के लिए उस और ऊंचाई में छूट दी गई थी। डीआरजी में पूर्व नक्सलियों और स्थानीय आदिवासियों को शामिल किया गया है, जो जंगल-पहाड़ों में रहने के अभ्यस्त हैं। कड़ा प्रशिक्षण और आधुनिक हथियार से लैस यह बल अब गुरिल्ला युद्ध में दुनिया का सबसे खतरनाक बल बन चुका है।